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शनिवार, 10 नवंबर 2018

आदमी गरीब था

संकोची था शर्मीला था  ।
किसी से कुछ नहीं कहता था ।।
भूखे पेट ही मजदूरी  ।
सारा दिन वो करता था ।।
क्यों की आदमी गरीब था
राम राम और साहब सलाम ।
सुबह से हो जाती थी शाम ।।
भूख से जब वह गिर जाता था ।
बेवडा कहकर कर देते बदनाम ।।
क्यों की आदमी गरीब था
बच्चो से बूढ़े तक को ।
सबको देता है सम्मान ।।
जीवन के हर मोड़ पर ।
सिर्फ मिला उसको अपमान ।।
क्यों की आदमी गरीब था
बड़े आदमी लगते थे ।
लंबी चौड़ी फेंकते थे ।।
इसकी सच्चाइ को सुनकर ।
झूठा कहकर हंसते थे ।।
क्यों की आदमी गरीब था
हाथ कटे तो गोबर बाधो ।
पेट के लिए गोबर्धन छानो ।।
टेटनस की सुई कौन लगवाता ।
होटल मे खाना कौन खिलाता ।।
क्यों की आदमी गरीब था

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