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शनिवार, 11 नवंबर 2023

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास किसे कहते हैं ?

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास क्या है , और किसे कहते हैं ?

 अपने ख्यालों , अपने विचारों , और अपनी बातों को एक तारतम्यता में लय बद्ध तरीके से पेश करना , कहना , लिखना या सुनाना ही गीत ग़ज़ल और कविता कहलाती है । 

जिसमें लोकहित , समाजहीत , देशहित , प्रेम , वियोग , अंतरात्मा की आवाज , वृतांत , आदि इत्यादि समाहित होते हैं ।


नोट - 

ऊपर दी गई जानकारी संक्षिप्त रुप में निचोड़ है ।

इसके अतिरिक्त अगर आप विस्तार पूर्वक व्याख्यान पढ़ना चाहते हैं , तो गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास पर अलग-अलग टापिकों की आप को मोटी - मोटी पुस्तकें मार्केट में और लाइब्रेरियों में मिलेंगी  । मेरे समझ से उन पोथों को पढ़ने की आवश्यकता तब है । जब आप को उस तरह के बनने की जरुरत हो । तब आप को इन क्षेत्रों में पुर्ण रुप से ज्ञान प्राप्त करना जरुरी हो जाता है ।

उस के बाद जिस टापिक का आप ने पोथा पढ़ा है , उस प्रकार के गुरु के शिष्य बन जाईए और उनके समीप रह कर प्रेक्टिस करिये अपने द्वारा तैयार किये गये रचना की प्रतिलिपि गुरु से जांच कराएं ।

यह कार्य तब-तक करना है । जब-तक आप पुर्ण रुप से परिपक्व नहीं हो जाते हैं ।

सोमवार, 6 नवंबर 2023

नामकरण

बच्चे के जन्म के बाद पिता को अपने बच्चे पर बहुत प्रेम आया तो उसने उसका नाम चिंटू रक्खा , अब सभी लोग और स्वयं भी चिंटुआ ही कह कर पुकारने लगे ।

चिंटुआ जब पांच साल का हो गया , तो उसके पिता ने उसका नाम स्कूल में लिखवा दिया ।

स्कूल में चिंटुआ का नाम विकास लिखवाया गया । चिंटुआ जब क्लास में गया तो सर जी ने अटेंडेंस लेना शुरु किया , लेकिन विकास नाम का कोई छात्र नहीं खड़ा हुआ , लास्ट में सर जी ने पूछा - 

तुमने अटेंडेंस क्यों नहीं बोला  ?

तो चिंटुआ ने कहा कि मेरा नाम नहीं आया सर  ।

सर जी ने पूछा -

क्या नाम है तुम्हारा ?

उसने कहा चिंटुआ ।

सर जी ने रजिस्टर खोल कर देखा उसमें सिर्फ एक ही  नाम विकास का बचा हुआ था , फिर फोटो से मिलाया तो वह चिंटुआ का ही फोटो था ।

सर जी ने कहा कि तुम्हारा नाम विकास है ।

जब विकास का नाम आए तो यस सर कहना ।

चिंटुआ ने घर जा कर सबसे कहा कि स्कूल में सर जी ने मरा नाम बदल दिया है । वह मुझे विकास कहते हैं और अपने रिजिस्टर में भी यही नाम लिखें हैं  । 

 तब चिंटुआ के पापा ने कहा कि - 

बेटा सर जी ने नाम नहीं बदला है । मैंने खुद तुम्हारा नाम विकास लिखवाया है ।

तो आप लोग हमेशा मुझे चिंटुआ क्यों कहते थे ? 

मुझे कभी बताया भी नहीं कि मेरा नाम विकास है ।

तो दोस्तों कहने का मतलब है , कि बच्चों को हमेशा एक ही नाम से पुकारें जो उसका वास्तविक नाम है । जिससे उसे भी पता रहे , कि मेरा वास्तविक नाम यही है । कभी - कभी बच्चे जब खो जाते हैं , तो वह  घर पर पुकारने वाला नाम ही बताते हैं ।

जब कि इस्तहार ( गुमसुदा की तलाश ) में घर वाले अक्सर असली नाम लिखवाते हैं । जिससे पता चलने में कठिनाइयां आती हैं । इस लिए कृप्या नाम और बच्चे की मानसिकता पर ध्यान दें । ज्योतिषाचार्यों का भी कहना है , कि नाम का असर भाग्य और कर्म दोनों पर पड़ता है ।

रविवार, 29 अक्तूबर 2023

परंपराएं

धार्मिक परंपराओं को जड़ से मिटाने का प्रयास करने वाले लोग भी हैं , और धार्मिक परंपराओं को क़ायम रखने वाले लोग भी हैं ।

जो धार्मिक परंपराएं सदियों से और कई पुस्तों से चली आ रहीं हैं । उन धार्मिक परंपराओं में किसी भी प्रकार या माध्यम से छेड़छाड़ करना उचित नहीं है । अपनी - अपनी आस्थाओं , मान्यताओं और परंपराओं के मुताबिक जो जैसे ख़ुश हैं । उसमें उन्हें ख़ुश रहने दिया जाना चाहिए ।

इसके अलावा आज के परिवेश में कुछ एैसी भी धार्मिक और सामाजिक परंपराएं उत्पन्न हो रही हैं , कि जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी ।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन

कुछ काम भी ऐसे हैं । कुछ बातें भी ऐसी हैं । जिन्हें हम लोगों की नज़रों से छुप - छुप कर करते हैं ।
जहां तन्हाई होती है  । जहां हम अकेले होते हैं  । न तो किसी के होने का भय और न तो किसी के आने कि चिंता  । उस समय आपस की सारी शर्मोहया की दीवारें टूट जातीं हैं । आपस का सारा भय मिट जाता है ।
इस एकांत तन्हाई में निर्भय होकर क्या होता है । इसको हम भी जानते हैं और आप भी जानते हैं ।
यही चीज जब सामाजिक हो जाती है । सभी के संज्ञान में आ जाती है , कि यह दो लोग अब एक सुत्र में बध चुके हैं । अब ये दोनों लोग अपना जीवन अपने हिसाब से जीएंगे । तब हम दोनों एक साथ एक घर में होते हैं  ।
जिस घर में हम होते हैं । उस घर में एक पुरा परिवार भी होता है । जहां सबको पता होता है कि हम दोनों आपस में क्या हैं और फिर हम दोनों सभी के कुछ न कुछ तो लगते ही हैं ।
उस समय बहुत लाज लगती है । जिस समय हम दोनों अकेले एक रुम में होते हैं । यह बात हर पल दिमाग़ में घूमती रहती है , कि इस अकेले पन में क्या हो सकता है  । आखिर यह तन्हाई किस लिए है ? इस बात को तो इस घर में रहने वाले अधिकतर लोग जानते होंगे ।
यह विचार उस तरह की जिंदगी नहीं जीने देता जो जिंदगी पहले के अकेलेपन में था  । जब लोगों से लुका छुपी में  बीत रहा था ।
उस समय हम निर्भय थे । आपस के एक विचारधारा में थे । एक ही सोंच और एक ही ख्याल में थे । तब विचारों के विचलित होने का भी कोई डर नहीं था ।
लेकिन परिवार में तो एकाग्र होना । निर्भय होना । एक सुत्र में बंध कर हर छण को जी पाना संभव ही नहीं हो पाता है ।
क्या इस घरेलू परंपरा से समाज में सभ्यता क़ायम हो सकती है ?
मेरे समझ से शादी तब हो जब अपना निजी घर हो लेकिन ऐसा भारत में पांच पर्सेंट लोग ही कर सकते हैं  । पंचानबे पर्सेंट लोगों को तो अपने पिता के घर में ही रहना पड़ता है  । इस मुआमले में पिता खुद यह चाहता है , कि मेरी पतोह मेरे ही घर में रहे  । जब कि बहुत कम घर ऐसे होते हैं कि जहां छोटा परिवार है  । हमारे देश में अधिकतर ज्वाइंट फैमिली हैं । जिसमें विवाहित लोग भी होते हैं और अविवाहित लोग भी होते हैं  ।
मस्तिष्क है तो सोचना समझना तो सभी को पड़ता है  । कोई भी आज के दौर में  इस परंपरागत बातों से अंजान नहीं है  , फर्क सिर्फ इतना ही है कि सभी लोग खामोशी साधे हुए परंपरागत तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं  । जब कि यह परंपरा नहीं है , कि हम उसी ज्वाइंट फैमिली वाले मकान में रहें  । आर्थिक अभाव ने इस समस्या को सहते - सहते परंपरा बना दिया है ।
लगभग पंचानबे पर्सेंट लोगों को अपना घर बनाना पड़ता है  , लेकिन तब , जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और आगे वही चीजें वे बच्चे भी झेलते हैं  , जो हम आप अपने पिता के ज्वाइंट फैमिली में झेलते हैं ।
इस लिए हर माता-पिता और हर सास - ससुर को चाहिए कि दहेज़ और दिखावे को त्याग कर उन दिनों को एक मकान की व्यवस्था में सहयोग करें जिससे ये दोनों अपनी जिंदगी अपने शौक , अपनी खुशियों और अपनी चाहतों के मुताबिक जी सकें ।
ऐसा करने से कोई किसी से बिछड़ नहीं जाता है और न तो दूर हो जाता है , बल्कि परिवार , भाई , बहन , रिश्तेदार सभी से लगाव बढ़ जाता है । सभी से आपसी प्रेम और भाईचारा बना रहता है ।
यह खंडित तब हो जाता है  । इसमें नफरत तब पैदा हो जाती है । जब आपसी विवाद कर के हमें या आप को या आने वाली संतानों को अलग-अलग होना पड़ता है ।
सारा जीवन फुर्सत और तन्हाई का समय ढूंढने में निकल जाता है । बिड़ले ही होंगे जिन्हें ऐसा समय मिलता होगा । अगर हया है । लाज और शर्म है तो ऐसे समय का मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य के समान होता है अन्यथा आदमी अगर बेशर्म हो जाय तो समय भी है । फुर्सत भी है । उनके होंठों पर चुप्पी भी है जिन्होंने उन्हें इस के लिए मान्यता दी है ।
चाहे बच्चे हों , जवान हों या बूढ़े हों ।
सबको सब मैनेज कर लेते हैं  ।

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन ।।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल

सत्कर्म और कुकर्म अलग-अलग हैं ।
इबादत और पूजा अलग-अलग हैं ।
पुन्य और पाप दोनों अलग-अलग हैं ।
पाप पाया नहीं जाता कमाया जाता है ।
पाप के लिए कुछ करना पड़ता है ।
कुछ पाप अंजाने में होते हैं ।
कुछ पाप जान बूझ कर होते हैं ।
कुछ पाप के हम भागीदार होते हैं ।
कुछ पाप हमें विरासत में मिलते हैं ।
बिना कमाए हुए पाप जो हमें विरासत में मिलते हैं
वो अपने लोगों के कुकर्म की देन है ।
जो कई पीढ़ी पीछा नहीं छोड़ती ।
इसी तरह पुन्य भी कमाया जाता है ।
पुन्य भी विरासत में मिलती है ।
जो कई पीढ़ी तक पीछा नहीं छोड़ती ।
जिस कर्म से लोगों को दुःख पहुंचे और उस दुःख में लोगों के मुंह से बद्दुआ निकले , हाय भी निकले , अभिशाप भी निकले एवं श्राप भी निकले ।
यह निकलना जारी हो जाता है ।
लोगों के हर रोज की बातों में और बातों ही बातों में लोगों के द्वारा दी गई कभी किसी मिसालों में लोग चरित्र हीनता और कुकर्मता का प्रमाण देते हैं ।
ऐसे ही सत कर्म से जब लोगों के हाथ आशिर्वाद के लिए उठ जाएं , जब लोगों के मुंह से दुआएं निकल पड़े , जब लोगों के बीच अच्छाईयों की चर्चा होने लगें , तब भी मिसालों में नाम आने लगता है ।
यह सब कमाई गयी चीजें हैं , जो अपने जीवन से लेकर अपने पीछे आने वाले लोगों तक को मिलती हैं । लोगों के चर्चाओं में भी और लोगों के मिसालों में भी । इस लिए हमेशा इस बात का ध्यान होना चाहिए कि हमारी वाणी और हमारे कर्तव्य किसी को दुखी न करें ।
जब कभी अपनी शिकायत सुनो तो समझ लो कि कहीं कुछ गलती हुई है । यही चीज़ कुकर्मता की ओर ले जाना शुरु करती है । तब अपने सत्कर्म को बढ़ाना शुरु कर दो , जब तुम्हारे कुकर्म का पलड़ा भारी होने लगें तो सत्कर्म का पलड़ा भारी करना शुरू कर दो ।
ये कोई और नहीं करेगा ये तुमसे शुरु हुई है तो तुम्हीं से खतम भी होगी । कहीं ऐसा न हो कि तुम इस दुनियां से चले जाओ और सब अपने आने वाले लोगों के लिए विरासत में छोड़ जाओ और पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आप की बातें और मिसालें सुनते रहें ।
एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल ।
जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल ।।

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

भविष्य वक्ता

जो भविष्य वक्ता होते हैं । 
जो लोगों के भविष्य के बारे में एक - एक पल को जानते हैं । ऐसे लोग बहुत ही विशाल ह्रदय के होते हैं । लोगों के भविष्य को देख कर यह जानते हुए भी कि आगे आने वाला समय अंधकारमय है , फिर भी वह यही कहते हैं , कि आगे आने वाला समय बहुत ही उज्जवल और लाभदायक होगा , धन से अमीर होने की संभावना है ।
दुश्मन मित्र हो जाएंगे , और मित्र सबसे बड़े सहयोगी हो जाएंगे ।
यह खुशफहमी से भरा हुआ एक सब्जबाग है ।
जिसकी खुशी में आदमी बिन्दास जीता है , क्यों कि उसके दिमाग में यह गुंजता रहता है कि अब मैं अमीर बन जाउंगा , कोई मेरा अनहित नहीं कर सकता । अब तो सब मेरे हित में ही होंगे ।
चलो ये भी ठीक है , कम से कम झूठी तसल्ली और झूठी गलतफहमी में ही सही , आदमी अपने अच्छे दिनों के इंतजार में खुशी से जीता तो है ।
अब आगे ईश्वर ही जाने कि वह भविष्य वक्ता की बातों को सही करेगा या उस बात को सही कर देगा जिस बात को भविष्य वक्ता ने सामने वाले के दिल को रखने के लिए अपने तरफ से बना कर कही है ताकि वह अपने जीवन से निराश न हो सकें ।
लेकिन आज के दौर में हर आदमी अपने आप में माडलाईज एवं आर्टिफिशियल भविष्य वक्ता बना घूम रहा है ।
जब जिसको चाहा यह कह देते हैं कि अब तुम्हारे भीख मांगने के दिन करीब आ गये हैं ।
ऐसा इस लिए है कि हर लोग यही चाहते हैं , कि जो कोई भी कुछ करे तो उनसे राय मशविरा जरुर करें । भले ही वो अपन सारा काम स्वयं करें किसी से कुछ पूछने या बताने की आवश्यकता नहीं समझते है । लेकिन जब आप से एक छोटी सी भूल या चूक हो जाती है तो उसपर अपने ज्ञ्यान का पिटारा खोल देते हैं । जब कि खुद को कभी मुड़ कर यह नहीं देखते कि स्वयं से कभी भूल या चूक हुई है या नहीं या मैंने खुद आज तक कितनी सफलताएं हासिल की है , मगर इन सब बातों की कोई प्रवाह नहीं है । उन्हें तो अपनी भविष्यवाणी देना ज़रूरी है ।
निष्कर्ष - 
यदि आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते हैं , तो किसी के मनोबल को गिराने का कार्य कभी भी न करें । जहां तक हो सके मित्रवत भाव से सहयोग और व्यवहार करें , उसके मनोबल को ऊंचा उठाने की कोशिश करें । यदि उसके कार्य में कोई चूक या भूल हो गई है , तो उसे खूबसूरत अंदाज में सही सुझाव दें , जिससे उसे इस बात का एहसास हो सके कि मेरे साथ भी कोई सहयोगी और मार्गदर्शक के रुप में है ।
ऐसा कभी न कहें कि यह गलती या चूक जो तुमसे हुईं है वो इस लिए हुईं कि , तुमने अपने इस काम के बारे में न तो मुझे कभी बताया और न तो मुझसे कभी राय लेना उचित समझा , बल्कि यह कहें कि
कोई बात नहीं इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह चूक और गलती तो अक्सर लोगों से हो ही जाती है । इसके समाधान का कोई रास्ता निकाला जाएगा । कोई समस्या ऐसी नहीं है कि जिसका समाधान न हो । आप निराश न हों , बल्कि प्रयास करते रहें ।

शुक्रवार, 30 जून 2023

बाहर कहीं कुछ भी नहीं है जो कुछ भी है वह सब तुम दोनों के अंदर ही है ।

पुरुषों को कभी ये उम्मीद नहीं रहती कि कोई महिला उसकी सुन्दरता की तारीफ करे ।
लेकिन हर महिला को ये उम्मीद करती है कि हर पुरुष उसके सुन्दरता की तारीफ करे ।
पुरुष के बिना महिला की जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है फिर भी हर महिला के दिमाग में यह ग़लत फहमी कूट - कूट कर भरी हुई है कि उनके बिना पुरुष जी ही नहीं सकता , इन्हें यह भी लगता है कि हर पुरुष सिर्फ महिलाओं के अंग का प्यासा है ।
अगर वास्तव में महिला चरित्रवान है तो उसे पुरुष के अहमियत का एहसास होगा ।
अगर चरित्रवान नहीं है तो एहसास का कोई मतलब नहीं , फिर भी उसके जीवन में पुरुष ही होता है चाहे तुम हो या कोई और हो ।
कभी कभी तो दोनों होते हैं घर में तुम और बाहर में वो । अब तुम्हीं बताओ कि अंगों का भूखा प्यासा सबसे ज्यादा कौन है महिला या पुरुष ?
किसी के उपर आरोप लगाना आवश्यक नहीं है बल्कि एहसास का होना आवश्यक है ।
अच्छे और साकारात्मक विचार का होना आवश्यक है । गंभीरता का होना आवश्यक है ।
दोनों एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण हैं परन्तु महत्वपूर्णता का सार समझ में आना आना आवश्यक है । 
संबंध मनमाने ढंग से बना लेना न तो कोई मतलब है और न तो हत्वपुर्ण यह तो अन्याय और पाप का रास्ता है जो कभी पीछा नहीं छोडता है ।
संबंध जो सामाजिक ढंग से सबकी सहमति से जोड़ा गया है यह महत्वपूर्ण है फिर आपस में ब्लेम और कमेंट कैसा अपने जीवन को आपस में अर्जेस्ट करो एक दूसरे को समझो और उस ईश्वर का शुक्रिया करो कि ईश्वर ने जो तुम्हें दिया है उसी में अपनी खुशियों को तलाशो , जीवन को शांत और खुशनुमा माहौल देकर जीना सीखो ।
तुम जो ढूंढ रहे हो वह बाहर कहीं कुछ नहीं है जो कुछ भी है वो सब तुम दोनों के अंदर ही है ।
तुम्हें कोई गर्लफ्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई ब्वायफ़्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई प्रेमी बनाने की जरूरत नहीं है 
तुम्हें कोई प्रेमिका बनाने की जरूरत नहीं है
बस तुम्हारी सोच और नजरिए का कमाल है
अपनी सोच को बदलो , अपने नजरिए को बदलो
जो तुम्हारी पत्नी है उसी में गर्लफ्रेंड और प्रेमिका भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।
जो तुम्हारा पति है उसी में ब्वायफ़्रेंड और प्रेमी भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।

मंगलवार, 27 जून 2023

समय का चक्र अनवरत चलता रहता है

अगर साधु के घर में शैतान पैदा हो सकता है ,तो शैतान के घर में साधु भी पैदा हो सकता है ।
अमीर के घर में ग़रीब भी पैदा हो सकता है और
ग़रीब के घर में अमीर भी पैदा हो सकता है ।
समय का यह चक्र है जो कभी रुकता नहीं अनवरत चलता ही रहता है ।
किसी को देख कर उसका जजमेंट मत करो वो जो कुछ भी है अपने नसीब से है और तुम जो हो तो तुम भी अपने नसीब से ही हो इस लिए जजमेंट हमेशा खुद की करो अपने अच्छाईयों और बुराईयों की क्यों कि यही तुम इस दुनियां से लेकर जाओगे और यही तुम अपने जानने वालों के लिए चर्चा के लिए छोड़ जाओगे ।
इस लिए हमेशा अच्छी यादें छोड़ कर जाने का प्रयास करना, ऐसा मत करना कि जब भी तुम्हारी बात आए तो गाली से शुरू हो और गाली पर खत्म हो ।

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

कृप्टोकरेंसी

कृप्टो करंसी का मार्केट बहुत बड़ा है। कहीं कुछ मिल जाता है , तो कहीं कुछ डूब भी जाता है । इसपर पुरी तरह से आशा कर लेने पर दिल को धक्का भी लगता है । इस लिए इसे एक एक्सपर्ट और आधुनिक जुआ या सट्टेबाजी भी कहा जा सकता है । जिसे खेलने के लिए उतने पैसे से खेलें कि जितना पैसा आप भूल सकते हों , इस पैसे पर निर्भर होकर न लगाएं ।
कृप्टो करंसी के जानकार कम लोग हैं और ऐसे लोग जो जानकार हैं वे लोगों के चक्कर में कम रहते हैं , कारण कि इन्हें आनलाइन पैसा कमाना होता है जो डेली अर्निंग का मामला होता है । इसमें नेटवर्किंग की आवश्यकता नहीं होती । हां पैसा अगर कम है तो कम अर्निंग होती है । ज्यादा पैसे से ज्यादा अर्निंग होती है , ऐसे में तीन से चार पार्टनर एक हो सकते हैं ।
शैयर मार्केट और ट्रेडिंग जैसे सेक्टर में ज्यादा पैसों की आवश्यकता होती है इसमें भी पार्टनर बनने के लिए धैर्य का होना जरूरी है साथ ही साथ अगर आप भी इस प्लेटफार्म के जानकार हैं तो आप को अपने पार्टनर से कोई शिक़ायत नहीं होगी क्यों कि सारी प्रक्रिया आप के आंखों के सामने से होकर ही गुजरेगी और यदि आप जानकार नहीं है तो फिर विश्वास करिए । तीन बार लगातार नुकसान होने पर बंद कर दीजिए ।
सबसे बेहतर तो यही होगा कि पहले आप खुद सीखने कि कोशिश करें उसके बाद ही कोई क़दम बढ़ाएं ।
बिटक्वॉइन और इथेरियम की कोई नेटवर्किंग नहीं है । आप को एक्सचेंज पर जाकर खरीदना पड़ता है और बेचना भी पड़ता है । इन्हीं की सफलताओं को दिखा कर इन्हीं को बता कर भारत में तमाम नेटवर्किंग क्वाईन आ गई है जब कि आप को और हमको सबको पता है कि नेटवर्किंग हमेशा सबसे पहले फाउंडर्स को अमीर बनाती हैं । बाईं चांस सुरुआती दौर के रीडर्स भी कुछ कमा लेते हैं , लेकिन डाऊन लाईन से कलंकित और आरोपित तो होना ही पड़ता है । तो हम फिर ऐसा क्यु करें ? हमें लोगों को वहीं चीज देनी चाहिए जिसे वो अपनी इच्छा से कर सकें , अपनी इच्छा से करने को कहें , अपनी इच्छा से सीखने को कहें और उसे मैं स्वयं इतना ट्रेंड कर सकूं कि मैं रहुं या न रहुं उसे मेरी कोई आवश्यकता न रह जाय ।
उसका फायदा उसके साथ उसका नुकसान भी उसके साथ उसे कोई शिक़ायत करने का मौका ही न रह जाए । बिल्कुल हर बात पारदर्शिता से भरी होनी चाहिए ।
जीवन में हमेशा हर सेक्टर में डाउनलाइन का काल तो आएगा ही और ऐसे में हमारे पास वक्त ही नहीं होता कि मैं अपने डाउनलाइन से मिल सकूं ।
हमारे बहाने को, हमें किसी और कंपनी में जुड़ जाने को , मेरा डाउनलाइन भी जानता है क्यों कि वो मेरे ही उपर आसृत है इस लिए उसका ध्यान हमेशा सिनिर पर रहता है , भले ही सिनियर डाउनलाइन को भूल जाएं ।
इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि लोग लोगों को प्लान से ज्यादा अपनी बातों में लपेटते हैं ।
प्लान दिखाते समय प्लान सुनने वाले के चेहरे पर कई प्रकार के रंग आते जाते हैं । प्लान का पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा समझ में ही नहीं आता और प्लानर बीच - बीच में पुछता रहता है कि यहां तक तो आप क्लीयर है , समझ में आ रहा है न तो आगे बढ़े ?
कोई सवाल हो तो पुछ लिजिएगा , सुनने वाले हां सर , ठीक है सर , समझ रहा हूं , पुछ लुंगा । कह कर खामोशी साध लेता है और चुपचाप प्लान को सुन्ता रहता है । प्लान खतम होने पर ऐसा लगता है कि जैसे कोई बहुत बड़ी मुसिबत सिर से टली और हम बाहर आए । उसके बाद क्या होता है , आप ने प्लान लोगों दिखाया होगा तो आप खुद जानते हैं ।
ज्वॉइन करने की एक डेट मिलती है किसी की ये डेट आती है तो किसी की कभी नहीं आती ।
बीस साल में कोई नेटवर्क ऐसा नहीं है कि जिसे मैंने जाना नहीं देखा नहीं अस्सी प्रतिशत को तो किया भी मगर परिणाम आप भी जानते हैं । नेटवर्करों से कुछ छुपा नहीं है ।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम पहले प्लानर बनते हैं और फिर प्लानर बनाते हैं यही सिस्टम लोगों को फ्लॉप करता है । जरुरत प्लानर बनने की नहीं है जरुरत सिस्टम को समझने कि है जैसा कि ऊपर मैंने बताया है कि हर तरह से एक्सपर्ट कर देना , प्लान तो अनपढ़ भी सुनता है और वह निचोड़ निकाल लेता है कि मुझे करना क्या है और इसमें करना है हि क्या ? 
लोगों को जोड़ना है और आज की डेट में सबसे बदनाम शब्द लोगों को जोड़ने जुड़ाने का है ।
हमें उपर उठना होगा लोगों को तकनीक सिखानी होगी आज कल सभी के पास एंड्रॉयड और आईओएस स्मार्टफोन है , उनको उन्हीं के मोबाईल पर सिखाया जाय ताकि वो खुद सब कुछ कर सकें और लोगों से भी करा सकें । 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

अवसर जब आता है

अवसर जब आता है , तो समझ में जल्दी नहीं आता , क्यों कि यह हजारों निगेटिव सवाल खड़ा कर देता है।
लोग निगेटिविटि से भर जाते हैं।
निगेटिविटि बहुत ही चालाक और समझदार बना देती है।
अवसर को छोड़ने के लिए निगेटिविटि दिमाग में यह भर देता है कि यह पहली बार नहीं है ये तो फिर आएगा कभी भी शुरु कर लेंगे।
जब अवसर चला जाता है तब यह एहसास होता है कि मैंने आए हुए अवसर को छोड़ कर गलत किया था , फिर सिर्फ पस्ताने के सिवा कुछ नहीं रहता और लोग अक्सर बात ही बात में एक कहानी की तरह लोगों से कहते भी हैं कि यह अवसर पहले मेरे ही पास आया था , लेकिन मैंने शुरु नहीं किया। 
जिसने किया आज वो बहुत आगे निकल चुके हैं । अब पहचानते भी नहीं।
यदि वही अवसर जिंदगी में कभी दुबारा आ जाता है तो उसके माध्यम से अपने गोल को अचीव करना उतना आसान नहीं होता जितना कि पहली बार के अवसर में आया था।
क्यों कि अवसर एक ही हो सकता है लेकिन लाने वाले व्यक्ति अलग अलग हो सकते हैं । 
जितनी आसानी , जितनी सुविधाएं , जितना सहयोग पहली बार आए हुए अवसर में हमें प्राप्त होता है । वही चीजें दूसरी बार के अवसर में नहीं होती , इस लिए अगर कोई अवसर आप के पास आया है या आता है तो वह बहुत ही साधारण तो दिख सकता है लेकिन जब आप उसे अच्छी तरह से समझेंगे तो उसमें आप को अपने गोल को प्राप्त करने का रास्ता जरुर नज़र आएगा ।
सकारात्मक सोंच ही सकारात्मक दिशा को दिखा सकती है । नकारात्मक सोंच हमेशा ग़लत दिशा की ओर ले जाती है ।
इस लिए नकारात्मक और सकारात्मक यानी निगेटिव और पाजेटिव दोनों विचारों कि तुलना कर लेना चाहिए जिसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि निगेटिव / नकारात्मकता बीस न पड़े ।
अब यहां एक समस्या यह उत्पन्न होती है कि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं कि जो इन दोनों की तुलना एक साथ नहीं कर पाते जिसका नतीजा यह होता है कि कोई निगेटिव से भरा होता है तो कोई पाजेटिव से भरा हुआ है । 
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों में फर्क करना जानते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में जो तुम्हारी नज़र में सही लगे उससे सलाह अवश्य लें , और फिर आत्ममंथन करें ।

रविवार, 27 नवंबर 2022

भुमिका

भूमिका के साथ विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखें ।
पहले भूमिका की हेडिंग लिख कर भूमिका तीन चार लाईन में पुरी हो जाती थी ।
फिर व्याख्या की हेडिंग लिख कर डेढ़ दो पेज विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखी जाती थी ।
ये दौर पढ़ाई का था।
अब ज्यादा तर लोगों में फोन ने भुमिका के स्थान को विस्तार पूर्वक व्याख्या की धारा पकड़ा चुका है
अब ज्यादा तर यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि लोग भुमिका को इतना लंबा कर देते हैं कि अक्सर अपने मूल मकसद अर्थात खास बात / मुख्य बात को भूल जाते हैं कि उन्हें पुछना क्या था या कहना क्या था।
अक्सर यह सुनने को मिलता है कि देखिए मैं तो वो बात ही भूल गया जिसके लिए फोन किया था ।
भुमिका ने जो विस्तार पकड़ा है उसमें है क्या ?
सिर्फ बेवकूफी वाली बातें जैसे - कहां हैं ?
क्या हो रहा है ? और सुनाईए ?
इसमें से पहला सवाल - कहां हैं ?
यह अक्सर एक से दो बार पुछा जाता है । 
क्या हो रहा है ?
और सुनाईए ?
यह बार बार आता है ।
कौन कौन है ? 
क्या बना है ? 
और सुनाओ ? जैसे निरर्थक बातें जिसे कहने या पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है  लेकिन यह फोनटाक फोबिया है , जो गहरे डिप्रेशन से होते हुए स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा करता है ।



शनिवार, 26 नवंबर 2022

स्वर्ग और नर्क में बहुत दूरी नहीं है

दो चार क़दम पे तुम थे ।
दो चार क़दम पे हम थे ।।
दो चार क़दम ये लेकिन ।
सौ मिलों से क्या कम थे ।।

दो चार क़दम पे स्वर्ग भी है ।
दो चार क़दम पे नर्क भी है ।।
दो चार क़दम नर्क के इतने हसीन नज़र आते हैं कि लोग दौड़ कर उसमें समा जाते हैं ।
जब फंस जाते हैं तब समझ में आता है कि ये मैं कहां आ गया हूं , जब की नर्क ने खुद तुम्हें नहीं बुलाया उसने अपनी चकाचौंध से तुम्हें सिर्फ आकर्षित किया और तुम इस आकर्षण में वशीभूत हो कर दौड़ पड़े ।
तुम्हें नर्क का एहसास तुरंत नहीं हुआ , नर्क ने तो तुम्हें स्वर्ग जैसा आनन्द तब तक दिया जब तक कि तुम अपने पुन्य कर्मों से खोखले नहीं हो गये ।
फिर तुम्हारे पास नर्क भोगने के सिवाय बचा ही क्या है ?
स्वर्ग की ओर जाने के लिए कोई चकाचौंध नहीं है ।
कोई आकर्षण नहीं है , बल्कि दुःख है । तकलीफें हैं। त्याग है । तपस्याएं हैं आदि...... इत्यादि..... हैं ।
स्वर्ग भी अपनी ओर बुलाता है लेकिन स्वर्ग के दो चार क़दम सौ मीलों से कम नहीं लगते ।
इस मायावी संसार से विरक्त होना पड़ता है ।
जिसको जो चाहिए वो सब है यहां , अब निर्णय तुम को करना है कि तुम पाना क्या चाहते हो और जाना कहां चाहते हो ।

रविवार, 6 नवंबर 2022

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।
इसमें उपासना और इबादत के अनन्त रास्ते हैं ।
जिसको जैसे अच्छा लगता है ।
जिसको जैसे आनन्द आता है ।
जिन तरीकों से मुरादें पूरी होती हैं ।
जिन आस्था से सफलता प्राप्त होती है ।
वे वैसे करते हैं ।
किसी को समझाना…...... क्यूं है ?
तुम जैसे हो वैसे ही रहो ....... ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी कोई मुरादें हासिल की है ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी सफलता को प्राप्त की है ।
तो लोगों को भी बताओ ।
लोगों को भी सिखाओ ।
न कि उसे उसके मार्ग से भटकाओ ।
किसी के धर्म और कर्म में कभी बाधा मत बनो
सभी इंसान हैं । सबकी अलग अलग सोंच है ।
उपरोक्त बातों द्वारा इसमें जातियों का कोई संबंध नहीं है ।
इस धरती पर सिर्फ चार प्रकार की जातियां हैं ।
1 - पुरुष / मर्द ।
2 - स्त्री / औरत ।
3 - अमीर / धनवान ।
4 - गरीब / निर्धन ।
इसके बाद कोई जात नहीं है ।
माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पुरक हैं ।
ठीक इसी तरह अमीर और गरीब भी एक दूसरे के पुरक हैं ।
स्त्री को पुरुष की आवश्यकता है ।
पुरुष को स्त्री की आवश्यकता है ।
गरीब को अमीर की आवश्यकता है ।
अमीर को गरीब की आवश्यकता है ।
हरलोग अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने कर्तव्यों
का पालन करें । इसी को इंसानियत कहते हैं ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

मुहब्बत में भी एक दुनिया है ।

एक तरफ़ दुनिया है , जो अपनी तरफ़ आकर्षित करती है और एक तरफ़ किसी की मुहब्बत है , जो अपनी आगोश में समेट कर दुनिया को भुलवाना चाहती है , दुनियां से दूर रखना चाहती है ।
दुनियां में अगर जाऊं तो यहां मुहब्बत नहीं है और मुहब्बत में अगर जाऊं तो वहां दुनिया नहीं है ।
अंत में यह एहसास हुआ कि इस दुनिया में जो दुनिया है , वह बहुत ही अलग तरह की दुनिया है , जिसमें चंद लोगों के सिवा कोई किसी का नहीं है ।
मुहब्बत में भी एक दुनिया है जिसमें सब अपने हैं । मुहब्बत के सिवा वहां कुछ भी नहीं ।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

दो मित्र

कुछ लोगों का मिजाज रईशी होता है , जो खानदानी है । किसी भी हाल में हों मगर उनकी रईशी बू बांस मरते दम तक नहीं जाती । कुछ लोग उनकी नकल करने में उजड़ जाते हैं । खैर ये अलग मैटर है , जिसके पास जितना होता है वो अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी का इंज्वॉय करता है । सब अपनी नसीब , अपनी सामाजिकता और अपनी औकात पर निर्भर करता है , इसमें न तो आप किसी को रोक सकते हैं और न तो समझा सकते हैं यदि आप ने अपना समझ कर हमदर्दी में कुछ राय पुर्वक समझाया तो पीठ पीछे आप की औकात दिखा दी जाती है ।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

तुम कौन हो ?

1 - दुनियां में आने के लिए एक दायरे में आना पड़ता है । एक आकार का रुप लेना पड़ता है , जैसे आदमी का जिस्म हो या किसी पशु पंक्षी का और वो दायरा महदूद होता है । इस लिए तुम भी एक महदूद दायरा हो लेकिन तुम्हारे इस महदूद दायरे में भी एक चीज ला महदूद है । जिसे रुह कहा जाता है , जो ला महदूद जगह से आती है , जहां कोई महदूदियत नहीं होती इसी को पकड़ना और साधना पड़ता है , लेकिन तुम्हारा महदूद जिस्म इसे समझ नहीं पाता और अंत में ये तुम्हारे महदूद जिस्म से निकल कर ला महदूदियत में चली जाती है । वहीं इसका असली और वास्तविक जगह है । तुम्हारा शरीर विकृत हो सकता है । तुम्हारा शरीर मिट भी जाता है । लेकिन रुह अजर और अमर है जो न कभी मिटती है और न तो कोई मिटा सकता है । अगर तुम चाहते हो , तो इस महदूद दुनिया और महदूद जिस्म में होते हुए भी ला महदूदियत को पा सकते हों ।- 
जब तुम्हें एक ला महदूद जगह से दूसरी महदूद जगह पर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तुम्हें यह मंजूर नहीं था फिर जब तुम्हें बताया गया कि उस महदूदियत में रहते हुए भी तुम ला महदूद कैसे हो पाओगे और जहां से जा रहे हो वहां जब चाहे तब कैसे आ जा सकते हों , तब जा कर तुम अपना ट्रांसफर करवाने के लिए तैयार हुए , जब ट्रांसफर हुआ तो नौ महीने तक तुम्हें एक महदूद दायरे में रखने के बावजूद ला महदूदियत से जोड़े रक्खा गया फिर नौ महीने बाद तुम्हें बाहर निकाला गया फिर भी तुम बाहर आ कर नौ महीने तक तड़पते रहे अपने लामहदूदियत के मुकाम पे जाने के लिए लेकिन उसके बाद तुम भूलना शुरू किए और धीरे धीरे आज सारे रास्ते भूल चुके हो । तुम्हें कुछ याद नहीं। 

2 - अल्लाह से जो तुम मांगते हों उसकी एक हद है
लेकिन उसके देने की कोई हद नहीं मगर हद तुम बनाते हो , हद में मांग कर इस लिए वो तुम्हारी जरूरत के मुताबिक हद में दे देता है ।

3 - दरिया से कभी बूंद की ख्वाहिश मत करो अगर पचा पाओ तो दरिया को ही पचाने की कोशिश करो अगर ये भी न हो पाए तो खुद में ही एक दरिया बन जाओ।

4 - मांगने से बेहतर पाने का इंतजार करो हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे लिए तुम्हारी सोंच से भी ज्यादा देने वाला हो ।
इसि इंतजार को सब्र कहा जाता है और तुम्हारे हर सब्र में वो तुम्हारे साथ है ।

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

घर का मुखिया

बचपन में सुनता था कि गांव में पटिदारी है ।
वो पटिदारियां पिता जी की थीं , जिन्हें हर अवसर पर पूछा जाता था और खुद भी लोग हमेशा आया जाया करते थे । बड़ी एकता और मोहब्बत थी उस जमाने की पटिदारी में , बिना पटिदारी के राय मशविरा के किसी कार्य को संपन्न कर लेना संभव ही नहीं था।
गांव में सभी पटिदारों का घर ज्यादातर हमारे घर के आस पास में ही था ।
जैसे - जैसे होश संभालता गया, घर गृहस्थी आ गयी । जिम्मेदारीयां बढ़ गयीं । पिता जी के पटिदारी में ज्यादा तर लोग इस दुनियां से चले गए एकाध लोग जो बचे हैं वो भी खटिया ही पकड़े हुए है ।
कोई मामला होता है तो आज भी लोग उन्हीं से समझने जाते हैं । लेकिन अब वो भी धीरे - धीरे गांव के हो गये हैं , क्यों कि वो पटिदार हमारे नहीं पिता जी के थे ।
हमारे पटिदार गांव में नहीं हमारे घर में ही पड़े हुए हैं । पिता जी की पटिदारी बहुत अच्छी थी । 
हमारी पटिदारी तो बहुत दुखदाई है । किसी से बात चीत है तो किसी से छत्तीस का आंकड़ा , जब की सारे पटिदार एक ही घर में रहते हैं ।
अब किसी को कहां वक्त मिलता है कि गांव में जाकर पुरानी पटिदारी और खानदान के लोगों की ख़ैर खैरियत ले सके ।
घर में प्रवेश करते ही लगता है कि जैसे गांव में आ गए हैं ।
जितने लोग उतने विचार ।
घर में बसे गांव का मलिक आधुनिक विचारधाराओं एवं परिधानों के आगे नतमस्तक है , जैसे वो रिटायर हो चुका है।
जिंदगी के बचे हुए दिनों को गुंगे और बहरे बनकर खामोशी से अपनी आंखों में पट्टी बांध कर काट लेना चहता है ।
कुछ घर में बसे गांव के मालिक का सम्मान अगर बचा है तो उन्हें भी कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के तहत भ्रमित कर दिया है । जिसका नतीजा किसी को बुरा और दुश्मन समझते हैं । 
तो किसी को हमदर्द , लेकिन ये बनावटी चश्मे काफी दिनों तक बरकरार नहीं रहते । लेकिन इतना तो जरुर होता है कि आंख बंद होते ही घर में बसे गांव में लंबा विवाद छोड़ जाते हैं ।
गांव का मुखिया हो या  
घर का मुखिया हो या 
अपने परिवार का किसी के कहने पर पुर्णत: विश्वास कर लेना मुर्खता ही नहीं बल्कि महा मुर्खता है । इसमें सत्यता की पड़ताल स्वयं करनी चाहिए ।
पेड़ की हर शाख बराबर नहीं होती , फिर भी पोषण हर शाख को बराबर पाने का अधिकार है ।
पनाह मांगता हूं मैं ऐसी पटिदारी से कि न तो कोई घर से बाहर निकल कर अलग अपना घर बनवाना चाहता है और न तो बनाने देता है ।
कुछ लोगों को देखा है कि अगर वो घर से निकल कर अपना एक घर बना लिए हैं फिर भी पुराने घर में ताला लगा कर अपना अधिकार जमाए हुए हैं ।
भाई ही तो पटिदार बनता है और आज के इस हरामखोर जमाने में न तो छोटों को कोई तमीज है न तो बड़ों को । मिला जुला कर सारे रिश्ते इस ज़माने के आकाओं ने खूंटी पर टांग दिया है ।

अर्थात -
पहले एक घर था 
उस एक घर में छव, सात लोग पैदा हुए ।
परिवार और बढ़ने पर एक ही घर में सबका गुजर बसर हो पाना मुश्किल था ।
लोगों ने घर से निकल कर पांच , छव घर बनाया 
इस तरह एक मुहल्ला हो गया ।
आज वो मुहल्ला फिर एक ही घर में तैयार हो गया है ।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

मेरी दुनियां है तुझमें कहीं

औलाद क्या है ?
इसे बाप ही जानता है। 
बाप क्या होता है ?
इसे औलाद ही जानता है । 
बाप का दर्द हो सकता है , कि औलाद कुछ देर के लिए न समझ सके , लेकिन 
बाप के लिए औलाद का दर्द बहुत जानलेवा होता है । औलाद के दर्द के आगे बाप , अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है । लेकिन वो औलाद अपना दुःख दर्द किस से कहे ? 
जिसका बाप अपनी औलाद के बचपन में ही दुनियां को छोड़ गया हो ।

बाप जिंदा है तो ये एहसास होता है।
मेरी दुनियां है तुझमें कहीं।
तेरे बिन मैं क्या कुछ भी नहीं।।
बाप के न होने से हर वक्त यह एहसास होता है।
तुम गए ...................!
सब गया .................।।
कोई अपनी ही मिट्टी तले ।
दब गया ..................।

क्या करुं आप मेरे एहसास में जो इतना घुले हुए हैं कि आज तेईस साल में भी आप की एक एक बात आज भी याद है। ऐसा लगता है कि आप से मिले हुए तेईस साल नहीं बल्कि तेईस घंटे बीते हों न जाने किस वक्त आप के पुकारने की आवाज मेरे कानों से टकरा जाय............ ।

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

अपराधी कौन नहीं है ?

अपराध होने के कारण ....... ।
अपराध सिर्फ शराब के नशे में ही नहीं होता है ।
अपराध दौलत के नशे में भी होता है ।
अपराध बहुत मज़बूरी में भी होता है ।
अपराध बहुत ग़रीबी में भी होता है ।
अपराध जवानी के नशे में भी होता है ।
अपराध शार्ट कपड़ों के आकर्षण से भी होता है ।
अपराध अंग प्रदर्शन से भी होता है ।
अपराध जलन और नफ़रत की भावनाओं से भी होता है ।
अपराध किसी को नीचा दिखाने के कारण भी होता है ।
अपराध किसी की सामाजिक प्रतिष्ठा को धुमिल करने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी का पेट पालने के लिए भी होता है ।
अपराध कभी - कभी न्याय को साबित करने के लिए भी होता है ।
अपराध अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए भी होता है ।
अपराध खुद को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध काम वासना की हवश में भी होता है ।
अपराध क्रोध में भी होता है ।
अपराध लोभ में भी होता है ।
अपराध मोह में भी होता है ।
अपराध मोहब्बत में भी होता है ।
अपराध बिजनेस में धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध शिक्षा जगत में डिग्रियों के धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध चिकित्सा जगत में भी होता है ।
अपराध कानूनी पैर पैतडे में भी होता है ।
अपराध बैंकिंग सेक्टर में भी होता है ।
अपराध राजनीति में भी होता है ।
अपराध करते हुए कोई पकड़ा गया ।
अपराध कर के कोई फरार है । जानकारी में रहते हुए भी आज तक पकड़ा नहीं गया ।
अपराध किये बगैर किसी को अपराधी साबित कर दिया गया ।
अपराध कहां नहीं है ?
अपराधी कौन नहीं है ?
कोई परदे में है ।
कोई सरेआम है ।
कोई राष्ट्रीय अपराधी है ।
कोई अंतर राष्ट्रीय अपराधी है ।
अपराधी समाज की नजरों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी कानून की नज़रों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी अल्लाह और ईश्वर की नजरों में 99% हैं 
अपराधी हर कार्यालयों में हैं ।
अपराधी हर विभाग में हैं ।
अपराधी हर चौराहे पर है ।
अपराधी हर गली में हैं ।
अपराधी हर नुक्कड़ पर है ।
अपराधी हर गांव में हैं ।
अपराधी हर कस्बे में हैं ।
अपराधी हर ब्लाक में हैं ।
अपराधी हर तहसील में हैं ।
अपराधी हर जिले में हैं ।
अपराधी हर नगर में हैं ।
अपराधी हर महानगर में हैं ।
अपराधी हर राज्य में हैं ।
अपराधी हर देश में हैं ।
अपराधी सिर्फ मर्डर करने वाला ही नहीं है ।
अपराधी चोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी ठगी करने वाले भी हैं ।
अपराधी बेईमानी करने वाले भी हैं ।
अपराधी घूसखोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी धोखाधड़ी करने वाले के साथ ही साथ गलतफहमियां पैदा करने वाले भी हैं ।

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?

आप कितने ईमानदार हैं ?
आप कितने बेईमान हैं ?
आप का किरदार कैसा है ? 
आप की सोंच कैसी है ?
आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?
आप के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा है ?
इसे आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
लेकिन अपने आप को समृद्ध बनाने और विकास की ओर बढ़ाने की परवाह को नज़रंदाज़ कर के , आप लोगों के हर चीज को जानने के चक्कर में , अपने वक़्त और उर्जा को ज्यादा बर्बाद करते हैं ।
जिस दिन आप खुद को समझने और खुद को आगे बढ़ाने के चक्कर में पड़ेंगे , तो लोगों के चक्कर को छोड़ देंगे ।