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रविवार, 1 दिसंबर 2019

मार दिया

अपनो ने दुत्कार दिया ।
गैरों ने ही प्यार दिया  ।।

अंधेरे में जब डूबा था  ।
उजाला मेरा यार दिया ।।

बे माकसद बे मायने थे ।
खुद से ही अनजाने थे ।।

जीवन  कैसे  जीना  है   ।
उसने ही तो सार दिया  ।।

लाखों  चेहरे  लाखों  लोग  ।
लाखों व्यंजन लाखों भोग ।।

कितना दर्द दिया है जावेद ।
यार  को अपने मार  दिया ।।

शनिवार, 16 नवंबर 2019

सोंच अपनी जुबान अपनी है

सोंच अपनी जुबान अपनी है ।
झूठ सच की दुकान अपनी है ।।

तेरे सोंचो पे किसका पहरा है ।
उठो, चलो, जहांन अपनी है ।।

उसको देखा तो उड़ गयी नींदे ।
नई दुल्हन में मकान अपनी है ।।

कब, क्या, कैसे, तुम्हें पाना है ।
ये समझने का ग्यान अपनी है ।।

बढ  रहा  है  जावेद  भीड़  का समंदर ।
बेरोजगार हूं ये कहने में शान अपनी है ।।

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

मुझ से छुप कर

मुझसे छुप कर के कोई आके गुजर जाता है ।
जाने क्यों जान कर वो दिल मेरा तड़पाता है ।

क्यों तड़पता है किसी और की चाहत में वो ।
मुझको तड़पा के भला कैसी खुशी पाता है ।

मन के मन्दिर में जो तस्वीर नज़र आता है ।
मैने चाहा है सनम दिल का तुमसे नाता है

तेरी गलियों से गुजर कर के भी खामोश हैं हम ।
बेवफा तेरा ही गंम हर वक्त मुझे खाता है ।

तुमको जावेद कभी भुल नहीं पाएगा ।
एक तू ही है जो दिल को मेरे भाता है ।
       

शनिवार, 9 नवंबर 2019

दिल से चाहा

जिसने हमेशा हमको दिल से चाहा
वही आज हमको भुलाने लगा है ।

मोहब्बत का सौदा खुद कर रहा है।
किसी और का गीत गाने लगा है ।

जमाने से भी कोई सिक्वा नहीं है।
वो खुद रंग अपने दिखाने लगा है ।

हमें दुसमनों की जरूरत ही क्या है।
जो अपना था वो ही जलाने लगा है

हमें जख्म अपनो ने ईतने दीये हैं।
दर्द भी दर्द से मुंह छुपाने लगा है ।

वफा का सिला बेवफाई से दे कर।
मुहब्बत को दिल से मिटाने लगा है ।

मुझको पता है वो बदला है जावेद।
कि झुठी कसम मेरी खाने लगा है

       

सोमवार, 4 नवंबर 2019

हम उस देश के वासी हैं

हम  उस  देश  के  वासी  हैं   ।
जहां इंसान को बेचा जाता है ।।
पांच रुपये के ख़ातिर भी  ।
ईमान को बेचा जाता है  ।।

जात धर्म और लिंग भेद में ।
नफ़रत  की  दीवारें  हैं     ।।
सत्ता की कुर्सी के ख़ातिर  ।
जान  को  बेचा  जाता है  ।।

किसने कैसे देश चलाया  ।
किसने कैसे देश बचाया  ।।
उनको याद दिला कर के  ।
पहचान को बेचा जाता है ।।

तुम  जो  हो, खुद  में  हो   ।
मुझको तुमसे क्या मतलब ।।
अपना कह कर के ही  तो  ।
सम्मान को बेचा जाता है  ।।

अंध विश्वास कि माया है  ।
पाखंड देश पर छाया है   ।।
रातो रात अमीर बना दे जो ।
भगवान को भी बेचा जाता है ।।

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

किस से कहें हम

किस से कहें हम  ।
कैसे रहें हम       ।।

ये दिल का है दर्द  ।
कैसे सहें हम      ।।

जिंदगी की आखिरी ।
मौत की नींद है      ।।

इससे भला अब     ।
कैसे डरें हम        ।

अगर काट दो मेरे  ।
किस्मत का लिक्खा ।।

तुम जो कहो वही  ।
फिर करें हम       ।।

जो भी कहे हो      ।
सब कुछ किया है  ।।
जावेद बोलो    ।
कितना मरें हम  ।।

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें

बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें ।
कातिलों के खौफ से क्या हम जमाना छोड़ दें ।।
मस्जिदों में बम धमाके हो रहे हैं आज कल  ।
क्या करें हम मस्जिदों में आना जाना छोड़ दें ।।
अपना हक बनता है जो भी आगे बढ़ कर छीन लें ।
बुझदिली से आप सब भी आंसू बहाना छोड़ दें  ।।
कायदे आज़म बने अपने कबीले का कोई  ।
आवो हम सरकार गैरों की बनाना छोड़ दें ।।
इस कदर महंगाई बढती जा रही है दिन-ब-दिन ।
जी में  आता है यही कि खाना दाना छोड़ दें   ।।
शम्स हूं शम्मा नहीं हूं मैं किसी दहलीज का  ।
आंधियों से कह दो  हमको आजमाना छोड़ दें ।।
पस्त हो जाएंगे जावेद ज़ालिमों के हौसले  ।
जुर्म के आगे अगर ये सर झुकाना छोड़ दें ।।

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ ।
बम धमाके भी हो रहे हैं हर तरफ ।।

आने वाली मुश्किलों से बे खबर  ।
कुछ लोग देखो सो रहे हैं हर तरफ ।।

बे गुनाहों के लहू से देखिये           ।
लोग धब्बे धो रहे हैं हर तरफ       ।।

कुछ लोग मजहब का लेबादा ओढ कर ।
अपनी अज़मत खो रहे हैं हर तरफ     ।।

इन्सानियत जख्मों से जावेद चूर है   ।
बच्चे बूढे रो रहे हैं हर तरफ           ।।

जब देखो तक़दीर का रोना रोता है

जब देखो तक़दीर का रोना रोता है ।
अपनी राह में कांटे खुद ही बोता है ।।

बेकारी में वक्त जो अपना खोता है ।
पछताता है खूंन के आंसू रोता है  ।।

ये मत सोचो वक्त पे कोई काम आएगा ।
इस दुनियां में कौन किसी का होता है  ।।

खुद मेहनत कर के आगे बढना सिखो ।
क्या भीख मांग कर राजा कोई होता है ।।

रोज़ी आकर दरवाजे से लौटेगी जावेद ।
सूरज चढने तक बिस्तर में जो सोता है ।।

देख कर

आंखों में अश्क आ गये कश्मीर देख कर ।
जन्नत में रहने वालों की तक़दीर देख कर ।।

बच्चे हमारे शहर के दहशत में आ गये  ।
कुछ बुझदिलों के हाथ में शमशीर देख कर ।।

जो है तेरे नसीब में तुझको मिलेगा वो  ।
आहें न भर गैरों की जागीर देख कर  ।।

शायर हूं मै जरूर मगर शायरी है तू  ।
लिखता हूँ गज़ल तेरी तस्वीर देख कर ।।

जावेद अभी कायम है मजनूँ का सिलसिला ।
हैरान क्यों है रेत पर तहरीर देख कर  ।।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

कौन देता है

जरा सोचो कि जहरीली फिजाएं कौन देता है ।
यहाँ पे बे गुनाहों को सजाएं कौन देता है  ।।

लगी है आग पुरे देश में फिरका परस्ती की ।
भडकती है जो चिंगारी हवाएं कौन देता है ।।

गुजरता हूं उधर से जब कभी सुनसान रातों में ।
मुझे शहरे खमुशा से सदाएं कौन देता है  ।।

सभी डूबे हुए हैं जुर्म की मदहोश खुशबू में  ।
किसी बीमार मां को अब दवाएं कौन देता है ।।

यह दुनिया है यहाँ पे होता है हर चीज का शौदा ।
बिना उजरत लिए जावेद दुवाएं कौन देता है  ।।


किया उसने

जिंदगी भर तो सितम किया उसने ।
जुर्म कब अपन कम किया उसने  ।।

चार दिन की मिली हुकूमत क्या  ।
नाक में सबके दम किया उसने  ।।

कुछ न कुछ हादसे हुए अक्सर  ।
जब भी मुझपे करम किया उसने ।।

पेट अब तक भरा नहीं उसका ।
सबका हिस्सा हजम किया उसने ।।

ऊंची दहलीज जिस जगह देखी ।
सिर वहीं अपना खम किया उसने ।।

रो पड़े दर्द से फरिश्ते भी ।
मां की आंखों को नम किया उसने ।।

फिक्र अपनी लगी रही हर दम ।
कब जमाने का गम किया उसने ।।

रह गये सब उलझ के आपस में ।
जावेद ऐसा पैदा करम किया उसने ।।

मर रहे हैं

करोडों लोग इस दुनियां में भूखे मर रहे हैं ।
सियासत बाज लाशों पर सियासत कर रहे हैं ।।

दलाली और घोटाले हैं देखो हर तरफ ।
यहाँ कानून के माहिर खिलाड़ी डर रहे हैं ।।

तआज्जुब होता है यह पढ के  अखबार में ।
कि चारा जानवर का आदमी भी चर रहे हैं ।।

मुख से  गरीबों का निवाला छीन कर ।
कुछ लोग हैं जो पेट अपना भर रहे हैं ।।

बड़े माहिर खिलाड़ी हैं हमारे देश में जावेद ।
जो गरीबों का धन विदेशों में जमा कर रहे हैं ।।

बहुत है

दुनिया ये समझती है कि आराम बहुत है ।
हर शख्स कि आंखों में कोहराम बहुत है ।।

पढ लिख कर करोड़ों यहाँ बेकार पड़े हैं ।
सरकार ये कहती है है यहाँ काम बहुत है ।।

वादों के सहारे यहाँ जीते हैं सभी लोग  ।
जीने के लिए लालच भरा पैगाम बहुत है ।।

हर आदमी कहता है खुलेआम यहाँ पर ।
सरकार मेरे देश कि नाकाम बहुत है ।।

मजलूम को इन्साफ मिलता नहीं जावेद ।
कानून मेरे देश का बदनाम बहुत है  ।।

की तरह

कुछ लोग भी होते हैं चट्टान की तरह ।
सिर पे सवार रहते हैं शैतान की तरह ।।

आते हैं अपने साथ में लेकर तबाहियां ।
सैलाब कि तरह कभी तूफान की तरह ।।

ऐसे ही लोग जिंदगी को बर्बाद कर गये ।
दिल में जिसे बसाया था जान की तरह ।।

पहले तो जिस्म बिकते थे बाजार में मगर ।
बिकने लगा है प्यार भी सामान की तरह ।।

जावेद जरा अपने देश का दस्तूर तो देखो ।
मिलता है अपना हक भी यहाँ दान की तरह ।।

क्या हुआ

क्या हुआ क्यों उडा हुआ चेहरे का रंग है ।
न दिल्लगी, न आरजू, न कोई उमंग है   ।।

छाई हुई है हर तरफ खामोशी, उदासी ।
जैसे कोई गरीब अपनी गरीबी से तंग है ।।

भगदड मचि हुई है जिधर देखिये उधर ।
इन्सान का इन्सान से रोटी की जंग है ।।

हँसते हो देख कर क्यों अपनों कि बेबसी
दिल है तुम्हारे सीने में या कोई संग है  ।।

हक उसका उसको दीजिए जैसे भी हो सके ।
लाचार कोई आदमी है या कोई अपंग है ।।

जो भी गया जावेद आया न फिर कभी ।
अल्लाह जाने कब्र में ये कैसी सुरंग है ।।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

देखो

खुद अपने आप में प्यासा है समुन्दर देखो ।
वक्त की बात है ऐ दोस्त मुकद्दर देखो      ।।

सिर झुकाता है कोई फूल चढाता है कोई ।
देवता बन गया है राह का पत्थर देखो    ।।

मौत से मैं हि बचाकर के जिसे लाया था ।
उसी के हाथ में है मेरे लिए खंजर देखो  ।।

कौन पाता है उसे जिसकी लगी है बाजी ।
कौन है शहर में किस्मत का सिकन्दर देखो ।

जिनके खुशियों के लिए खुद को मिटाया जावेद ।
आज छुपते है वो परदे के अंदर देखो ।।

कुछ निशानी

किसी कि दि हुई कुछ निशानी       ।
किसी कि मुहब्बत भरी मेहरबानी ।।

महकती मेरी रात भी खुशबुओं से ।
मुकद्दर में होती अगर रात रानी    ।।

मेरे देस्तों वक्त आया है  ऐसा    ।
हो गया आज दूध से मंहगा पानी ।।

बदल जाएगा सारा मंजर यहाँ का ।
हकीकत कि है एक नई ये कहानी ।।

गुजरेगी क्या उस वक्त दिल पे जावेद ।
करेगा कोई जब गलत बज्जबानी    ।।


रविवार, 2 दिसंबर 2018

जलाया है मैने

बुझे हुए चिरागों को भी जलाया है मैने ।
कौन अपना कौन पराया आजमाया है मैने ।।

मक्कारों की दुनियां मिटाकर रहुंगा ।
आज दिल से कसम ये खाया है मैने ।।

उन्हें भी बताओ जो करते हैं झूठे वादे ।
उनके सात पुस्तों की हकीकत को पाया है मैने ।।

भटकता रहा दर बदर एक सदी से ।
मुकम्मल जहां अब बनाया है मैने ।।

मुझे अब किसी का कोई डर नहीं है ।
उसे दिल में जबसे बसाया है मैने    ।।

जावेद को अब कभी मत सताना ।
यही बस बताने बुलाया है मैने     ।।

बुधवार, 7 नवंबर 2018

गिरा इस कदर है

दर्जा दर्जा गिरा इस कदर है  ।
झूठ दिल मे सच दर बदर है  ।।
कब कहा वो मिले लूट ले हम ।
कतिलाना याहा हर नजर है  ।
जो जाहा है वहीं सोचता है  ।।
वक़्त का चाहे कोई पहर है  ।
मुझको मालूम है सबकी मक्करिया ।
हंस के मिलता हूँ ये मेरा हुनर है  ।।
झूठ से तुम कहाँ तक बचोगे  l
झूठ वालों का सारा नगर है  ।।
इस जहाँ मे तुम्हे खुद है जीना ।
बस अकेले ही चलना सफ़र है ।।
खुद को कैसे बचावोगे जावेद  ।
उसके जादू मे इतना असर है  ।।