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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

लुटेरा

जबसे मैने होश सम्भाला है अक्सर मुझे ये महसूस होता है कि मैं बहुत बड़ा लुटेरा और लालची हो गया हूँ लेकिन
किसी के माल और जान का नहीं बल्कि ज्ञान का जिसके
बिना मन में हर पल एक व्याकुल्ता बनी रहती है ।

लूट

लूटने और लुट जाने की कुछ वजह होती है । तुम इस लायक कभी हुए ही नहीं कि तुम किसी को लूट सको या तुम्हें कोई लूट सके। मेरे पास ऐसी कभी कोई मजबूरी या जरुरत आई ही नहीं कि मुझे किसी को लूटना पडे ।लेकिन मेरे पास इतना था कि जिसने जितना चाहा उतना लुटा हर लूटने वाला अपनी जरुरत से ज्यादा लूट कर गया कभी कोई खाली हाथ वापस नहीं गया और मैं चुप चाप इस दुनियां वालों का तमाशा देखता रहा। ज़िन्दगी भर लूटाने के बाद भी आज भी मैं वैसे ही हूं जैसे पहले था। आश्चर्य  इस बात का है कि लोग अपनी जरुरत से ज्यादा मुझे लूटे मगर आज भी वो वहीं हैं जहाँ पहले थे आज भी मुझसे आगे नहीं हो पाए ।

बुधवार, 29 जुलाई 2020

सुरक्षा

किसी को गलत रास्ते पर चलता देख कर उसे तुरंत रोकने की कोशिश मत करना , अगर रोकोगे तो बेवकूफ, जलन रखने वाले और उसकी कामयाबी में बाधक बनने वाले दुश्मन कहलाओगे और इन्हीं सब नजरिए से वो हमेशा आप को देखेगा । इन सब से रोकने के लिए किसी माध्यम का प्रबंध करो जिनकी बातों को मानना उसकी मजबूरी हो ।
दूसरा पहलु -
दौर के मुताबिक, लोगों के सोंच के मुताबिक अगर उसे उसी के अपनाए हुए रास्ते के मुताबिक अपनी सलाह दे दो जिसे वो ढूँढ रहा है तो आप उसके सबसे करीबी हो जाओगे , सबसे अच्छे शुभ चिन्तक बन जाओगे । उसे ये एहसास हो जाएगा कि आप उसके साथ हैं और उसके भलाई के बारे में सोंचते हैं ।
तीसरा पहलू - 
अब यह आप के उपर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते हैं किसी को भलाई के रास्ते पर लाना चाहते हैं कि बुराई के सहायक बन कर वाहवाही पा कर अपना कुछ स्वार्थ पुरा करना चाहते हो । जब की आप का नाम दोनों में आएगा चाहे बुराई हो या भलाई, आप का मक़सद क्या था ये राज भी खुलेगा । इस लिए आप के हर तरह के विचार आप के साथ हैं अपनी सुरक्षा, अपने लोगों की सुरक्षा और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं ।

दुख

दुख तो इस बात का है कि बिना चाहे ही दुख खेर लेता है
सुख की चाहत में न जाने कबतक दुखी रहना पड़ेगा। 

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

स्वर्ग

अगर मेरा बस चलता इस दुनियां में न आने का तो मैं
स्वर्ग छोड़ कर इस नर्क में कभी नहीं आता। 
इस दुनियां में आने पर और इस दुनियां से जाने पर किसी का कोई बस नहीं चलता ।

औकात

मर्द की औकात औरत चंद दिनों में जान लेती है लेकिन
औरत की औकात जानने में मर्द की पूरी ज़िन्दगी गुजर
सकती है ।

सोमवार, 27 जुलाई 2020

दोस्त

 दोस्त किसे कहते हैं ?
इसके बारे में मैं अपने विचार बताउगा ।
दोस्त का शाब्दिक अर्थ संधिविछेद कर के देखें -
दो + अस्त = दोस्त ।
दो का मतलब एक और एक दो ।
अस्त का मतलब ढूबना ।
जब दो लोग आपस में एक दुजे के विचारों में 
समस्याओं में , सुख, दुख में , वर्तमान में , भविष्य में 
सोते जागते, डुबे रहते हों तो उन्हें दोस्त कहा जाता है ।
इसी परिस्थिति में ये वाक्यांश आते हैं जैसे -
जो कुछ मेरा वो सब तेरा  ।
जो कुछ तेरा वो सब मेरा  ।।
इसे ही दोस्त कहते हैं जहाँ कोई हिसाब नहीं होता ,
जहाँ कोई स्वार्थ नहीं होता , जहा सिर्फ शान्ति होती है
मन और मस्तिष्क की, जहां सिर्फ आनन्द होता है ह्रदय
के प्रेम का, जहां न कोई तुम रहता है और न कोई मैं 
वहां सिर्फ हम होते हैं ।
फिर किसी एक का दुख नहीं होता , वह दुख हमारा हो
जाता है , सुख हमारा हो जाता है , असफलता हमारी हो
जाती है , सफलता हमारी हो जाती है , आदि इत्यादि ।
क्या आप ने कभी ऐसी दोस्ती की है या हुई है ?
सिर्फ साथ रहने से। साथ घूमने से। साथ कुछ काम करने से दोस्ती का नाम नहीं दिया जा सकता है इसे पहचान 
कहा जा सकता है । इसे परिचित कहा जा सकता है ।
इसे विश्वास कहा जा सकता है । इसे एक भरोसा कहा जा सकता है । इसे पार्टनर कहा जा सकता है ।
आप के साथ रहने वाला व्यक्ति आप के साथ मौल में भी
जाता है , बिग बजार में भी जाता है , मार्केट में भी जाता है आप अपने लिए शौपिंग करते हो जो जो चीजें आप अपने लिए लेते हैं क्या उसके लिए भी लेते हैं जो आप के साथ है नहीं न । इसी लिए अपने बराबर हर चीज़ उसके लिए नहीं खरीद सकते क्यों कि वह आप का दोस्त नहीं है आप तो सिर्फ दोस्ती के नाम पर उसे लपेटे हुए हैं । हर पल हर जगह साथ रहने वाले व्यक्ति को आप ने दोस्ती का नाम दे कर बहकाया है और आप उसे साथ लेकर अपना स्वार्थ पुरा करने में लगे हैं आप जब कुछ खरीदते हैं और उसी से पुछते भी हैं कि अच्छा है न, ठीक लगेगा न और सिर्फ अपने लिए लेते हैं तो वो आप की इस हरकत से एहसास कर लेता है कि आप उसके लिए क्या हैं और कितने करीब हैं और उसके किन किन मामलों में शामिल हैं इससे साथ रहने वाले को दुख होता है वह सोचता है कि अगर मेरे पास भी पैसा होता तो जो उसके लिए पसंद किया है वैसे ही अपने लिए भी अपनी पसंद की चीजों को खरीदता इस लिए आप को जब भी कुछ भी लेना हो तो अकेले ही जाएं किसी ऐसे परिचित को साथ न लें जिसे आप अपना दोस्त कहते हैं ।
आप लोगों से निवेदन है कि दोस्त और परिचित के फर्क 
को समझने की कोशिश करें दोस्ती के नाम को कलंकित
कर के उसे बदनाम न करें ।

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

आकर्षण

सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र तो ये दुनिया ही है ।
80% ईस्वर द्वारा बनाया गया बाकी 20% दुनियां में
आने वाले लोगों के द्वारा निर्मित हुआ है और हर दिन कुछ न कुछ बनता बिगड़ता रहता है जो अपनी ओर आकर्षित कर के लोगों को भ्रमित कर देती हैं ।
ये कभी न कभी सबको एहसास होता है कि हम अमर 
लोक में नहीं बल्कि मृत्यु लोक में रहते हैं जिसे छोड़ कर
हर किसी को एक दिन जाना ही पड़ेगा लेकिन किसी न किसी आकर्षण में फंस कर भ्रमित हो कर भूल जाते हैं ।
और ऐसा बहुत कुछ कर जाते हैं लोग कि जो एक मानव
के द्वारा दूसरे मानव के लिए उचित नहीं होता ।
फिर भी सब कुछ भूल कर जीने की जगह अच्छी है जो
पूरी तरह होश में आ जाएं और सभी आकर्षणों से दूर 
होकर जीना चाहें तो एक पल भी यहां जी पाना नामुमकिन है । वक़्त काटने के लिए किसी न किसी चीज को अपनाना पड़ता है मगर कोई भी ऐसी चीज न करें जिससे लोगों को नुकसान हो ऐसा करें कि खुद के साथ ही साथ लोगों का भी भला हो और विश्व के अंदर नई चेतना का संचार हो ।

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

तुम

जिस दिन से तुम मुझे अपना महसूस करने लगोगी उस
दिन से न तुम, तुम रह जाओगी और न मैं , मैं रह जाउंगा 
इसे कहते हैं दो जिस्म और एक जान। 

सोमवार, 20 जुलाई 2020

कोसिश

उस हर गलत काम में बडी तेजी से सफलता मिलती है जिसकी तुम्हारे ज़िन्दगी में कोई जरुरत नहीं है ।
जब भी सही काम करने की सोचोगे तो हर कदम पर 
रुकावटे आएंगी मगर कोशिश बन्द नहीं करना है ।

रविवार, 19 जुलाई 2020

गलती

कुछ गलतियां नासमझी में होती हैं ।
कुछ गलतियां अनजाने में होती हैं  ।
अफसोस दोनों का उतना ही होता है 
जितना जान बुझ कर हो जाने वाली 
गलती का होता है ।

समझो

आपस में की जारही बात को समझने के दो ही रास्ते हैं
1- कही गयी बात को मान लो ।
2- या तो झेल कर समझो ।

शनिवार, 18 जुलाई 2020

मंजिल

जिस दिन से आप के दिल और दिमाग से मौत का डर 
निकल जाएगा उस दिन से थोड़ा दिन और मेहनत करना
पड़ेगा आप को आप कि मंजिल मिल जाएगी ।

दौर

आज वो दौर नहीं है जो पांच महीना पहले था  ।
आज हर लोगों के चेहरे पर घबराहट और डर है 
चाहे वो कोरोना जैसी बीमामारी का हो या अपनी
जरूरतों को पूरा करने का हो ।
लगभग 80% लोग गहरे चिंतन और डिपरेशन के
शिकार हैं जिसकी मौजूदा बहुत सारी परिस्थितियां
हैं जिसके व्याख्यान की जरूरत मैं नहीं समझता 
नहीं पूरे तो एकाध कारण तो आप के साथ भी होंगे
जिससे अंदाजा लगा सकते हैं ।
सबकी दिक्कतें अलग अलग हैं, सबकी आवश्यकताएं 
अलग अलग हैं कल जो बहुत प्रेम से मिलता था आज
वह बहुत जल्दी में रहता है यदि आप ने रोक दिया तो
बस औपचारिकता निभाते हुए एक दो बातें हो जाती हैं
मगर उन बातों में भी मजबुरियां और समस्याएं ही होती हैं मेरे सर्वे से यह महसूस हुआ कि आज के इस परिवेश में लोगों को सहानुभूति की कोई जरुरत नहीं है ।
अगर आप किसी का भला चाहते हैं आज आप सक्षम हैं 
तो अपने करीबी लोगों को आर्थिक सहायता करें चाहे वो
थोड़ा हो या ज्यादा ताकि उनकी कुछ तो दिक्कतें दूर हों 
भले ही आप के माध्यम से एक दिन ही चैन से गुजरे ।
आज इससे बड़ी कोई सहानुभूति नहीं है ये हमेशा याद रहेगी। बहुत सारे लोग हैं जो हर तकलीफ को चुपचाप
सकते रहेंगे मगर किसी से कहेंगे नहीं अगर आप उनको
कुछ देंगे तो वो नहीं नहीं ही कहेंगे मगर अब आप के उपर निर्भर करता है कि इस सहानुभूति रुपी सहायता को आप कि अंदाज में पुरा करते हैं कि उसे खुशी भी हो और वो ले ले । आप के अच्छे विचारों और सहयोग की भावना में ईश्वर अल्लाह आप की मदद करे। 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

नजरिय

क्या बात है आज बहुत अच्छे लग रहें हैं आप ?
मैं तो जैसे रोज रहता हूँ वैसे ही आज भी हूं आप
के प्यार भरे नजरिये से देखने का कमाल है ।
हो सकता है कि आज से पहले आप ने इस नजरिये
से न देखा हो कि मैं अच्छा लगता ।

सोमवार, 13 जुलाई 2020

मकान

गांव में पड़ा मेरा सात खंड का मकान जो मिट्टी, लकड़ी
और खपरैल का बना हुआ है बीस वर्सों से मेरे इंतज़ार में
ढह रहे हैं उनकी सिर्फ लकड़ी बेच दूं तो तुम्हारे फ्लैट जैसे सात फ्लैट और आ जाएंगे ।

शनिवार, 11 जुलाई 2020

बात

फिल्म जो दिखाएगा वही आप देखेंगे। वहां आप के सवाल सुनने वाला कोई नहीं है और न तो जवाब देने वाला ।
फिल्म की स्टोरी लिखने वाला कोई और होता है । फिल्म को बनाने वाला कोई और होता है और फिल्म में काम करने वाला कोई और होता हैं । यही हाल न्यूज पेपर, मैगजीन, किताबें, टीवी सिरियल्स, टीवी न्यूज इत्यादि की भी होती है । जिसे चुपचाप आप देखते , सुनते या पढते हैं । मगर जब चार लोग बैठ कर आपस में बात करते हैं तब आप खामोशी से न बैठ पाते हैं न किसी की बात पुरी सुन पाते हैं हर किसी के बात का जवाब आप के पास रहता है ।
भले आप को उचित अनुचित का फर्क न समझ में आया हो भले आप के जवाब का सर पैर न हो भले आप को इस बात का ज्ञान न हो कि बात किससे की जा रही है और कौन कर रहा है लेकिन सभी के बातों का जवाब देने का जिम्मा आप ही ले लेते हैं जब की ये गलत है ।
चार लोगों के बैठने पर बात चित तो होना तै है मगर जिससे जो बात कर रहा हो या कुछ पूछ रहा हो तो वहाँ खामोशी जरुरी है कभी कभी जब पहले के पास जवाब नहीं होता तो वो दूसरे से पूछता है । कभी कभी ऐसा भी होता है कि कोई अपनी बात या राय सामूहिक रखता है जिसमें कोई भी अपनी राय या सहमती दे सकता है लेकिन बेहतर तो यही होगा कि जबतक आप से जवाब, राय या सहमति न मागी जाय तबतक आप खामोश ही रहें तो ही अच्छा है बीच बीच में कूद कर अपनी छवि न बिगाडे ।
बात चित करने का ढंग क्या होता है उसे जानें बहुत सारे 
लोग ऐसे भी हैं कि दो लोगों के बीच में यानी आपस में ही अपने आगे सामने वाले की कुछ सुनते ही नहीं अब आप ही जरा सोच कर बताएं कि कैसे बात किया जाए  ? 
समझ में नहीं आता कि ये लोग खामोशी पूर्वक कैसे तीन घंटे फिल्म देख लेते हैं या कुछ पढ लेते हैं ।

वकील

मैं एक वकील हूँ जादूगर नहीं 
वहां कोर्ट में लडाई सबूतों पर लड़ी जाती है 
कल्पनाओं पर नहीं , झूठ हो या सच सबूत सब के पेश
करने पड़ते हैं ।

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

बर्दास्त

जिंदगी को जिने के लिए और उसे खुशहाल बनाने के लिए जजबात की जरूरत नहीं होती बल्कि बर्दास्त की जरूरत होती है बहुत कुछ सुनना पड़ता है , बहुत कुछ झेलना पड़ता है , बहुत कुछ बर्दास्त करना पड़ता है ।
जिंदगी अपने सही ढर्रे पर एक दो दिन में नहीं आती और
न एक दो साल में आती है काफी वक़्त लगता है ।

सोमवार, 6 जुलाई 2020

सकारात्मक

हर चीज़ नकारात्मक नहीं होती । सकारात्मकता भी कुछ होती है अगर सकारात्मक देखें तो वास्तव में सब कुछ सकारात्मक ही है । नकारात्मक सोच आप को भटकाती है सकारात्मक सोच सही मार्ग पर ले जाती है ।
आप को खुद को यानी अपने आप को बदलने की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी सोंच को बदलने की जरूरत है जिस दिन आप अपनी सोंच को बदल देंगे उस दिन से आप का सब कुछ बदल जाएगा ।

रविवार, 5 जुलाई 2020

ग्रंथ

हर इंसान एक ग्रंथ होता है जिसमें हर तरह के रंग भरे 
होते हैं । जिस दिन आप इंसान रुपी ग्रंथ के चेहरे और
दिल को पढने की कला को जान जाएंगे उस दिन से आप उस ग्रंथ को पढना भूल जाएंगे जिसे पढने में अपनी आथी या पुरी जिंदगी गुजारी है । बेबसी और लाचारी आलमारी में पड़े ग्रंथ से नहीं जाती इंसान का माध्यम इंसान ही बनता है । मेरे कहने का मतलब किसी भी थार्मिक ग्रंथ से नहीं है ।
मैंने दुनियां के शिक्षा पद्धति के ग्रंथों की बात की है ।

शनिवार, 4 जुलाई 2020

आत्मा

आत्मा से आत्मा का लगाव अपने हर गतिविधियों का
एहसास करा देती है चाहे वो शरीर में हो या शरीर से बाहर ।

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

निजी स्वार्थ

कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ में इतने अंधे हो जाते हैं कि
उनके सामने रिस्तों और संबन्धों का कोई मोल नहीं रह 
जाता। इज्ज़त और मर्यादाओं से कुछ लेना देना नहीं है ।

बूढा

बूढा होना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन वही बूढा कामयाब है जो समय के अनुसार अपने आप को बदल ले । कुछ बूढ़े लोग ऐसे भी हैं जो नौजवानों को कुछ समझते ही नहीं जब की हर बूढों को चाहिए कि नौजवानों के जजबात को समझने की कोशिश करें और उनसे अपने मैत्री संबंध बना कर अपने आप को बदलने की कोशिश करें ।

गुरुवार, 2 जुलाई 2020

समस्याएं

ज़रूरतें घटा लो समस्याएं घट जाएंगी ।
समस्याएं जरूरतों को पूरा करने के लिए 
मजबूर करतीं हैं ।

बुधवार, 1 जुलाई 2020

बनने और बिगड़ने

किसी के मरने से कोई बन जाता है ।
किसी के मरने से कोई बिगड़ जाता है ।
बनने और बिगड़ने का खेल मौत भी रच कर जाती है ।