तुम्हें लगता है कि मैं नर्क में हूं तो मैं अपने नर्क में ही खुश और संतुष्ट हूं । मुझे आप के स्वर्ग की जरुरत नहीं है । लेकिन आप अपने स्वर्ग में रह कर दुखी और परेशान क्यूँ हैं ?
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
Translate
रविवार, 22 नवंबर 2020
मंगलवार, 17 नवंबर 2020
4जी मोबाइल है
फोर जी मोबाइल है ।
फोर जी सिम कार्ड है ।
फोर जी टावर भी लगा हुआ है ।
वोल्टी और फोर जी नेटवर्क भी शो करता है ।
फोर जी नेटवर्क ज्यादातर दो या तीन प्वाईन्ट शो करता है ।
बहुत कम कभी कभी पांच प्वाईन्ट नेटवर्क शो करता है।
डाटा भी शो करता है मगर डाटा कनेक्शन इतना वीक होता है कि एक प्वाईन्ट पकडता है तो एक प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
कभी कभी दोनों प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
लगता है कि डाटा कनेक्शन की फ्रिकवेनशी खुद कम कर दी जाती है जिससे नेट यूज करना काफी मुश्किल होता है ।
इतना महंगा मोबाइल और सब कुछ फोर जी मगर बारह घंटे में आठ घंटा टू जी बना पड़ा रहता है ।
इसपर भी वाइस कालिंग के दौरान कभी इधर से आवाज साफ नही जाती तो कभी उधर से आवाज साफ नहीं आती कालिंग काट कर के पुनः लगाना पड़ता है कि शायद अब आवाज़ सही आने जाने लगेगी ।
अगर आप एक , डेढ या दो जीबी डाटा रोज पाने वाला रिचार्ज कराये हैं तो एक दिन का पुरा डाटा यूज ही नहीं हो पाता है । और कोई भी कंपनी वाला ये नहीं सोंचता कि हमारे कंपनी की सर्विस जब बहुत बेहतर नहीं है तो कम से कम डाटा तो छोड़ दें जब कनेक्टिविटी सही होगी तो लोग यूज कर लेंगे । डाटा यूज करने का समय तो अनलिमिटेड होना चाहिए । मैने ये सारी हाल ग्रामीण इलाकों की बताई है ।
शहरों की जो भी हाल हो यहां ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क को 3जी से 4जी में अपग्रेड किया गया है इसको मैने होते हुए नहीं देखा है सिर्फ मैसेज आया था तो उसमें पढ कर जाना है कुल मिलाकर अस्सी परसेंट लोग 2जी , 3जी और 4जी में उल्झे हुए हैं संतुष्ट वही लोग हैं जो टावर के करीब हैं ।
सोमवार, 16 नवंबर 2020
कल ईश्वर ने नहीं बनाया है
नीद को अर्धमृत्यु ( आधी मौत ) भी कहा जाता है ।
गांवों में बुजुर्गों के द्वारा एक कहावत भी सुनी है कि -
गहरी नींद में सोया हुआ व्यक्ति और मरा हुआ व्यक्ति दोनों एक समान होते हैं ।
वास्तविक मृत्यु की बेला कोई भी हो सकती है । लेकिन मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इस दुनियां में आया हुआ कोई भी व्यक्ति मरने के लिए कल का सूरज नहीं देख सकता जैसे कुछ परिणाम मैं आप को बताता हूं ।
1- कोई शाम को मर गया उसने कल का सूरज नहीं देखा ।
2- कोई रात में ही मर गया उसने कल का सूरज नहीं देख ।
3- कोई भोर में ही मर गया उसने कल का सूरज नहीं देख ।
4- कोई आठ बजे दिन में , कोई 9 , 10 , 11 , 12 यानी सुबह होने से लेकर भोर के पहर तक में मरते हैं ।
अब कोई ऐसा भी है कि सुबह हो गई सूरज निकल गया और वो मर गया तो उसने आज का सूरज देखा है कल का नहीं । कल का सूरज कोई भी नहीं देख सकता ।
वास्तविकता तो ये है कि कल कभी होता ही नहीं सब आज होता है । सिर्फ एक पहचान के लिए कल का नाम दिया गया है जैसे दिनों का नाम , महीनों का नाम , साल का सन , और लोगों का नाम सब पहचान के लिए नामकरण किये गये हैं । सिर्फ बेला , पहर और पल होते हैं । सुबह की बेला से लेकर दोपहर तक में बहुत से पल होते हैं जिसे छंड़ भी कहा जाता है ।
अगर ईश्वर ने आप को दिया है तो सिर्फ रात और दिन इन्हीं रात और दिन में सभी बेला, पल और एक एक छंड़ हैं बाकी सब लोगों ने बनाया है । कल ईश्वर ने नहीं बनाया है ।
कल के बारे में सोचने के लिए ईश्वर ने नहीं कहा है ।
मुझे उम्मीद है कि आप लेख को अच्छी तरह समझ गये होंगे अगर आप के अंदर कोई सवाल रह गया हो तो मेरे ब्लॉग को फालों कर के पूछ सकते हैं या मुझे 7388939329 पर काल करें या इसी नम्बर पर वाट्सेप करें । अगर आप के अंदर किसी भी प्रकार के विचार हों जिसे आप लोगों को बताना चाहते हैं तो आप अपने विचारों को लिखें और मुझसे संपर्क करें मैं आप के विचार आप के नाम के साथ अपने ब्लॉग पर शेयर करुंगा ।
शुक्रवार, 13 नवंबर 2020
दूसरी महाभारत
कोरोना काल के लाकडाउन पीरियड इस बीसवीं शताब्दी की बहुत बड़ी त्रासदी रही है । और जो शायद ही कोई भूल पाएगा । आज अनलाकडाऊन काल चल रहा है । इसमें कुछ आजादियां जरुर मिली हैं । मगर वो बात नहीं है जो कोरोना काल से पहले का वक़्त था ।
अप्रैल सन दो हज़ार बीस से आज नवम्बर सन दो हज़ार बीस यानी लगातार इन आठ महीनों में मैने ग्रामीण इलाकों के सर्वो में हर वर्ग हर आयु के लोगों को आर्थिक संकट से गुजरते हुए पाया ।
अनुमानतः ऐसा लगता है कि अगर स्थिति यथावत बनी रही तो संभवतः पूर्ववत स्थिति में लोगों को आने में लगभग सात से दस साल का समय भी लग सकता है ।
कोई भी परिवर्तन या छोटा हो या बड़ा इंसान के हालात और वक़्त के अनुसार बदलते परिवेश पर भी निर्भर करता है । लेकिन देश का परिवेश और लोगों के हालात को अगर गहराई से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि देश और देशवासी पुनः एक बार दूसरी महाभारत की ओर बढ़ रहे हैं ।
बीते हुए महाभारत का कारण तो पुरा भारत और विश्व जानता है । मगर इस महाभारत का कारण भी जल्द ही समझ में आ जाएगा ।
बस अब आप को हर परिस्थिति से गुजरने और इसे झेलने के लिए तैयार रहना होगा ।
गुरुवार, 12 नवंबर 2020
अपना प्रयास जारी रखें
1- मेरे पास पैसा नहीं है ।
2- मेरी कोई पहचान नहीं है ।
3- मेरे सामने अभी कुछ दिक्कत है ।
4- लोग क्या कहेंगे ।
5- लोग क्या सोचेंगे ।
6- मै औरों की तरह नहीं हूं ।
7- मुझमें और लोगों में अन्तर है ।
8- भाग्य के आगे कोई कुछ भी नहीं ।
9- अमीर गरीब सब नसीब से होते हैं ।
10- मेरे ऊपर घरेलु जिम्मेदारियां हैं ।
11- मेरे बच्चे अभी छोटे हैं ।
12- मुझे किसी से बात करने में शर्म महसूस होती है ।
13- रोज कमाना है रोज खाना है ।
14- मेरे ऊपर बहुत कर्जा लदा है ।
15- फ्री माईड नहीं हूं काफी टेनशन है ।
16- चलने के लिए साधन नहीं है ।
17- सोंच कर बताऊंगा ।
18- मेरे स्टेटस के खिलाफ है ।
ये सब एक बहाने हैं । और उनके हैं । जिनके कोई लक्ष नहीं होते । ये सारी बातें उस वक़्त सामने आतीं हैं जब आप किसी से किसी बिजनेस या कुछ करने के संबंध में बात करते हैंं । बात करने के पहले आप को यही आदमी हर तरह से ठीक और आप के योजनाओं के मुताबिक सही और सक्षम दिखता है । पूरे जोश, उर्जा और आशाओं के साथ आप बात करने जाते हैं मगर जब आप को ऊपर लिखी 18 प्वाईन्ट सामने आते हैं तो आप का दिल टूट जाता है जिससे आप निगेटिविटी में जाने लगते हैं ।
ऐसे में आप होपलेस हुए बिना अपनी पाजिविटी बनाए रखें और अपनी तरह के व्यक्ति की तलाश जारी रखें । आप को आप के सोंचों के मुताबिक कोई न कोई तो जरूर मिलेगा बस आप अपना प्रयास जारी रखें ।
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
सबसे बड़ा भिखारी कौन है ?
क्या ऐसा नहीं लगता कि भारत की एक चौथाई जनसंख्या घरों में न रह कर बल्कि रोड पर जिंदगी गुजारती है ।
क्यों कि इनके पास घर है ही नहीं ।
मंदिर के सामने, मस्जिद के सामने , रेलवे स्टेशन , बस स्टैण्ड और सबसे ज्यादा संख्या सड़क के किनारे पटरी पर बचपन से जवानी और बुढापा भी गुज़र जाता है । जीना भी यहीं और मरना भी यहीं।
पता नहीं इनके पास वोटर आईडी राशन कार्ड वगैरह है भी या नहीं । ऐसे लोग आते कहां से हैं ?
1- कुछ कचरे के डब्बे में डाल दिये गये ।
2- कुछ को जान बुझ कर छोड़ दिया गया ।
3- कुछ सच मुच गायब हो गये ।
4- कुछ वैध हैं कुछ अवैध हैं ।
कुछ ने सड़क के किनारे ही प्लास्टिक से घेर लिया है ।
80% लोग आज भी वैसे ही पड़े हैं ।
क्या सारी योजनाएं सिर्फ उन्हीं के लिए हैं जिनके पास सब कुछ है ? सभी लोगों की सोंच भी उन्हीं के लिए हैं जिनके पास सब कुछ है ? इनके लिए भी तो कुछ योजनाएं होना चाहिए , अगर आवास और कालोनी नहीं है तो कम से कम निशुल्क शराय तो हो आखिर ये लोग भी तो भारत के ही नागरिक हैं । ये लोग नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं या इसी तरह जीने के लिए छोड़ दिया गया है ?
जब की ये लोग आत्मनिर्भर सुरु से ही हैं चाहे भीख मांग कर खाएं या कचड़ा बीन कर उसे बेच कर ।
जब जो चाहे अपने अमीरी के नशे में रौंद कर चला जाय ।
रात में हल्के का सिपाही भी डेली पैसे वसुलता है । अब इन दोनों में सबसे बड़ा भिखारी कौन है ?
सोमवार, 9 नवंबर 2020
कौन क्या है
जरुरी नहीं कि सिर्फ मर्द ही गहरी चाल चलना जानता है ।
जब औरत अपनी चाल चलना शुरु करती है । तो बड़े से बड़े खिलाड़ी मर्दों के दिमाग खट्टे हो जाते हैं । औकात समझ में आ जाती है कि कौन क्या है ।
रविवार, 8 नवंबर 2020
औरत के आगे मर्द
औरत के आगे मर्द की कोई औकात नहीं है ।
जो प्राथमिकताएं मर्द को मिली है वो सिर्फ मर्द के थोड़े से सहयोग के कारण जिससे वे मर्दों को जन्म देती हैं ।
अगर औरत स्वयंम से जन्म दे पाती तो मर्दों की इस दुनियां में कोई जरुरत नहीं होती ।
औरत और लड़कियों
औरत और लड़कियों की दुश्मनी भी औरत और लड़कियों से होती है । और ये इतनी खतरनाक होतीं हैं । कि आसानी से इसकी तह में जा पाना संभव नहीं होता।
हैरत की बात तो ये है । कि इसमें क्राईम कम और दिमागी मार बहुत ही भयंकर होती है ।
शनिवार, 7 नवंबर 2020
कोई जब दिल से निकल जाता है ( मेरा विचार )
कोई जब दुनियां से चला जाता है तो दुनियां मिट नहीं जाती ये दुनियां उसके लिए मिट जाती जो दुनियां से चला गया ।
जब कोई घर छोड़ कर चला जाता है तो घर गिर नहीं जाता जाने वाला इस विशाल दुनियां के किसी कोने में अजनबी बन कर जिंदगी गुजारता है मगर जो घर में रह जाता है उसे उसकी यादें , कुछ बातें रह जाती हैं जो धीरे धीरे वक़्त के साथ मिट जाती हैं ।
जब कोई दिल से निकल जाता है तो निकलने वाला और निकालने वाला दोनों को अपने सोच के मुताबिक जिंदगी जीने का रास्ता मिल जाता है कोई किसी के लिए मर नहीं जाता , मरना इतना आसान नहीं है मरने का एक वक़्त तै है जब वो वक्त आ जाएगा तो फिर कोई इस दुनियां में तुम्हें रोक भी नहीं सकता।
किसी के होने से जीना और किसी के न होने से मरना इसमें सच्चाई है मगर ऐसा सिर्फ 5% लोगों के साथ हुआ है और होता भी है मगर सबके साथ नहीं ।
इस दुनियां वालों ने मुहब्बत के नाम पर कितनों कि जिंदगियां बर्बाद कर दी , इस दुनियां वालों ने अपने पन का नाटक कर के न जाने कितनों के अधिकार और सपनों को छीन लिया, इस दुनियां वालों ने अपने स्वार्थ के लिए क्या क्या नहीं किया ।
इस बहुरंगी दुनियां में कब किसके साथ क्या होगा या हो जाए इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है ।
मै आप को बहका नहीं रहा हूँ और न भ्रमित कर रहा हूँ
कभी जब फुर्सत के वक़्त मिले तो आराम से लेट कर इस दुनियां और दुनियां वालों के बारे में अपने दिल से पूछना दिल सारी सच्चाई सामने ला कर रख देगा मगर फर्क सिर्फ इतना है कि आज हम हकीकत का सामना नहीं कर पाते और न करना चाहते हैं सिर्फ दिमाग लगाने पर विश्वास करते हैं ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)