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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

किया उसने

जिंदगी भर तो सितम किया उसने ।
जुर्म कब अपन कम किया उसने  ।।

चार दिन की मिली हुकूमत क्या  ।
नाक में सबके दम किया उसने  ।।

कुछ न कुछ हादसे हुए अक्सर  ।
जब भी मुझपे करम किया उसने ।।

पेट अब तक भरा नहीं उसका ।
सबका हिस्सा हजम किया उसने ।।

ऊंची दहलीज जिस जगह देखी ।
सिर वहीं अपना खम किया उसने ।।

रो पड़े दर्द से फरिश्ते भी ।
मां की आंखों को नम किया उसने ।।

फिक्र अपनी लगी रही हर दम ।
कब जमाने का गम किया उसने ।।

रह गये सब उलझ के आपस में ।
जावेद ऐसा पैदा करम किया उसने ।।

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