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बुधवार, 6 दिसंबर 2023

जीवन की सार्थकता क्या है ?

जीवन की सार्थकता का अर्थ है , जीवन को एक उच्चतम लक्ष्य या अपनी अभिलाषाओं के अनुसार जीवन को जीना । जीवन की सार्थकता में प्रत्येक व्यक्ति की सार्थक लक्ष्य एवं अभिलाषाएं भिन्न - भिन्न हो सकती हैं , क्यों कि हर व्यक्ति का जीवन दृष्टि और मूल्य अलग - अलग होते हैं । जीवन की सार्थकता के लिए पांच विशेष बिन्दु हैं , जैसे  : -- 


1 - आत्म-ज्ञान  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल को पहचाने , अपनी शक्तियों और कमजोरियों को एहसास करे , अपनी रुचि , अपने शौक , अपनी भावनाओं और विचारों को समझे । आत्म-ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित कर सकता है और अपने जीवन को उसके अनुरूप बना कर ढाल सकता है ।


2 - आत्म-विकास  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल का विकास करे , अपनी शक्तियों का सदुपयोग करे , अपनी कमजोरियों को दूर करे , अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाए , अपने व्यक्तित्व को निखारे । आत्म-विकास से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक समृद्ध , सुखी और सफल बना सकता है ।


3 - आत्म-निर्भरता. : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल पर भरोसा करे , अपने निर्णय और कार्यों के लिए जिम्मेदारी ले , अपने जीवन को अपनी इच्छा और प्रयास के अनुसार संचालित करे । आत्म-निर्भरता से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक स्वतंत्र , सम्मानित और गौरवशाली बना सकता है ।


4 - आत्म-सेवा  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल के विकास के लिए आत्म सेवा करे , अपने शरीर , अपने मन , अपने मस्तिष्क और अपने आत्मबल का ख्याल रखे , अपने स्वास्थ्य , अपनी सुख और शांति का ध्यान रखे , अपने जीवन को अधिक आनंदमय और आरामदायक बनाए । आत्म-सेवा से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक प्रसन्न , और शांतपूर्ण बना सकता है ।


5 - परोपकार. : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति परोपकार करे , अपने परिवार , अपने समाज , अपने देश और मानवता की सेवा करे , अपने सहयोग , अपनी सहानुभूति और अपने समर्पण का परिचय दे , अपने जीवन को अधिक उपयोगी और उदार बनाएं । परोपकार से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सार्थक , सम्मानित और श्रेष्ठ बना सकता है ।


इस प्रकार, जीवन की सार्थकता व्यक्ति के आत्म-ज्ञान , आत्म-विकास , आत्म-निर्भरता , आत्म-सेवा और परोपकार के आधार पर निर्भर करती है । व्यक्ति जब इन पांचों तत्त्वों को अपने जीवन में समन्वित रूप से आत्मसाक्षात के द्वारा अपनाता है , तब जाकर उसका जीवन सार्थक होता है । जीवन की सार्थकता व्यक्ति को अपने जीवन का अर्थ समझने , अपने जीवन का मूल्य बढ़ाने और अपने जीवन का आनंद लेने और देशहित , समाज हित , लोकहित , के साथ ही साथ समग्र हितों में मदद करती है ।

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

आर्थिक आज़ादी किसे कहते हैं ?

आर्थिक आज़ादी की एक अवस्था होती है , जिसमें व्यक्ति या समूह अपनी आर्थिक निर्णय और क्रियाएं अपनी स्वतंत्रता से लेता है , बिना किसी बाहरी प्रतिबंध या पारिवारिक प्रतिबंध के । इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत और आर्थिक स्वतंत्रता होती है , जिसका अर्थ है कि वे अपने वित्तीय निर्णयों , आय , व्यय , और निवेशों को स्वयं से करते हैं।

आर्थिक आज़ादी में शामिल तत्वों में व्यक्ति की कमाई , निवेश , खर्चे , और बचत की स्वतंत्रता भी स्वयं की ही शामिल होती है । यह व्यक्ति को उसकी आर्थिक स्थिति पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्रदान करती है और उसे अपने लक्ष्यों और अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनाती है ।

इसे अर्थशास्त्र में आत्मनिर्भरता या स्वाधीनता के रुप में भी व्याख्या किया जा सकता है , जिससे सामाजिक और आर्थिक रुप से समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी होता है।

आर्थिक आज़ादी में एक अवस्था और भी आती है जिसमें व्यक्ति अपने आर्थिक कैलकुलेशन से बहुत ऊपर उठ जाता है , तब उसे खुद भी याद नहीं रहता है कि उसके पास कितना धन है ।

ऐसी परिस्थितियों में उसे सिर्फ इतना ही जनना होता है कि मुझे कितना धन देना है और उससे कितना धन मुनाफे के रुप में आएगा  ।

इसी परिस्थितियों में एक व्यक्ति और आता है जिसके पास कुछ भी नहीं होता है न घर न परिवार ये भी अपने आप में मस्त रहता है ।

जैसे उपरोक्त व्यक्ति अपनी आर्थिक आज़ादी में मस्त हो जाता है वैसे ही यह व्यक्ति अपने फ़क़ीरी में मस्त हो जाता है दोनों अपने - अपने स्थान पर लक्ष्यों से आगे शुन्यता में पहुंच जाते हैं ।

खाना भी लोग ही लेकर जाते हैं कोई देकर आता है तो कोई खिला कर आता है  ।


इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्तियों को इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों से आशाएं जुड़ी रहती हैं । लोग जानते हैं कि यदि इनकी एक नज़र पड़ जाय तो कई पीढ़ियों तक किसी को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।

सोमवार, 13 नवंबर 2023

इंसान की आयु अगर लंबी है ।

इंसान की आयु अगर लंबी है तो उसे बूढा भी होना है । मेरे ख्याल से बुढा सिर्फ जिस्म होता है ।

 सोंच विचार और कल्पनाएं कभी बुढ़ी नहीं होती ,   बल्कि इनमें उम्र के हिसाब से और ज्यादा दृढताएं आ जाती हैं ।

एक सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य के वक्ति ने अपने एक वाक्य में कुछ लिखा ।

उस वाक्य को एक तीस वर्ष के आयु वाले ने पढ़ा और बोला इसे मैं जानता हूं । इसमें कोई नयी बात नहीं है ।

नयी बात तो यह है , कि सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य का व्यक्ति , तीस वर्ष के ज्ञान और जज्बात को लिख रहा है ।  इस लिए कोई नई बात नहीं लगती , यदि तीस वर्ष की आयु वाला व्यक्ति , कल्पनाशील न हो तो उसके लिए यही एक वाक्य बिल्कुल नया और आस्चर्यजनक है ।

तीस की आयु वाला , कभी सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाली कल्पना नहीं कर सकता , लेकिन सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाला तीस वर्ष के आयु की कल्पना बहुत अच्छी तरह से करना जानता है । क्यों कि उसने सत्तर से अस्सी वर्ष तक के हर एक मौसम और हर एक लम्हों को देखा है ।

तीस वर्ष के व्यक्ति को अभी पचास वर्ष तक का सफर करना बाकी है  ।

अपने से ज्यादा आयु के लोगों के वाक्यों को समझें क्यों कि एक ही वाक्य के अनेक मतलब होते हैं ।

यदि आप के साथ ऐसे व्यक्ति हैं , तो उनसे डिसकस करें । हमेशा अपने से बड़ी आयु वाले लोगों को रिस्पेक्ट दें । उनके काम में मदद भी करें । 

उनके अनुभवों से कुछ सीखने , कुछ ज्ञ्यान प्राप्त करने का प्रयास करें ।

आप के कर्मों और सोंचों को सही राय एवं उचित रास्ता दिखाने वाली पुस्तक के समान होते हैं बूढ़े , बुजुर्ग लोग । इन बुढ़े , बुजुर्ग लोगों को भी आप की आवश्यकता है इन्हें कभी नेग्लेट न करें क्यों कि आप को भी कभी उनकी ज़रुरत थी ।

दोनों को एक-दूसरे की जरुरत तब-तक रहती है ।

जब-तक दोनों इस दुनियां में जिंदा रहते हैं ।

शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

स्वतंत्र यूनिवर्सिटी

इस दुनियां से बड़ी यूनिवर्सिटी कहीं नहीं है ।

यहां स्कूल , कालेज और यूनिवर्सिटीयों जैसी पढ़ाई करने के लिए कहीं भी जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है । यहां लिखने और पढ़ने की भी , कभी कोई जरूरत नहीं होती है ।

यहां की शिक्षा अमीर लोगों की नक़ल करना है । नौजवान से लेकर बूढ़े तक और ग़रीब से लेकर अमीर तक के सभी लोगों के लेक्चर को सुनना पड़ता है । निडर होकर बेबाक अंदाज में बात करना पड़ता है । इसी बीच अपने जीविकोपार्जन के लिए कड़े परिश्रमों से भी गुजरना पड़ता है ।

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयंम के विचारों में बहुत गहराई तक डूबना ही ज्यादा उपयोगी होता है ।

इसी यूनिवर्सिटी से निकले हुए छोटे , बड़े प्रोफेसर लोग देश चलाते हैं ।

जो लोग डिग्री के बल पर सर्वोच्च पदों को प्राप्त करते हैं । वे लोग भी स्वतंत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के गुलाम होते हैं ।

जरुरत पड़ने पर स्वतंत्र युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिग्री धारी अधिकारियों की डिग्रियों को उनके मुंह पर मार देते है ।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शोषण और छल

जब कोई अकेली लड़की या औरत अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलती है , तो वह शोषण का शिकार बनती है ।

जब कोई लड़का या मर्द अकेले अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलते हैं , तो वह छल का शिकार होते हैं ।

दोनों पक्षों में कोई सुरक्षित नहीं है ।

जिंदगी में कभी न कभी । किसी न किसी मोड़ पर उपरोक्त का शिकार तो होना ही है ।

शोषण और छल करने वाले किसी दूसरे ग्रह या गोले से नहीं आते हैं । यह लोग इसी धरती पर हमारे समाज में , हमारे आस-पास ही , अपने शिकार की तलाश में लगे रहते हैं ।

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

सोशल मीडिया पर पेज और चैनल

दुनियां में हर इंसान पैसा कमाना चाहता है ।

पैसा कमाने के लिए कभी-कभी वह उस हद से भी गुजर जाता है ।

जिसके लिए उसका दिल कभी गवारा नहीं करता  ।

आप के जिंदगी में क्या प्राब्लम है ?

कैसी घुटन है ? 

कैसा दर्द है ?

इस मामले में मैं कोई चर्चा नहीं करुंगा क्यों कि यह आप सभी लोगों का अपना - अपना निजी मामला है । मतलब यह है कि पुरे समाज में सभी के अपने - अपने तरीके हैं , जिसके मुताबिक सुख और दुःख हैं  ।

सभी के सीनों में एक दर्द है । एक सपने हैं , जिसे पूरा करने की चाहत और दर्द एवं घुटन से उसे दूर होने की उम्मीदें दबी पड़ी हैं । इस लिए इस टापिक को छोड़ता हूं ।

पैसा कमाने के लिए अब सोशल मीडिया भी अवसर दे रही है और बहुत सारे लोग हैं , जो अच्छी-खासी इनकम भी करते हैं ।

वाट्सएप , फेसबुक , इंस्टाग्राम , टेलीग्राम , स्नैपचैट ,

ट्विटर , यूट्यूब इत्यादि ।

कहीं भी जा कर अपना एकाउंट बना लीजिए और अपने अनुभव , अपने टैलेंट के अनुसार काम करिए ।

आप से एक बार सिर्फ एकाउंट वेरिफिकेशन किया जाता है । जिससे पता चल सके कि कोई और नहीं बल्कि एकाउंट क्रिएट करने वाले आप ही है ।

आप के किसी पोस्ट पर एप्रुवल लेने की जरूरत नहीं पड़ती यही कारण है कि आज जितनी भी सोशल साईटें हैं सभी में करोड़ों से उपर लोग हैं ।

फेसबुक में आप को पेज़ और ग्रूप बनाने का विकल्प दिया जाता है और लोग बनाते भी हैं ।

कुछ ग्रूप ऐसे हैं , जिसमें ज्वाइन करने पर मेम्बर बना दिया जाता है । आप के पोस्ट को एप्रूवल की कोई आवश्यकता नहीं होती । 

जैसे फेसबुक पर पोस्ट करते ही पब्लिक में शो होती है वैसे ही ग्रूप में भी शो होती है ।

यही कारण है कि उन ग्रूपों में भी लाखों और करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं ।

अगर आप ने कोई ग्रूप बनाया है , तो अपनी शर्तों को पहले ही बताएं , जिससे जुड़ने वाले लोग आप की शर्तों के मुताबिक जुड़ सकें ।

हर पोस्ट पर एप्रूवल जरुरी है , और एडमिन जिसकी पोस्ट को चाहे एप्रूफ दे कर पोस्ट करें , जिसकी पोस्ट को चाहें पेंडिंग में डाल कर न करें ।

ऐसी परिस्थितियों में ग्रूप ग्रो कैसे करेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जुड़ सकेंगे ।

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जुड़े हुए लोग ग्रूप को छोड़ने लगते हैं , और अगर पड़े भी रहते हैं तो कोई पोस्ट नहीं करते । अगर कोई नोटिफिकेशन आता भी है तो उसे देखने के बजाय स्क्रीन पर से ही स्कीप कर के हटा दिया जाता है ।

मेरे कहने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि कोई भी ग्रूप बनाएं तो उसमें आप कैसी पोस्ट चाहते हैं  । अपने नीयम और शर्तों को बता दें , जिससे जुड़ने वाले लोग अपनी हद में पोस्ट और कमेन्ट कर सकें , यदि कोई अभद्रता करता है , तो उसे नोटिस करें उसपर भी न माने तो एकाउंट ब्लॉक कर दें ।

लेकिन ग्रूप या चैनल जो कुछ भी हो उसमें जुड़ने वाले लोग अपने विचारों को , अपने लेखों को , अपने कलाओं को  , सीधे प्रस्तुत करने का मौका प्राप्त कर सकें  । एप्रूवल वाले मामले में जब ज्यादा लोग जुड़े होते हैं , तो एडमिन को इतना समय भी नहीं मिलता कि वह यह देख सकें कि कौन सी पोस्ट एप्रूफ हो चुकी है और कौन सी पोस्ट अभी पेंडिंग में पड़ी हुई है ।

प्लेटफार्म स्वतंत्र होना चाहिए जब फेसबुक , इंस्टाग्राम टेलीग्राम , स्नैपचैट आदि ने एप्रूवल की सीमा को हटा चुकीं हैं , जिसका परिणाम दुनियां के सामने है । आज़ ये मिडिया उस मुकाम पर हैं , कि जहां हम और आप भी उन्हीं के प्लेटफार्म पर काम करते हैं । हमारा या आप का कोई पर्सनल एप या सोशल मीडिया का कोई साईट नहीं है।

संक्षिप्त में इतना ही काफी है । आगे आप के पेज़ हैं । आप का चैनल है । आप का विचार है , और आप की मर्जी है ।



शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

इस दुनियां में

1 - मैं इस दुनियां में मुकम्मल भेजा गया था ।
मुझे मालूम नहीं था, कि यहां दिलों को , सपनों को , घरों को , समाजों को , रिश्तों को मतलब हर तरह से तोड़ने वाले लोग भी मिलते हैं । जिन सपनों को अपने दिलोदिमाग में बरसों सज़ा के रक्खा था , अब टुकड़े समेटने पे भी कोई अक्श नहीं मिलता ।

2 - मैं इस दुनियां में मुहब्बत से , मुहब्बत के लिए
मुहब्बत लेकर आया था ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां नफरत और दर्द देने वाले लोग भी मिलते हैं ।

3 - मैं इस दुनियां में जिसके माध्यम से आया ।
उसी ने मुझे रिश्तों के जाल में फंसाया ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां रिश्तों का कोई मोल नहीं होता । यहां रिश्तों को तार - तार करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

4 - मैं इस दुनियां में सच्चाई , इमानदारी , प्रेम और अपनापन लेकर आया था । मुझे मालूम नहीं था कि यहां सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

5 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे दूध पीने को मिला । जिसने मुझे दूध पिलाया उसी ने मुझे तरह - तरह के खाने भी खिलाये । मुझे मालूम नहीं था , कि यहां गांजा ,

भांग ,

चरस , अफ़ीम , स्मैक , ताड़ी , शराब पीने और पिलाने वाले लोग भी मिलते हैं ।

6 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था , कि इस दुनियां में मुझे किसने भेजा है ?
मैं जिसके माध्यम से इस दुनियां में आया , तो उसी ने मुझे बताया कि तुम्हें इस दुनियां में किसने भेजा है ।

7 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था कि दुःख दर्द सुन कर हंसने , मज़ाक उड़ानें और खुश होने वाले लोग भी मिलते हैं ।

इस लिए तुम अपनी सारी बात । सभी दुःख दर्द और जरुरतें , उसी से कहो जिसने तुम्हें इस दुनियां में भेजा है , वो कभी हंसेगा नहीं । वो कभी मज़ाक नहीं उडाएग । वो बहुत खुश होगा , कि मेरे बन्दे ने आज मुझसे कुछ कहा है ।

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

सामान के बदले सामान

वही दौर अच्छा था । जब लोग सामान के बदले सामान लिया और दिया करते थे ।
तब आपसी प्रेम भी बहुत ज्यादा था ।
जबसे नोट की धुर्री पर दुनिया आयी तब से विभिन्न प्रकार के अपराध और विवाद बढ गये हैं । भाई - भाई से दूर हो रहा है । बेटा बाप से दूर हो गया है । कोई पागल हो जाता है , तो किसी का हार्ट अटैक हो जाता है , कोई गलत राह चुन लेता है , तो कोई संन्यास ले लेता है ।

शनिवार, 23 सितंबर 2023

अपराध क्यों ? और किसके लिए ?

तुमने पैदा हुए बच्चे को भी देखा है ।

तुमने बच्चे को दौड़ते खेलते हुए भी देखा है ।

तुमने नौजवानों को भी देखा है ।

तुमने बीमार को भी देखा है ।

तुमने बुढ़े हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने मरे हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने हर परिस्थितियों में

विभिन्न प्रकार के लोगों को भी देखा है ।

जब यह साबित हो गया है कि 

यहां कोई भी ज़िंदा नहीं रहेगा ।

आदमी से लेकर जानवर तक ।

पेड़ से लेकर पहाड़ तक ।

सब को एक दिन मरना ही है ।

तो फ़िर तरह - तरह के अपराध क्यों ?

और किसके लिए ?

परिस्थितियां हमेसा एक जैसी नहीं होती हैं ।

कभी तुम अपने लिए जीते हो ।

कभी अपनों के लिए जीते हो ।

कभी औरों के लिए जीते हो ।

कोई भी परिस्थिति यह कभी नहीं कहती है कि

तुम अपराध करो ।

चाहे अपने लिए हो ...... ।

अपनों के लिए हो या औरों के लिए हो ।

तुमने अगर किसी के लिए भी अपराध किया है ।

तो उसके भागीदार , उसकी जवाबदेही और उसका पाप , पुन्य , दंड से उन लोगों का कोई मतलब और सरोकार नहीं है ।

सारी चीजें तुम्हीं पर आएंगी ।

इस दुनियां से जाने के पहले तीन चीजें होती हैं ।

1 - अपने अपराध के द्वारा जुटाई गई सारी चल अचल संपत्ति या तो किसी को देकर जाओगे ।

2 - या तो छोड़ कर जाओगे ।

3 - या तो मिटा कर जाओगे ।

यह सब यही पर बट कर बिखर जाने वाली है ।

यहां से कुछ भी साथ में लेकर जाने का कोई भी रास्ता नहीं है ।

दुनियां से कैसे जाता है आदमी यह भी तुमने देखा है ।

तुम्हें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है ।

इस दुनियां में हर लोग अपनी - अपनी किस्मत लेकर आते हैं और उसी के मुताबिक जीते हैं , फिर चले जाते हैं । हां इतना जरूर कहूंगा कि तुम्हारे माध्यम से इस दुनियां में जो आया है , उसकी जिम्मेदारियां तब तक तुम्हारे उपर हैं । जब-तक की वो अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए ।

तुम जब-तक जिंदा हो तब तक जो ज़िम्मेदारियां तुम्हारी बनती हैं , उसे जायज़ तरीके से पुरा करने की कोशिश करो ।

यह ख्याल रहे कि इसमें कोई भी क़दम ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो नाजायज और अपराधिक तरीके से हों ।

रविवार, 20 अगस्त 2023

दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है

जब तुम मेरे पास होते हो ........... ।
तो न कहीं जाने को मन करता है और न किसी परिचित या मित्र से मिलने का जी चाहता है ।
मन बस यही चाहता है , कि चुपचाप तुम्हारे साथ तुम्हारे पास ही पड़ा रहूं  लेकिन जब किसी का फोन आ जाता है । तब बहुत डिस्टर्बेंस महसूस होता है , और जब कोई मिलने को कहता है । तब तो और भी मन खौल उठता है , लेकिन जब कोई यह कह देता है , कि मैं आप से मिलने के लिए आ रहा हूं । तब तो ऐसा लगता है , कि जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी । 
क्या करुं यह सब , तब ही होता है । जब तुम मेरे पास मेरे साथ होते हो............. ।
सोचता हूं कि वह दिन कैसा होगा ?
उस दिन का एक - एक पल कैसा होगा । 
जब तुम मेरे साथ मेरे पास नहीं होगे ।
दुनियां की सारी रंगीनियां ............. ।
दुनियां के सारे ऐशो-आराम ..…....... ।
दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है ।
मेरे बिना हो सकता है कि तुम कुछ हो सकते हो ।
लेकिन तुम्हारे बिना तो मैं कुछ भी नहीं हूं ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई प्रतिबंध नहीं है....... ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई दबाव भी नहीं है.......... ।
यह सिर्फ इस लिए है , कि मुझे तुम्हारे ऊपर अटूट विश्वास है , और इससे भी ज्यादा अगर कुछ है । तो वह तुमसे बे पनाह मुहब्बत है ।
ये अलग बात है कि मैं एक जिस्म में हूं , लेकिन 
मेरी हर धड़कन....... ।  
मेरी हर सांसें...... । 
यहां तक कि मेरी जान भी तुम्हारे अंदर ही है ।
मेरा जीना भी तुमसे ही है और
मेरा मरना भी तुमसे ही है ।
तुम्हारे बगैर मैं सिर्फ एक ढांचे की तरह ही हूं ।
मेरे लिए ..... । 
मुझे इस दुनियां में ज़िंदा रहने के लिए ।
तुम्हारा मेरे पास होना ज़रूरी है ।
तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है ।
तुम्हारी ज़रा सी भी उदासी.....। ख़ामोशी..... । और मायुसी..... ।
मेरा सुख चैन सब छींन लेती है ।
जब कभी फुर्सत के वक्त मिले , तो दो मिनट के लिए ही सही मगर एक बार मेरे बारे में भी जरुर सोंच लेना ।
मुझे उम्मीद है कि तुम्हें इस बात का एहसास हो जाएगा , कि तुम्हें मैंने किस नज़रिए से देखा है । तुम्हें अपना क्या समझा है ।
तुम्हें अपने रुह की गहराइयों से क्या महसूस किया है....... ।

रविवार, 26 जून 2022

छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए

एक फिल्म देखा था , "मदर इंडिया " जिसमें नायक की पारिवारिक स्थिति दयनीय है।
नायक और नायिका यानी कि पति और पत्नी दोनों खेत की जुताई करते हैं। खेत जोतने के बीच एक बहुत वजन और बड़ा पत्थर का टुकड़ा पड़ा हुआ था , जिसे नायक ने स्वयं अकेले ही उसे अपने दोनों हाथों से ढकेल कर खेत से बाहर निकालने की कोशिश करता है । अचानक वह पत्थर का टुकड़ा ऊपर से नीचे की ओर सरक जाता है , जिसमें नायक का दोनों हाथ दब कर खराब हो जाता है।
अब उसकी जिंदगी बिना हाथ के न जीने के लायक रही और न मरने के।
एक रात वह उठा और अपने बीबी और बच्चों को देखा न जाने वह मोह माया और अपने लाचारी के सोचों के कितने हद तक पहुंच गया कि उसी रात चुपके से घर छोड़ कर गायब हो गया , उसके बाद से उसका पता पुरी फिल्म में कहीं नहीं चला।
इस घटनाक्रम को बताने कि जरुरत क्यों पड़ी मुझे ? 
 सिर्फ इस लिए कि जो लोग आत्म हत्या कर लेते हैं।
आत्म हत्या का मतलब क्या है ?
अपने ही हाथों द्वारा अपने जीवन लीला को समाप्त कर देना । सवाल के मुताबिक तो जवाब यही होगा।
लेकिन आत्म हत्या की जरुरत क्यों पड़ती है ?
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं , आप खुद भी सोंच सकते हैं , जिसकी वजह से आत्म हत्या करने वाले के दिलोदिमाग में यह गुज जाता है कि अब आगे और जिवित रहने कि कोई आवश्यकता नहीं है।
अल्लाह (ईश्वर) न करे कि किसी के जिंदगी में ऐसा मोड़ आए।
यह जीवन है । इस जीवन में बहुत सारे मोड़ आते हैं , जिनको आप स्वयं ही मैनेज कर सकते हैं और आप को ही मैनेज करना भी पड़ता है फिर भी अगर ऐसे मोड़ पर आकर खड़े हो गए हों जहां मौत के सिवा कोई रास्ता न रह गया हो , तो भी आप को एक काम करना चाहिए ।
वह कौन सा काम है ? जिसे आत्महत्या के पहले करना चाहिए ।
यह सोचना चाहिए कि आप के मरने से कितने लोग कानूनी और मानसिक रुप से परेशान होंगे ।
यह अलग बात है कि आप सोसाईट नोट तैयार कर देंगे फिर भी लोगों को आप के न होने का दर्द तो रहेगा ही ।
वहां दर्द कम होता है जब आप अचानक गायब हो जाएंगे । जैसे ऊपर मैंने फिल्म का एक शाट दिखाया वहां भी वह मर सकता था लेकिन कैसे ? फंदा लगा नहीं सकता , ज़हर खा नहीं सकता क्यों कि उसके पास तो दोनों हाथ ही नहीं हैं , फिर भी वह दरिया में डूब सकता था । ट्रेन के आगे आ सकता था । मरने का रास्ता उसे मिल जाता मगर उसने आत्महत्या नहीं किया , फिर आप क्यों ?
आप भी वहां से गायब हो जाइए न , जहां आप अपनी जीवन लीला समाप्त करना चाहते हैं ।
दुनियां छोटी नहीं है । आप की सोचों से भी बड़ी है।
जाओ ......। 
ऐसी जगह चले जाओ कि जहां तुम्हारी आखरी सांस तक तुम्हारा कोई जानने वाला तुमसे न मिल पाए और न तो कभी जान पाए , क्यों कि तुम उन सभी के लिए मर चुके हो जो भी तुम्हें जानते हैं । 
वहां अपने जिंदगी की सुरुआत ऐसे करो कि जैसे तुमने एक नया जीवन पाया है ।
बस हो गई आत्महत्या । यही तो है आत्महत्या ।
इस जीवन को जिसने दिया है । उसी को समाप्त करने दो , खुद से समाप्त करने का तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है । खुद से समाप्त करने पर आत्म लोक में नहीं जाओगे बल्कि प्रेतलोक में चले जाओगे । 
अंत में बस इतना ही -
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए ।
मे मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए ।।
लेख पसंद आये तो कमेंट जरुर करें , यदि कोई कमी महसूस हो तो सलाह जरुर दें ।

शनिवार, 25 सितंबर 2021

बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है

कूछ बाधाएं हैं जो जिंदगी के साथ-साथ चलतीं हैं और जिंदगी के साथ खतम होती हैं ।
कुछ बाधाएं हैं जो खुद जब चाहेंगी तभी खतम होंगी ।
कुछ बाधाएं एसी होती हैं कि जिनके खतम होने के इंतजार में आधी से ज्यादा उम्र खतम हो जाती है । उस वक्त बाधाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता , रहे या जाए ।
आवश्यकताओं के समय बाधा दुनिया के सबसे बड़ी दीवार से भी बड़ी लगती है ।
ऐसे में क्या करें ?
कोई भी बाधा आए उसको हटाने के प्रयास में अपना समय मत गवाएं ।
कभी भी बैठ कर उसे हटने का इंतजार मत करें ।
सभी प्रकार के बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो ये है कि बाधाओं से उलझिए मत उससे अपना पिंड छुड़ा लिजिए , अपने आप को वहां से हटा कर दूसरा रास्ता पकड़ लें । एक ऐसा रास्ता जो आप को आप की मंजिल तक ले जा सके ।

सोमवार, 30 अगस्त 2021

पैसे का लेन-देन कैसे करें

पैसे का लेन-देन इंसान की सकल सूरत देख कर और उसके रहन - सहन को सुन कर नहीं करना चाहिए , क्यों कि आप को उसके पीछे के असलियत का क्या पता  ? 

अच्छे लिबास या लच्छेदार बातों से किसी के किरदार साबित नहीं होते ।
पैसे का लेन-देन जिसके साथ करना है , उसकी खुद की  हैसियत और उसके खुद के कारोबार के अनुसार किया जाना चाहिए , जिससे अगर उसका कारोबार ढंफ हो जाय तो वो अपने हैसियत के अनुसार अपनी नीजी एवं चल - अचल  संपत्ति को इधर - उधर कर के आप के पैसे को वापस कर सकने की क्षमता रखता हो ।
यह बात इस लिए कह रहा हूं  कि जो लोग कुछ कर रहे हैं , वे लोग अपने छोटे या बड़े कारोबार में रमें हुए हैं । उनके पास स्वयं का एक तजुर्बा है । इसके बावजूद हर कारोबारी को अकस्मात किसी न किसी से अक्सर लेन - देन करना पड़ जाता है ।
लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं , जो अपने दिमाग में कारोबार की पुरी रुपरेखा तैयार कर लेते हैं , लेकिन न तो धरातल पर उस करोबार को कभी किया है । न तो इस करोबार को करने वाले के साथ कभी रहे हैं  , और न तो कोई इसका अनुभव रहता है । ऐसे में इसे एक रिसर्च ही कहा जा सकता है ।
अगर निकल पड़ा तो फिर क्या पूछना ?
फिर तो चांदी ही चांदी , आगे चल कर सोना भी हो सकता है । 
लेकिन अगर डम्फ हुआ तो ?
उसकी सोंच , के अनुसार, उसका प्रेक्टिकल तो हो जाएगा लेकिन ,
आप के लागत की वापसी का क्या होगा ?
एक पुरानी कहावत याद आती है कि ,
हम तो डूबेंगे सनम ।
तुमको भी ले डूबेंगे ।।
मेरे कहने का मतलब आप समझ गए होंगे । इस लिए आप इस डूबने और डुबाने के चक्कर में न पड़ें तो ही अच्छा है ।
अगर आप के पास एक्स्ट्रा पैसा है , तो थोड़े पैसे से खुद कोई कारोबार कर के स्वयं प्रेक्टिकल करें जिससे आप को स्वयं में बहुत बड़ा अनुभव होगा । जो आप का नीजी प्रेक्टिकल कहलाएगा ।
इस बात का आप को कभी दुःख भी नहीं होगा कि मेरा ज्यादा पैसा किसी ने डुबा दिया और मैं कंगाल हो गया ।
नोंट - 
आप कितने धनवान हैं , इसकी कभी शो बाज़ी न करें ।
उपर बताए गए बातों के अनुसार काम करें ।
अगर आप के पास इतना पैसा हो कि लाख - पचास हजार डूब जाए तो भी कोई परवाह नहीं , तो इतने ही पैसे मैं लगा सकता हूं यह जरुर बताएं जिससे सामने वाले पार्टनर को जितना कम पड़ रहा है । उसकी वो व्यवस्था करेगा  । आप अपनी पुरी जमा पूंजी लगाने की जिम्मेदारी कभी न लें ।
अगर स्वयं ही कोई कारोबार करना हो तो भी अपनी पुरी जमा पूंजी से न करें , पहले थोड़े से करें और उसका रिजल्ट देखे फिर उसे आवश्यकता के अनुसार आगे बढ़ाएं ।
बहुत सारे कारोबार ऐसे भी हैं , जो ज्यादा पुंजी से ही होते हैं ।
यह ज्यादा पुंजी वाला कारोबार किसी का देख कर करने से पहले , आप ऐसे कारोबारी के साथ उनका हाथ बंटाने के तौर पर लग कर , या उनके कारोबार में काम करने के तौर पर लग कर सीखें और समझें । जिससे आप के मन में कोई संशय नहीं रह जाएगा । आप नये हैं इसका भी डर नहीं होगा ।
काम सीखना कोई बुरी बात नहीं है । जैसे भी सीखें मगर सीखना चाहिए ।

सोमवार, 23 अगस्त 2021

भय , भूख और बीमारी

भय , भूख और बीमारीइन तीनों से मानव जाति का बहुत गहरा नाता है । भय से मरना , बीमारी से मरना तो समझ में आता है , लेकिन भूख से मरना , कभी - कभी समझ से परे हो जाता है ।
भूख से किसी नवजवान , बूढ़ों या बच्चों का मरना पूरे मानव जाति के लिए इस पृथ्वी पर सबसे बड़े कलंक के समान है ।
पूरे पृथ्वी पर जितने मानव हैं , इसके कई गुना ज्यादा आहार भी इस पृथ्वी पर हैं , लेकिन किसी के भाग्य में भूख से मरना लिखा है , तो मैं और आप क्या कर सकते हैं ?
किसी के भाग्य को नहीं बदल सकते ।
इतना ज़रूर करें कि आप के साथ जो कोई भी हो । आप के आसपास जो कोई भी हो और आप के सुबह शाम टहलने के रेंज में जितने भी लोग आते हैं , उनमें से कोई भी भूखा न रह जाए । आप अपनी छमता के अनुसार ख्याल रक्खें ।

बुधवार, 28 जुलाई 2021

अपनी सुरक्षा के साथ ही साथ अपने लोगों की सुरक्षा स्वयं करें

बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए उनकी उम्र और वज़न के हिसाब से खाने और पीने की चीजों में कैलोरी और पौष्टिकता पर विषेश ध्यान दिया जाना चाहिए , अन्यथा कुपोषण के अतिरिक्त कई बिमारियों के शिकार हो जाते हैं लोग । खाने में कितनी कैलोरी और कितनी पौष्टिकता होनी चाहिए ?
खाने का समय , 
नाश्ते का समय , 
चाय पान के समय पर अब बहुत कम लोगों का ध्यान रह गया है ।
सबसे ज्यादा समय और सबसे ज्यादा लोगों की जिंदगी में स्थान अब दवाओं ने ले लिया है ।
लोगों को यह भय और एहसास हो चुका है कि , मैं खाने के बगैर दो-चार टाईम तो जरुर जी सकता हूं लेकिन दवा के बगैर एक टाईम भी नहीं ।
एक वक्त था जब डाक्टर्स लोगों को उनके गंभीर बिमारियों को न बताकर बल्कि उनको संतुष्टी पुर्वक तसल्ली दिया करते थे , ताकी पेसेंट अपनी बीमारी को जान न पाए , वर्ना वह डर कर घबराने लगे गा । गंभीर बीमारियों को पेसेंट के करीबी लोगों से ऐसे बताया जाता था कि पेसेन्ट को एहसास भी न हो कि उसके बीमारी के बारे में चर्चा किया जा रहा है लेकिन आज पैसा कमाने के लालच में , लोगों को डराया जा रहा है । जिसका नतीजा यह है कि बिना ह्रदय रोग के वे ह्रदय के रोगी हो जा रहे हैं ।
तमाम लोगों को हर्ट अटैक भी हो जाता है ।
कुछ लोग न्युरो के मरीज भी हो जाते हैं ।
बस स्टेशन पर , रेलवे स्टेशन पर , गाड़ियों में तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मैंने देखा है कि वहां लिखा हुआ है ।
अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें जब कि यह दौर ऐसा चल रहा है कि अपने सामान से ज्यादा अपनी सुरक्षा स्वयं करें । आप जब-तक अपनी सुरक्षा स्वयं नहीं करेंगे तब तक आप की सुरक्षा कोई दूसरा नहीं कर सकता है ।
आप अपनी सुरक्षा के साथ ही साथ अपने लोगों की सुरक्षा स्वयं करें ।

शनिवार, 29 मई 2021

फिरौन बादशाह । एक दौर ऐसा भी गुज़रा है

एक दौर ऐसा भी गुजरा है , जिस दौर में राज़ा , नवाब और बादशाह की हुकूमत हुआ करती थी ।
हिरन , मोर , तीतर , बटेर , और शुर्खाब के शिकार होते थे और उनसे तरह- तरह के स्वादिष्ट मीट पकवाये जाते थे ।
इसके लिए राजाओं के पास स्पेशल भंडारी और नवाब एवम बादशाहों के पास स्पेशल बावर्ची रक्खे जाते थे ।
अशर्फियों से दाल फ्राई होती थी । दांतों में फंसी हुई चीज़ को निकालने के लिए सोने की तिल्ली का इस्तेमाल किया जाता था ।
तीन सौ पैंसठ रानियां । कुछ लोगों के पास हजारों रानियां फिर उसपर से पट रानियां । एक का नंबर अगर अपने पति के साथ रात गुजारने का आ गया तो फिर साल भर बाद ही आएगा , लेकिन उनका क्या ? जिनके पास हजारों रानियां थीं । पता नहीं अपनी पुरी जिंदगी में दुबारा साथ रहने का अवसर आया होगा या नहीं ?
आज़ कहां हैं वो लोग ? कहां गया वो दौर ? एक वही बचा हुआ है । फिरौन बादशाह जिसे देख कर जिसके बारे में पढ़ कर यह लगता है , कि जो गुज़रे हुए दौर है , जो गुजरी हुई दास्तानें है , वो सही हैं , बनिस्बत इसके कि उन दास्तानें में किसी भी तरह का यदि परिवर्तन न किया गया हो ।

फिरौन को जिसने दुनियां में भेजा है , वही उनको आज़ भी दुनियां में क़ायम रक्खा है , और क़यामत ( प्रलय ) तक क़ायम रक्खेंगा ।
लेकिन आज़ उसकी हवेली , उसका राजदरबार , उसका सब कुछ लोगों ने ले लिया है । लावारिश लाश में परिवर्तित हो कर ठेले पर पड़ा हुआ है । पहले जिस म्युजिअम ने उसे रक्खा था , सुना है कि अब उसने भी म्युजिअम से बाहर निकाल दिया है ।
बेहतर होता कि उसे उसके राजदरबार में ही रक्खा जाता ताकि लोग उसका राजदरबार भी देखते ।
काश अगर उसके अंदर जान आ जाए तो वहां के लोग उसके गुलाम होंगे और उसकी बादशाहत पुनः क़ायम हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होगा । मगर उसके देश में आज़ की हुकूमत को चाहिए कि उसकी हर एक चीज़ को महफूज़ रक्खें जिससे लोग उसे देखने के बाद उससे जुड़ी हुई उसकी हर चीज़ को देख सकें और उसके बारे में सोचें कि ऐसा उसके उसके साथ क्यूं हुआ ? , जिसकी वज़ह से उसकी मरी हुई शरीर को न पानी अपने अन्दर समाने देती हैं , न ज़मीन अपने अंदर दफनाने देती है और न तो आग उसे जला पाती हैं ।
फिरौन की कहानी बहुत लंबी है , मैं उनकी कहानी नहीं सुनाना चाहता हूं । अगर आप को इनके बारे में डिटेल जानना चाहते हैं तो नेट पर सर्च कर के देख और पढ़ सकते हैं । मैंने गुज़रे हुए दो चार पल को बताया है , वो सिर्फ इस लिए की बीते हुए दौर में और आज के दौर में थोड़ा नहीं , बहुत फासला है । वो दौर उसी तरह का था जिस तरह के लोग थे । आज दौर वैसा है , जैसे लोग हैं ।
बहुत सारे लोग अल्लाह के ताक़त पर नतमस्तक नहीं हैं ।लेकिन मैं तो पूरी तरह से हूं , सिर्फ एक फिरौन को देख कर नहीं बल्कि बहुत सारी बातें सुन कर और पढ़ कर ।
इस दुनियां में मरे हुए लोगों का गुजारा नहीं है , लेकिन फिरौन आज़ भी दुनियां में क्यूं है ? और ये (प्रलय) क़यामत तक ऐसे ही रहेगा । दुनियां में कोई ऐसी ताकत नहीं है कि फिरौन बादशाह के इस मृत्यु शरीर को खत्म कर दें ।
तुम्हारी ख्वाहिशें छोटी हो या बड़ी ।
तुम्हारे सपने छोटे हों या बड़े ।
इस दुनियां में तुम्हारे जीने की उम्र छोटी हो या बड़ी ।
तुम्हें वही मिलेगा और तुम वही करोगे जो अपने नसीब में लेकर आए हो ।