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रविवार, 19 अक्टूबर 2025

रुह ( आत्म )

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह तक को तुमसे ,
बांध रखा था ।

लेकिन अब ।

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह से तुम्हारे रुह को ,
हमेशा के लिए आजाद कर गयी है ।

पहले मेरे जिस्म से सिर्फ ,
तुम्हारा ही साया बनता था ।
आज तुम्हारा जिस्म तो दूर ‌।

तुम्हारे रुह की परछाई भी ।
मुझे परायी और अजनबी ,
सी लगने लगी है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 18 सितंबर 2025

जन्मने और मरने

पेड़ जब सूखने लगता है ।
तब उसकी जड़ में ,
दुनियां के सारे ड्राई फ्रूट्स ,
पीस कर डालें जायं तब भी 
वो हरा - भरा नहीं हो सकता ।

इसी तरह इंसान जब बूढ़ा होने लगता है ।
तब दुनियां की कोई भी ताक़त ,
उसे फिर से जवान नहीं कर सकती है ।

दुनियां में हर चीज़ के जन्मने और मरने ।
बनने और बिगड़ने की एक प्रक्रिया है ।
जिसे कोई रोक नहीं सकता है ।
                          " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 10 सितंबर 2025

वास्तविकता

दिमाग को ईश्वर संचालित करता है ।
इसमें तुम कुछ नहीं कर सकते हो ।

दिल को आत्मा संचालित करती है ।
इसमें आधा तुम्हारा बस चलता है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

दिमाग को पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "