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शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

ज़हर का प्याला

आप के कुछ हल्के से स्पर्श ....... ।
आप के कुछ अन कहे जवाब ..... ।
मेरी आँखों से आप की आंखों का न मिला पाना ।
कभी धीरे से चेहरे का उठना ......... ।
कभी चुपके से पल्कों को उठा कर झांकना ।
कभी अपने हसीन चेहरे को झुकाए ..... ।
अपने दातों से गुलाबी होंठ के पहले परत को काटना ।
और मोंती जैसे दांतों के बीच से गदाये हुए होंठों का
बार बार छलकना ......... । और बहुत सारी बातें .... ।
जो आप के दिल से निकल कर मेरे दिल में आ कर ठहरी हुई हैं  , जिसे न कभी भूल सकता हूँ और
न किसी से कह सकता हूँ ।
न जाने क्यूँ आप की सिर्फ एक याद ने
मेरी पुरी रात की नींद चुरा गयी ।
क्या करुं एक एक पल एक एक सदी ।
एक एक जनम लेने जैसा लगता है ।
वो चांदनी रात जब छत से उतर कर .... ।
बगल वाले झील के शाहिल से बधी नाव ।
और सारी रात नाव में लेटे ....... ।
तुम चांद को ताकती और मैं चांद जैसे तुम्हारे चेहरे को ।
उफ ! अब ऐसे में कोई धुंधला चांद मेरे सामने आए ।
जिसके करीब काले बादलों का साया हो और
वो अपने पुरजोर कोशिश से तुम्हें ढंक कर अपने अंदर
समा लेना चाहता हों, ये कभी मुझसे गवारा नहीं होगा ।
अब तो ज़िंदा रहने के सिर्फ़ दो ही रास्ते हैं ।
या तो मुझे ज़हर का प्याला दे दो ...... ।
या फिर हमेशा के लिए अपनी पनाह में ले लो ।
तुम्हारे बगैर मैं खुद को लावारिश और अनाथ 
महसूस करने लगा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ।

रविवार, 22 दिसंबर 2019

अक्सर याद आते हैं

कुछ  बीते  हुए  पल
कुछ  बीती  हुई  बातें
कुछ  बीते  हुए  कल
कुछ  बीती  हुई  रातें
अक्सर याद आते  हैं।

एक दिन ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि कभी शाम न हो।
एक रात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी सुबह न हो।
एक पीरियड ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि कभी घंटी न लगे।
एक साथ ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि इसी तरह सिर्फ
चलते रहें और रास्ता कभी खतम न हो  ।
एक बात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी खतम न हो।
एक खत ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि सिर्फ पढते ही रहें
और कभी खतम ही न हो।
एक मुलाकात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी जुदा न हों।
एक बारिश ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि भीगते रहें कभी बंद न हो।
एक चांदनी रात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि चाँद पर बादल
छा जाए और अंधेरा हो जाए।
एक ठंड ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी गर्म
बिस्तर से न निकलना हो।
सब कुछ, हर चीज़, हर बात आज भी।
अक्सर याद आते हैं।