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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

प्यार की भाषा

दुनियां में भाषाएं बहुत सी हैं लेकिन प्यार की भाषा तो सिर्फ एक ही है । जिसे आप जानते हैं यही पुरी दुनियां जानती है ।हर इंसान से मुहब्बत के साथ क्यों पेश आना चाहिए  ?
क्यों कि यह आप नहीं जानते इस दुनिया को बनाने वाला जानता है ।
पृथ्वी पर हर इंसान एक दूसरे के काम आने के लिए ही बनाया गया है, कौन कब किस तरह काम आए ये आप नहीं जानते ।
बस अपनी बारी का इंतज़ार करें न कि किसी का दिल दुखाएं  ।

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

किस से कहें हम

किस से कहें हम  ।
कैसे रहें हम       ।।

ये दिल का है दर्द  ।
कैसे सहें हम      ।।

जिंदगी की आखिरी ।
मौत की नींद है      ।।

इससे भला अब     ।
कैसे डरें हम        ।

अगर काट दो मेरे  ।
किस्मत का लिक्खा ।।

तुम जो कहो वही  ।
फिर करें हम       ।।

जो भी कहे हो      ।
सब कुछ किया है  ।।
जावेद बोलो    ।
कितना मरें हम  ।।

फिलासफी

आज का ये दौर फिलासफी का नहीं
खिलाफती का है ।

सिरियस

जिन्दगी में आदमी सीरियस तब होता है, जब उसके जिन्दगी में कोई समस्या आती है ।
अगर हम अपने काम के प्रति सीरियस हो जाएं तो शायद कोई समस्या न आये ।

रिश्ते

इन्सान के उपर जैसा वक्त आता है, उसी हिसाब से रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं ।

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

पांच दुश्मन

इस दुनिया में इंसान को दुख देने वाले और
बर्बाद करने वाले सिर्फ पांच दुश्मन हैं ।
1- काम ( कामदेव )
2- क्रोध ( गुस्सा  )
3- लोभ  ( लालच )
4- मोह   ( ममता  )
5- अहंकार  ( घमंड )
जिस दिन आप ने इन पांचों दुश्मनों को हरा दिया उसी
दिन से यह दुनियां आप के लिए  ( जन्नत ) स्वर्ग बन जाएगी ।

मैं आ रहा हूँ

अमीरी-गरीबी ।
अच्छे-बुरे दिन ।
दुख और सुख  ।
बीमारी और मौत ।
ये सब बता कर नहीं आते कि
मैं आ रहा हूँ  ।
इन्हें जब ईश्वर का आदेश ( अल्लाह का हुक्म )
मिलता है तो आने में जरा भी देर नहीं लगती ।
इसमें अपने कर्मों और विचारों का भी हाथ होता है ।
इस लिए हर इंसान को इन सारी परिस्थितियों के लिए
हमेशा तैयार रहना चाहिए ।
कृपया अपनी परिस्थितियों का जिम्मेदार किसी और को मत बनाये ।

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें

बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें ।
कातिलों के खौफ से क्या हम जमाना छोड़ दें ।।
मस्जिदों में बम धमाके हो रहे हैं आज कल  ।
क्या करें हम मस्जिदों में आना जाना छोड़ दें ।।
अपना हक बनता है जो भी आगे बढ़ कर छीन लें ।
बुझदिली से आप सब भी आंसू बहाना छोड़ दें  ।।
कायदे आज़म बने अपने कबीले का कोई  ।
आवो हम सरकार गैरों की बनाना छोड़ दें ।।
इस कदर महंगाई बढती जा रही है दिन-ब-दिन ।
जी में  आता है यही कि खाना दाना छोड़ दें   ।।
शम्स हूं शम्मा नहीं हूं मैं किसी दहलीज का  ।
आंधियों से कह दो  हमको आजमाना छोड़ दें ।।
पस्त हो जाएंगे जावेद ज़ालिमों के हौसले  ।
जुर्म के आगे अगर ये सर झुकाना छोड़ दें ।।

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ ।
बम धमाके भी हो रहे हैं हर तरफ ।।

आने वाली मुश्किलों से बे खबर  ।
कुछ लोग देखो सो रहे हैं हर तरफ ।।

बे गुनाहों के लहू से देखिये           ।
लोग धब्बे धो रहे हैं हर तरफ       ।।

कुछ लोग मजहब का लेबादा ओढ कर ।
अपनी अज़मत खो रहे हैं हर तरफ     ।।

इन्सानियत जख्मों से जावेद चूर है   ।
बच्चे बूढे रो रहे हैं हर तरफ           ।।

जब देखो तक़दीर का रोना रोता है

जब देखो तक़दीर का रोना रोता है ।
अपनी राह में कांटे खुद ही बोता है ।।

बेकारी में वक्त जो अपना खोता है ।
पछताता है खूंन के आंसू रोता है  ।।

ये मत सोचो वक्त पे कोई काम आएगा ।
इस दुनियां में कौन किसी का होता है  ।।

खुद मेहनत कर के आगे बढना सिखो ।
क्या भीख मांग कर राजा कोई होता है ।।

रोज़ी आकर दरवाजे से लौटेगी जावेद ।
सूरज चढने तक बिस्तर में जो सोता है ।।

देख कर

आंखों में अश्क आ गये कश्मीर देख कर ।
जन्नत में रहने वालों की तक़दीर देख कर ।।

बच्चे हमारे शहर के दहशत में आ गये  ।
कुछ बुझदिलों के हाथ में शमशीर देख कर ।।

जो है तेरे नसीब में तुझको मिलेगा वो  ।
आहें न भर गैरों की जागीर देख कर  ।।

शायर हूं मै जरूर मगर शायरी है तू  ।
लिखता हूँ गज़ल तेरी तस्वीर देख कर ।।

जावेद अभी कायम है मजनूँ का सिलसिला ।
हैरान क्यों है रेत पर तहरीर देख कर  ।।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

कौन देता है

जरा सोचो कि जहरीली फिजाएं कौन देता है ।
यहाँ पे बे गुनाहों को सजाएं कौन देता है  ।।

लगी है आग पुरे देश में फिरका परस्ती की ।
भडकती है जो चिंगारी हवाएं कौन देता है ।।

गुजरता हूं उधर से जब कभी सुनसान रातों में ।
मुझे शहरे खमुशा से सदाएं कौन देता है  ।।

सभी डूबे हुए हैं जुर्म की मदहोश खुशबू में  ।
किसी बीमार मां को अब दवाएं कौन देता है ।।

यह दुनिया है यहाँ पे होता है हर चीज का शौदा ।
बिना उजरत लिए जावेद दुवाएं कौन देता है  ।।


किया उसने

जिंदगी भर तो सितम किया उसने ।
जुर्म कब अपन कम किया उसने  ।।

चार दिन की मिली हुकूमत क्या  ।
नाक में सबके दम किया उसने  ।।

कुछ न कुछ हादसे हुए अक्सर  ।
जब भी मुझपे करम किया उसने ।।

पेट अब तक भरा नहीं उसका ।
सबका हिस्सा हजम किया उसने ।।

ऊंची दहलीज जिस जगह देखी ।
सिर वहीं अपना खम किया उसने ।।

रो पड़े दर्द से फरिश्ते भी ।
मां की आंखों को नम किया उसने ।।

फिक्र अपनी लगी रही हर दम ।
कब जमाने का गम किया उसने ।।

रह गये सब उलझ के आपस में ।
जावेद ऐसा पैदा करम किया उसने ।।

मर रहे हैं

करोडों लोग इस दुनियां में भूखे मर रहे हैं ।
सियासत बाज लाशों पर सियासत कर रहे हैं ।।

दलाली और घोटाले हैं देखो हर तरफ ।
यहाँ कानून के माहिर खिलाड़ी डर रहे हैं ।।

तआज्जुब होता है यह पढ के  अखबार में ।
कि चारा जानवर का आदमी भी चर रहे हैं ।।

मुख से  गरीबों का निवाला छीन कर ।
कुछ लोग हैं जो पेट अपना भर रहे हैं ।।

बड़े माहिर खिलाड़ी हैं हमारे देश में जावेद ।
जो गरीबों का धन विदेशों में जमा कर रहे हैं ।।

बहुत है

दुनिया ये समझती है कि आराम बहुत है ।
हर शख्स कि आंखों में कोहराम बहुत है ।।

पढ लिख कर करोड़ों यहाँ बेकार पड़े हैं ।
सरकार ये कहती है है यहाँ काम बहुत है ।।

वादों के सहारे यहाँ जीते हैं सभी लोग  ।
जीने के लिए लालच भरा पैगाम बहुत है ।।

हर आदमी कहता है खुलेआम यहाँ पर ।
सरकार मेरे देश कि नाकाम बहुत है ।।

मजलूम को इन्साफ मिलता नहीं जावेद ।
कानून मेरे देश का बदनाम बहुत है  ।।

की तरह

कुछ लोग भी होते हैं चट्टान की तरह ।
सिर पे सवार रहते हैं शैतान की तरह ।।

आते हैं अपने साथ में लेकर तबाहियां ।
सैलाब कि तरह कभी तूफान की तरह ।।

ऐसे ही लोग जिंदगी को बर्बाद कर गये ।
दिल में जिसे बसाया था जान की तरह ।।

पहले तो जिस्म बिकते थे बाजार में मगर ।
बिकने लगा है प्यार भी सामान की तरह ।।

जावेद जरा अपने देश का दस्तूर तो देखो ।
मिलता है अपना हक भी यहाँ दान की तरह ।।

क्या हुआ

क्या हुआ क्यों उडा हुआ चेहरे का रंग है ।
न दिल्लगी, न आरजू, न कोई उमंग है   ।।

छाई हुई है हर तरफ खामोशी, उदासी ।
जैसे कोई गरीब अपनी गरीबी से तंग है ।।

भगदड मचि हुई है जिधर देखिये उधर ।
इन्सान का इन्सान से रोटी की जंग है ।।

हँसते हो देख कर क्यों अपनों कि बेबसी
दिल है तुम्हारे सीने में या कोई संग है  ।।

हक उसका उसको दीजिए जैसे भी हो सके ।
लाचार कोई आदमी है या कोई अपंग है ।।

जो भी गया जावेद आया न फिर कभी ।
अल्लाह जाने कब्र में ये कैसी सुरंग है ।।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

देखो

खुद अपने आप में प्यासा है समुन्दर देखो ।
वक्त की बात है ऐ दोस्त मुकद्दर देखो      ।।

सिर झुकाता है कोई फूल चढाता है कोई ।
देवता बन गया है राह का पत्थर देखो    ।।

मौत से मैं हि बचाकर के जिसे लाया था ।
उसी के हाथ में है मेरे लिए खंजर देखो  ।।

कौन पाता है उसे जिसकी लगी है बाजी ।
कौन है शहर में किस्मत का सिकन्दर देखो ।

जिनके खुशियों के लिए खुद को मिटाया जावेद ।
आज छुपते है वो परदे के अंदर देखो ।।

कुछ निशानी

किसी कि दि हुई कुछ निशानी       ।
किसी कि मुहब्बत भरी मेहरबानी ।।

महकती मेरी रात भी खुशबुओं से ।
मुकद्दर में होती अगर रात रानी    ।।

मेरे देस्तों वक्त आया है  ऐसा    ।
हो गया आज दूध से मंहगा पानी ।।

बदल जाएगा सारा मंजर यहाँ का ।
हकीकत कि है एक नई ये कहानी ।।

गुजरेगी क्या उस वक्त दिल पे जावेद ।
करेगा कोई जब गलत बज्जबानी    ।।


बुधवार, 17 अप्रैल 2019

भाग्य

भाग्य के अनुसार कर्म की रेखाएं बन्ति और बिगड़ती है । जब कि ऐसा नहीं है । हकीकत यह है कि भाग्य के अनुसार कर्म की रेखाएं संसार में जन्म लेने से पहले ही बन जाती है । इन्सान वही कर्म करता है जो उसके भाग्य में लिखा है इसके सिवा वह कुछ नहीं कर सकता है ।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

सोच

तुम जो सोचते हो वो में नहीं सोचता और
मैं जो सोचता हूं वो तुम नहीं सोचते  ।

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

आत्मबल

जहर कि दो  चार बूँद जिन्दगी को मौत के घाट उतार देती है और तुम्हारी पांच किलो कि खोपड़ी काम नहीं करती ।