hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शुक्रवार, 6 अगस्त 2021
चल पड़ा हूं सफ़र पे अब अपने
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
कुछ भूल गये
बुधवार, 18 दिसंबर 2019
मिले
बे वजह ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बे माकसद ,,,,,,,,,,,,,,,
अक्सर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो ,,,,,,,,,,,,,,
हर मोड़ पर ,,,,,,,,,,,,,,,
मिले। ,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ बातें थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ वादे थे। ,,,,,,,,,,,,,,,,,
जब ढूँढने लगे ,,,,,,,,,,,,,,,
तो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ला पता ,,,,,,,,,,,,
मिले। ,,,,,,,,,,,,,,,,
सोमवार, 3 जून 2019
विचारक हैं तो विचार कीजिये
विचारक हैं तो विचार कीजिये ।
पहले सारी दुनियां से प्यार कीजिये ।।
सब देश हैं अपने सब लोग हैं अपने ।
मत किसी निर्दोष पर वर कीजिये ।।
मेरा तेरा कह के क्यों लड़ रहे हैं आप ।
हर किसी का स्वागत सत्कार कीजिये ।।
विचारक हैं तो विचार कीजिये ।
मजबूर न हो कोई कुछ काम हो ऐसा ।
कुछ ऐसी व्यवस्थाओं का विस्तार कीजिये ।।
भूख से जो सूख कर मुरझाये हैं चेहरे ।
उनको भी कुछ मुस्कान और निखार दीजिए ।।
विचारक हैं तो विचार कीजिये ।
इंसानियत का पाठ पढें और पढाईये ।
मुफ्त में मत जिंदगी बेकार गवाईये ।।
अगर खुदा की बात में अमल है आप का ।
तो सत्य से कभी भी मत इन्कार कीजिये ।।
विचारक हैं तो विचार कीजिये ।
बदले की आग में न जलाना अपने आप को ।
चैन भरी नींद में सो जाना रात को ।।
अन्दाज़ अपने अपने सबके हैं अलग यहाँ ।।
पर आप इन्सानियत का तो प्रचार कीजिये ।।
विचारक हैं तो विचार कीजिये ।
शनिवार, 24 नवंबर 2018
जो दिल ने कहा
मैं कुछ कहना नहीं चाहता
मैं सिर्फ सुनना चाहता हूं
मैं अब सुनना भी नहीं चाहता
मैं तो सिर्फ देखना चाहता हूँ
अब मैं देखना भी नहीं चाहता
अब तो मैं हो जाना चाहता हूँ
और अब तो होना भी नहीं चाहता
अब तो लीन हो जाना चाहता हूँ
परंतु अब लीन भी नहीं होना चाहता
मैं तो बस वही हो जाना चाहता हूँ
अखिर वह है क्या ?
जो मैं हो जाना चाहता हूँ
सदा सदा के लिये
युगों युगों के लिये
नित निरंतर के लिये
अपने लिये नहीं सिर्फ तुम्हारे लिये
और तुम्हारे लिये भी नहीं
सिर्फ तुम्हारी आत्मा के लिये
बस यही तो है तुम्हारे पास
एक अनमोल रतन
जिसे तुम समझ नहीं पाते
जिसे आनंदित करने का
तुम्हारे पास कोई ज्ञान नहीं
उस ज्ञान को देने के लिये
इस आत्मा को आनंदित करने के लिये
संपूर्णआनंद होना चाहता हूँ
जिससे असुद्ध अत्माओं को आनंदित कर सकूँ
वह भी संपुर्ण सदानंदित ...........।
विचारक- जावेद गोरखपुरी
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