जब वक़्त खराब होता है तो
वो भी बोल कर निकल जाता है
जिसकी कभी कोई औकात नहीं होती।
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शनिवार, 30 नवंबर 2019
औकात
शुक्रवार, 29 नवंबर 2019
बुद्धिजीवी
लोग बहुत ही बुद्धिजीवी हो गये हैं।
बिना मांगे ही लोगों को सुझाव देने लगते हैं।
मगर खुद कि समस्याओं को नहीं सुलझा
सकते।
गुरुवार, 28 नवंबर 2019
समस्या
आप जिसे समस्या समझ रहे हैं वो वास्तव में समस्या
नहीं है वो सिर्फ और सिर्फ आप के समझ के बाहर है।
जिस वक़्त आप ठंडे दिमाग से समस्याओं को समझने
और सुल्झाने बैठेंगे तो सारी गुत्थी अपने आप सुलझ
कर सामने आना शुरू हो जाती हैं।
इसके बाद भी अगर आप को कुछ नहीं समझ में आ
रहा हो तो उसे चुने जो आप के सबसे करीब हो।
मगर उसके अंदर इमानदारी, शराफत, और गंभीरता
भी होनी चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह
बूढा है या नौजवान ।
बुधवार, 27 नवंबर 2019
मजबुरियां
कुछ तो मजबुरियां रही होंगी ।
यू ही कोई बेवफ़ा नहीं होता ।।
वक्त हालात को बदलते हैं ।
आदमी खुद खफा नहीं होता ।।
जीना
खुद कि खुश फ़हमी में जीना छोड़ दो ।
लोगों को खुशी देकर उनकी खुशी में जीना
सीखलो । जि़दगी आसान और खुशहाल हो जाएगी ।
कानून
जबतक तुम्हारे जिस्म पर वर्दी है
तभी तक तुम भी हो और तुम्हारा कानून भी।
जिस दिन बिना वर्दी के मुझे दिख गये
उस दिन न तुम रहोगे और न तुम्हारा कानून।
सोमवार, 25 नवंबर 2019
मत मार
तुम अकेले पैदा हुए हो।
अकेले ही तुम्हें मरना भी है।
तुम्हें यहाँ से कुछ लेकर जाना भी नहीं है।
फिर किसके लिए मर रहे हो।
जो भी इस दुनिया में आता है वो अपना
नसीब साथ में ले के आता है।
तुम किसी के नसीब में कोई बदलाव नहीं
कर सकते। इस लिए पूरी आजादी के साथ
जियो जो भी सपना हो उसे पूरा करने की कोशिश
करो। अपने शोक को कभी मत मारो ।
सोंचो
कभी कभी अपने हों या दूसरे की सच्चाई को अपने
दिल में जि़दगी भर के लिए दफनाये रखना पड़ता है।
अगर उस राज को खोल दिया जाये तो सामने वाले की
चरित्र हीनता समाज और अपनों के बीच न जीने देगी
और न तो सर उठा कर बात करने के लायक रक्खेगी।
जब की यही हमारी सबसे बड़ी भूल होती है।
हम जिसपर पर्दा डाल कर सारी जि़दगी बचाते हैं।
वही सोते, जागते,उठते, बैठते हर पल हर वक्त मुझे ही
बर्बाद और बदनाम करने के चक्कर में रहता है।
सिर्फ इस गलत फ़हमी से कि कहीं ये मेरे राज़ को किसी से खोल न दें।
इस वजह से अपनी बर्बादी और नुकसान को भी
चुप चाप सहना पड़ता है।
दिल में कोई बोझ या राज छुपाने से बेहतर है कि
उसे उसी के हवाले कर दिया जाए। जिसका है।
क्या कि मरना भी तुम्हें ही है और जीना भी तुम्हें।
तो फिर आजादी से जियो, ईमानदारी के साथ।
किसी के दबाव में तुम्हें जीने की कोई जरूरत नहीं है।
इस दुनिया में क्यों भेजे गये हो उसे सोंचो ।
शनिवार, 23 नवंबर 2019
इस दुनिया में
इस दुनिया में 99% लोग दुनिया की हकिकत से
वाकिफ नहीं हैं।
यही वजह है कि लोग अपने ही दर्द और ख़ुशी में जी
रहे हैं।
जिस दिन दुनिया की 99% हकीकत को जान लेंगे
उस दिन से जीना मुश्किल हो जाएगा।
हार्ट अटैक भी हो सकता है।
आज ही करो
खाने से भी मौत होती है।
बिना खाये भी मौत होती है।
गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट हो जाता है
इसकी वजह से भी मौत होती है।
बिमार पड़ने से भी मौत होती है।
गोली लगने से भी मौत होती है।
मार लग जाने से भी मौत हो जाती है।
हार्ट अटैक से भी मौत हो जाती है।
मरने के लाखों रंग रुप हैं।
इस दुनिया में जो भी आया सब को
मरना है।
इस दुनिया में अमर होकर हमेशा हमेशा
के लिए जि़दा रहना नामुमकिन है।
फिर कल की आशा और ऊम्मीदें कैसी।
जो बिता है वह कल था।
जो आने वाला है वो भी कल है।
उसका क्या ?
जो कुछ भी है वो आज है।
सब कुछ आज में ही होता है।
कल तो सिर्फ टालने के लिए होता है।
रात को सो गये।
जब सुबह उठे तो आज हो गया।
कहां गया कल ?
इस लिए मरने के लिए हर पल तैयार रहो।
कल पर कुछ मत छोड़ो जो करना है
आज ही करो।
रविवार, 17 नवंबर 2019
जिद
मैने जो चाहा
शनिवार, 16 नवंबर 2019
दिल भी तेरा दिमाग तेरा है
दिल भी तेरा दिमाग तेरा है ।
तेरे जुल्मो ने तुझको घेरा है ।।
उन बुरे वक़्त को जरा सेंचो ।
आज जो हो वो सब मेरा है ।।
सोंच अपनी जुबान अपनी है
सोंच अपनी जुबान अपनी है ।
झूठ सच की दुकान अपनी है ।।
तेरे सोंचो पे किसका पहरा है ।
उठो, चलो, जहांन अपनी है ।।
उसको देखा तो उड़ गयी नींदे ।
नई दुल्हन में मकान अपनी है ।।
कब, क्या, कैसे, तुम्हें पाना है ।
ये समझने का ग्यान अपनी है ।।
बढ रहा है जावेद भीड़ का समंदर ।
बेरोजगार हूं ये कहने में शान अपनी है ।।
बुधवार, 13 नवंबर 2019
सपने
मंगलवार, 12 नवंबर 2019
मुझ से छुप कर
मुझसे छुप कर के कोई आके गुजर जाता है ।
जाने क्यों जान कर वो दिल मेरा तड़पाता है ।
क्यों तड़पता है किसी और की चाहत में वो ।
मुझको तड़पा के भला कैसी खुशी पाता है ।
मन के मन्दिर में जो तस्वीर नज़र आता है ।
मैने चाहा है सनम दिल का तुमसे नाता है
तेरी गलियों से गुजर कर के भी खामोश हैं हम ।
बेवफा तेरा ही गंम हर वक्त मुझे खाता है ।
तुमको जावेद कभी भुल नहीं पाएगा ।
एक तू ही है जो दिल को मेरे भाता है ।
शनिवार, 9 नवंबर 2019
दिल से चाहा
जिसने हमेशा हमको दिल से चाहा
वही आज हमको भुलाने लगा है ।
मोहब्बत का सौदा खुद कर रहा है।
किसी और का गीत गाने लगा है ।
जमाने से भी कोई सिक्वा नहीं है।
वो खुद रंग अपने दिखाने लगा है ।
हमें दुसमनों की जरूरत ही क्या है।
जो अपना था वो ही जलाने लगा है
हमें जख्म अपनो ने ईतने दीये हैं।
दर्द भी दर्द से मुंह छुपाने लगा है ।
वफा का सिला बेवफाई से दे कर।
मुहब्बत को दिल से मिटाने लगा है ।
मुझको पता है वो बदला है जावेद।
कि झुठी कसम मेरी खाने लगा है
तूफान ए गोरी
मारी मुस्की मचावेलु तुफान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
सपना तुहार आवे राती के जगावेला ।
सारी सारी रात हमके नींद नाहीं आवेला ।।
मोरा तुहरे में बसेला। परान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
काम करीं कहीं मन तुहरे पे अटके ।
मन नाहीं लागे दिल तुहरे से हटके ।।
तूँ त जान सब भईलु अन जान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
असरा तुहार बाटे सरधा पुरा द।
कईसे मनाईं मन के एतना बता द ।।
कईले बानी तुंहसे प्यार के एलान गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
र ह तइयार सजनी डोली लेके आइब ।
आपन दुलहिनियां हम तुँहके बनाइब ।।
शुक्रवार, 8 नवंबर 2019
जरूरत
लोग कुछ करना नहीं चाहते।
जरूरतें सब कुछ करा लेती हैं।
सोमवार, 4 नवंबर 2019
हम उस देश के वासी हैं
हम उस देश के वासी हैं ।
जहां इंसान को बेचा जाता है ।।
पांच रुपये के ख़ातिर भी ।
ईमान को बेचा जाता है ।।
जात धर्म और लिंग भेद में ।
नफ़रत की दीवारें हैं ।।
सत्ता की कुर्सी के ख़ातिर ।
जान को बेचा जाता है ।।
किसने कैसे देश चलाया ।
किसने कैसे देश बचाया ।।
उनको याद दिला कर के ।
पहचान को बेचा जाता है ।।
तुम जो हो, खुद में हो ।
मुझको तुमसे क्या मतलब ।।
अपना कह कर के ही तो ।
सम्मान को बेचा जाता है ।।
अंध विश्वास कि माया है ।
पाखंड देश पर छाया है ।।
रातो रात अमीर बना दे जो ।
भगवान को भी बेचा जाता है ।।
शनिवार, 2 नवंबर 2019
झूठ और सच
सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है कि आप उसे खरीद लें।
सच्चाई तो सिर्फ आप के दिल में है।
झूठ को कहीं से सीखने की जरुरत नहीं पड़ती,
तुम्हारी जरूरतें सिखा देती हैं।
तुम्हारी जरूरतों ने झूठ को इतना बढा दिया है कि
अब हर पल तुम्हारी जिंदगी झूठ के बल पर ही कट रही है। यही वजह है कि सच के एक भी अल्फाज तुम्हारे
जुबान पर आने में अपराध जैसा लगता है।
शुक्रवार, 1 नवंबर 2019
झूठों की मन्डी
दुनियां जबसे कायम हुई है तभी से झूठ को धरती पर फैलाया जा रहा है। आज हालात ये है कि झूठों की बड़ी
बड़ी मन्डीयां कायम की गई हैं।
जैसे - सुप्रीम कोर्ट
हाई कोर्ट
कलेक्टरी कचहरी
दीवानी कचहरी
तहसील
ब्लाक
तथा अन्य जिसे आप समझ सकते हैं।
एक बार मुझे हाई कोर्ट इलाहाबाद जाना पड़ा।
दूसरी मंजिल से नीचे जब मैने अपनी नजर को
दौड़ाया तो हर तरफ काली कोट वालों की भीड़
सड़क से लेकर कोर्ट के बाउंडरी और छत सब कुछ
खचाखच भरा हुआ था।
ऐसा लगा जैसे समस्त भारत के गिद्ध और कौवे यहीं
इकट्ठे हो गये हैं।
जिस जिस प्रकार की डीलिंग सुना और देखा उससे
ये समझ आया कि अगर जज की कुर्सी पर साछात
ईश्वर आकर बैठते तो मरने वालों की तारीखें डाल डाल
कर उसे ज़िंदा कर दिया जाता। किसी को कभी मरने ही
नहीं दिया जाता।