Translate

बुधवार, 30 सितंबर 2020

रंगीनीयां

नींद में देखे गये सपने को सच करने की जरूरत नहीं होती क्यों कि वह जितना भी होता है वो अपने आप में कंपलीट होता है । बस एक आश्चर्य में डाल देने वाली याद रहती है । ऐसे सपने में चाहे कितनी भी बड़ी से बड़ी घटनाएं हो जाएं मगर नींद खुलने पर खुद को सही सलामत पाते हैं । खुली आँखों से देखे जाने वाले सपने में चार चीजें शामिल होती हैं जैसे -
1- दिल ।
2- दिमाग ।
3- प्लैनिंग ।
4- खुली आँखों से सपने को सजोना ।
अब यहीं संघर्ष शुरु होता है । हर वक़्त खयालो में डूबे रहना कि कब और कितना जल्दी इसे पूरा कर लिया जाय क्यों कि इस सपने में फिल्म कि तरह सब कुछ दिखता है । यही वजह है कि इस सपने की रंगीनीयां देखने वाले को एक भी पल चैन से रहने नहीं देती ।

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

पैसा

इस दुनियां में अनेक प्रकार के लोग हैं ।
किसी को समझना मुश्किल है तो किसी को समझाना मुश्किल है । विचारों से सभी के ताल मेल नहीं बैठते लेकिन पैसे से सभी के ताल मेल बैठ जाते हैं ।

सोमवार, 28 सितंबर 2020

भूख

भूख कई तरह की होती है ।
किसी की भूख मिटाने से पहले यह समझ लें कि उसे किस तरह की भूख है और उसे मिटा पाने में आप सछम हैं या नहीं । कहीं ऐसा न हो कि आप किसी की भूख मिटाने के चक्कर में खुद ही न मिट जाएं ।

रविवार, 27 सितंबर 2020

एक वाक्य

अपशब्दों से भरी हुई । घृणा से भरी हुई । अपमानित के नजरिये से । आप के द्वारा बोला गया एक वाक्य किसी को अर्थविछिप्त , हाईपर टेन्शन , ब्रेन हैमरेज, हाई ब्लडप्रेशर , हर्ट अटैक , विद्रोही , क्रिमिनल , दुश्मन , और आप से हमेशा के लिए दूर भी कर सकती है ।
इस लिए हमेशा बोलते समय अपने वाणी पर संयम और 
लगाम रक्खें ।

बुधवार, 23 सितंबर 2020

सलाहकार

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आते हैं जिन से जिंदगी एक नया मोड़ लेकर सवर जाती है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जिंदगी में ऐसी कुंडली मार के बैठ जाते हैं जो अच्छे खासे चलते हुए भाग्य को सही दिशा से उल्टी दिशा में बदल देते हैं और आप को एहसास भी नहीं होता जिससे जिंदगी बर्बाद हो जाती है ।
जब कुछ भी नहीं बचता और उनका मक़सद पुरा हो जाता है तो बड़े ही आसानी से आप की जिंदगी से निकल जाते हैं ।
ऐसे में आप को सोचना है कि सही क्या है और गलत क्या है । यह काम आसान नहीं है मगर परखने का प्रयास जरूर करें किसी पर आंख मूद कर विश्वास करना या कर लेना बहुत बड़ी नादानी होगी ।
आप को किसी सलाहकार की जरुरत नहीं है क्यों कि आप का कोई मंत्रिमंडल नहीं है और न तो कोई बहुत बड़ा बिजनेस की आप सलाहकार पालें , आप के पास भी दिल और दिमाग है । आप अपने दिमाग से सोचे दिल से मनन करें दिल जो कहे उसे करें ।
जिंदगी में सलाह की भी कभी कभी जरुरत पड़ती है । आप जो चाहते हैं उसमें आप से ज्यादा आगे कोई हो और कामयाब भी हो तो आप उनके पास बैठें और उनसे सलाह लें झोला छाप सलाहकार हर कदम पर मिलेंगे उनके चक्कर में कभी न पड़े ।
जिस चीज की सलाह लेना है यदि उस चीज का पारंगत व्यक्ति नहीं है तो घबराने की जरुरत नहीं है क्यों कि आप की योजना युनिक हो सकती है । अगर आप के दिमाग मे उपजी है तो थोड़ा और माइंड लगाएं उसका रास्ता भी उपजेगा क्यों कि जब भी कोई आविष्कार हुआ है तो वो अकेले ही हुआ है किसी सलाहकार ने नहीं किया है ।
हां यह अलग बात है कि कुछ कामों में टीम वर्क हुआ है मगर वह तब हुआ है जब पुरी टीम का लक्ष्य एक रहा है मगर दिमागी उपज तो सिर्फ एक की ही रही है । यानी की टीम के लोगों को भी उसकी आवश्यकता रही है । यहां सलाहकार वही हो सकता है जिसके दिमाग की उपज है ।यानी स्वयं में आप से बड़ा सलाहकार न कोई है और न कोई हो सकता है ।
अतः सतर्क रहें , सचेत रहते हुए अपने काम को अंजाम दे , जो आने वाले दिनों में भले ही किसी के लिए प्रेरणा न बने लेकिन किसी के जीने का सहारा तो जरुर बनेगा ।

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

नाराज़

तुम रुठ कर ही क्या करोगे जब तुम्हें कोई मनाने वाला ही नहीं है । रुठा तो तब जाता है जब आप का कोई हो जिसे आप की चिंता हो जो आप के सुख दुःख और भावनाओं को समझता हो ।
ये अलग बात है कि आप अपनी किस्मत से या अपने आप से नाराज होते हों  । ऐसे में किसी की जरुरत नहीं चाहे कोई हो या न हो ऐसे में सिर्फ दो ही लोग होते हैं ।
1- आप की अन्तर आत्मा ।
2- आप का रब ( ईश्वर )
दिल की वेदना सिधे वहाँ तक पहुंचती है मगर शर्त यह है कि दिल साफ और ईमानदारी से भरा होना चाहिए ।

सोमवार, 21 सितंबर 2020

अमीर

कुछ लोग सारी जिंदगी किसी के नहीं हो पाते 
कुछ लोग अजनबी को भी अपना बना लेते हैं ।
कुछ लोगों के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता 
और कुछ लोगों के पास कुछ भी न होकर सब कुछ होता है क्यों कि ऐसे लोग दिल और दिमाग के बहुत अमीर होते हैं ।

रविवार, 20 सितंबर 2020

सपने

तुम्हारी हर चीज कैद की जा सकती है मगर तुम्हारी सोचो को इस दुनियां में कोई भी कैद नहीं कर सकता ।

अपने लिए सपने सभी संजोते हैं लेकिन 95% लोगों की पुरी जिंदगी कट जाती है लेकिन उनके सपने पूरे नहीं होते ।

1% ऐसे लोग हैं जिन्हें सपने देखने की जरुरत नहीं पडती क्यों कि उन्हें पैदा होने से पहले ही उनकी सोंचो से ज्यादा सब कुछ पहले ही बन चुका होता है ।

 1% ऐसे लोग हैं जिनके सपने में उनके अपनों का साथ होता है और ईश्वरीय सहायता भी प्राप्त होती है ।

1% ऐसे लोग हैं जिन्होंने धोखे से सब कुछ हासिल किये हुए होते हैं ।

2% ऐसे लोग हैं जो अपने सपने पूरे तो कर लेते हैं मगर         उसका सुख  और आनंद उनके किस्मत में नहीं होता मंजिल मिलते ही दुनियां छोड़ना पड़ता है ।

टोटल 5% लोग हुए जिनकी गिन्ती सफल व्यक्तियों में होती है बाकी के लोगों के सपने किसी के समझ में नहीं आते या लोग समझना नहीं चाहते या उसके ऊंचे खयालात और सोंचो से लोग मन ही मन जलन रखने लगते हैं ।
इस लिए साथ और सहयोग देने के बजाय हर मोड़ पर टांग खींचने के लिए अपनी पुरी उर्जा लगा देते हैं उन्हें इस बात की परवाह नहीं होती कि हर रहस्य का पर्दा एक दिन खुलता है ।
जीने के लिए किसी न किसी प्रकार के सपने का होना जरुरी है कम से कम इसी के रंगीन खयालों में लोग अपने ज़िन्दगी को आराम से या उसके आस पर काटते तो रहते हैं वरना बे मक़सद या बे वजह जिंदगी को काटना आसान नहीं बल्कि बे हद मुश्किल है ।
जो है उसे अपनाओ , जितना है उतने में अपने आप को संतुष्ट करना सीखो , इस बात को मानते हुए कि जो तुम्हारा है वो तुम्हारा ही रहेगा उससे कोई भी तुम्हें वंचित ( दुर ) नहीं कर सकता और जो तुम्हारा नहीं है वो सारी जिंदगी तुम्हारा नहीं होगा चाहे तुम कुछ भी कर ढालो ।

शनिवार, 19 सितंबर 2020

विरासत

उसके पास इतना था कि उसने पुर्खों की विरासत को रखा लिया , तुम्हारे पास तो भूजी भांग भी नहीं है कि तुम कोई विरासत को बचाओ तुम पेट की आग बुझाओगे की किसी की विरासत देखोगे  ।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

बेरोजगारी

बिमारी से भी बड़ी बिमारी है 
भूख , समस्या और बेरोजगारी  ।

कर्मकांड

दुनियां में आने से पहले आने के लिए कोई कर्मकांड नहीं है लेकिन दुनियां से जाने के बाद कई कर्मकांड किये जाते हैं ।
शायद इसी लिए कि सारी मोहमाया मिट जाए और यही होता भी है जब जो पास नहीं होता तो धीरे धीरे सांसारिक गतिविधियों में उलझ कर सब खत्म हो जाता है । ये अलग बात है कि कभी किसी ने कोई चर्चा छेड़ दी तो कुछ बातें याद आ जाती हैं मगर दिल और दिमाग के किसी कोने में यह बात तो रहती ही है कि अब वे इस दुनियां में नहीं रहे ।

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

रिशी

ये दुनियां हमसे पहले भी थी और हमारे बाद भी रहेगी ।
हमसे पहले जैसी थी वैसी आज नहीं है और आज जैसी है वैसी आगे नहीं होगी ।
जो चले गये उन्हों ने आज के दौर को नहीं देखा हमारे जाने के बाद हम लौट कर कल के दौर को देखने नहीं आ पाएंगे हर चीज़ का अपना अलग दौर होता है ।
इसी दुनियां में एक ऐसा भी दौर था जब लोग दो तीन हजार साल तक रह कर गये उसके बाद सैकड़ों साल जीने वाले लोग भी आए और अब चालिस, पचास बहुत ज्यादा तो अस्सी साल तक जीने वालों का दौर चल रहा है । मैने एक कहानी पढी थी उसमें एक रिशी थे जो ताड़ के पेड़ के पत्ते जिसे डम्फा भी कहा जाता है उसी का छप्पर बना कर उसी में रह रहे थे । उसी रास्ते से एक दूसरे रिशी कही जा रहे थे जब उनकी नजर उस छप्पर पर पड़ी तो वो छप्पर के पास गये उन्होंने देखा एक आदमी उसमें सो रहा था ।
रिशी के खांसने पर पहले रिशी जो सो रहे थे वे आहट पाकर उठ कर बैठ गये देखा सामने कोई आदमी खड़ा है तुरंत ही उन्हें बैठने को कहा फिर उन्हें पानी पिलाया पानी पी लेने के बाद इन्हों ने कहा कि आप इस पत्ते की जगह एक छोटा सा घर क्यूँ नहीं बना लेते तो रिशी ने कहा कि मैं डेढ हजार साल इसी पत्ते के नीचे गुजार चुका हूँ और अब बचे हुए डेढ हजार साल में क्या होगा इसे छोड़ कर जाना ही होगा अगर पांच दस हजार साल की जिंदगी होती तो कुछ सोंचता खैर आप बताओ आप का घर कहां हैं ?
इस बात पर आने वाले रिशी ने कहा कि मैं तो दो हजार साल से सिर्फ इस पृथ्वी पर घूम रहा हूँ पेड़ों के नीचे रात गुजार लेता हूँ सोचा कहीं स्थाई आप की तरह ठहर जाऊं मगर अब एक हजार साल के लिये क्या रुकूं इसे भी शैर कर के गुजार दुंगा यह कहते हुए खड़े हो गये चलते वक़्त उन्होंने कहा कि इस एक हजार साल में आगर इधर से फिर गुजरना हुआ तो जरूर मिलुंगा। 
अब सोंचिए कि तीन हजार साल की उमर उन लोगों के लिए कुछ भी नहीं थी जिसकी वजह से उन लोगों ने कुछ भी नहीं बनाया और आज आप की उमर कितनी हो सकती है ये आप को एहसास है और इतनी ही उमर में आप को सब कुछ चाहिए भले ही सारी उमर अपनी इच्छाओं को मारना पड़े ।

बुधवार, 16 सितंबर 2020

मीडिया

फेसबुक , यूट्युब , ट्वीटर , इंस्टाग्राम , ब्लॉग आदि इत्यादि ये सब सोशल मीडिया है ।
इसपर सिर्फ एकाउंट या चैनल बना लेने से ही काम नहीं होत । सबसे पहले आप इस बत को सोंच ले कि आप किस मक़सद से आना चाहते हैं ।
समाज को अपने विचारों से एक नयी दिशा देना चाहते हैं समाज से कुछ सीखना चाहते हैं या समाज को भ्रमित कर के गंदा करना चाहते हैं ।
हर प्लेटफार्म पर लोग हैं और हर तरह के लोग हैं और सबको कुछ न कुछ बोलना है , कुछ न कुछ कहना है या कुछ न कुछ तो दिखाना ही है । 
हम क्या कर रहे हैं यह सही है या गलत कितने लोग देखते हैं इसका एक्सन रिएक्शन क्या है शायद इससे कुछ न लेना देना है और न कोई मतलब बस लगे पड़े हैं । यूटियुब पर भी बहुत सारे लोग हैं जो किसी न किसी चीज की जानकारी देने आते हैं कुछ दिन रहते हैं फिर अचानक गायब हो जाते हैं । कुछ लोग ऐसे भी हैं कि पुरी पुरी सीरीज दिखाते हैं जिसे स्टेप बाई स्टेप दो तीन विडियो में समझाया जा सकता है मगर समय खींचना पन्द्रह से बीस या और ज्यादा विडियो दिखवाने के बाद भी वे टिप्स एण्ड ट्रिक्स पुरे सही नहीं साबित होते विवर्स को दुखी होना पड़ता है ।
कुछ लोग अपनी विडियो को बूम कराने के लिए टाईटल कुछ और देते हैं अंदर मामले कुछ और होते हैं ।
ज्यादा दिन ऐसे लोग भी नहीं टिकते । कुछ ऐसे भी युट्युबर हैं जो टिप्स ऐन्ड ट्रिक्स या टेक्नीकल पर जानकारियां तो देते हैं मगर शायद वो प्रैक्टिकल में नहीं होते हैं ।
जानकारियां तो दे देते हैं मगर जब कोई उसे प्रैक्टिकल में लेता है तो कहीं न कहीं कोई न कोई प्राब्लम आ ही जाती है । जिसके समाधान के लिए बहुत सारे लोगों की विडियोज देखनी पड़ती हैं । हर रोज हर प्लेटफार्म पर लोग आ रहे हैं । हो सकता है कोई प्रैक्टिकल किया हुआ आए और सही जानकारी दे, वही टिकेगा जो सही होगा जिससे लोगों कि समस्याएं हल होंगी ।

सोमवार, 14 सितंबर 2020

शिकार

सुख औ दुख , बिमारी और मौत , अमिरी और गरीबी ये 
ऐसी सच्चाई हैं कि जिससे इनकार नहीं किया जा सकता हर आदमी इनमें किसी न किसी का शिकार तो होता ही है अंत में जब मौत का शिकार होता है तो जिंदगी की पूरी कहानी ही मिन्टों में समाप्त हो जाती है ।
अचरज की बात तो ये है कि जब इसमें से कोई भी चीज आती है तो अचानक आ जाती है ।
कभी यह नहीं कहती कि मैं आ रही हूं ।

शनिवार, 12 सितंबर 2020

जिंदगी

हर आदमी की अपनी जिंदगी है ।
कोई अभाव में जीता है ।
कोई प्रभाव में जीता है ।
कोई दबाव में जीता है ।
कोई अपने स्वभाव में जीता है । जीते तो सभी हैं। 
कोई अपने लिए जीता है तो कोई अपनों के लिए जीता है ।
जिंदगी का फलसफा ही बहुत अजीब है ।
देखने का नजरिया और सुनने का नजरिया भी अलग अलग   है । ज्यादा तर लोग ऐसे भी हैं कि उन्हें अपनी या अपने लोगों की कोई चिंता परवाह नहीं होती बल्कि दूसरों का चक्कर ज्यादा रहता है ।
जब की अपने बारे में अगर वक़्त निकाल कर सोचे तो हम कहां हैं और हमारा दाइत्व क्या है बखुबी समझ आएगा मगर इसकी भी परवाह नहीं ।
छीटा कशी तो अक्सर लोग करते रहते हैं मगर किसने क्या किया ? क्यों किया ? जब उसके तह में जाकर देखेंगे तो यही जवाब मिलता है कि जो हुआ वह ठीक ही हुआ ।
बिना किसी को समझे खुद अपने आप से मनगढंत हल नहीं निकाल लेना चाहिए ।
इस दुनियां में आने वाला हर आदमी वही करता है जो उसके भाग्य में लिखा हुआ है । भाग्य से अधिक या कम कोई चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता ।

भोजन

कुछ लोग ये समझते हैं कि भोजन अपने आप बन जाता है । मगर ऐसा नहीं है भोजन बनाने के लिए बहुत सारी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है । भोजन में 
सभी चीजें जैसा बनाना है वैसी सामग्री हिसाब से डालना पड़ता है इसमें आग का भी रोल होता है । बहुत सारी जीजें ऐसी भी होती हैं कि उन्हें अगर ज्यादा आग की स्पीड दे दी जाम तो वह नष्ट भी हो सकता है अगर नष्ट नहीं हुआ तो स्वाद में अंतर हो जाएगा ।
कुछ पकवान मद्धिम आंच पर पाकाये जाते हैं और कुछ को ज्यादा हीट की आवश्यकता होती है ।
खाना बनाते समय वहां मौजूद रहना जरुरी है और पुरा ध्यान खाना बनाने की ओर होना चाहिए ।
खाना बनाते समय इधर उधर की बातों को सोंचना या उसे छोड़ कर किसी और काम में लग जाना नुकसान दे हो सकता है । एक बात तो निश्चित मान लिजिए कि इधर उधर के कामो में ध्यान बटा कर बनाए गये खाने का स्वाद अलग हो जाता है और खाना बनाने में ध्यान लगाने पर उसका स्वाद अलग होगा मुझे जहां तक तजुरबा है कि खाने को किस रुप में बनाया गया है इसे मैं बता सकता हूँ  । खाना अपने साथ हुए व्यवहार को बताता है और यह तभी जान जाएंगे जब आप को खाना बनाने में इंट्रेस्ट हो । अगर आप को खाना बनाने में दिलचस्बी नही है तो आप सिर्फ इतना ही जान सकते हैं कि नमक ज्यादा है या कम मिर्च ज्यादा है कि कम, मीठा फीका है या ज्यादा । जब की ये कामन सी बात है इन सब चिजों का अनुभव तो स्वतः अप की ज़ुबान की स्वाद कलियां करा देती हैं । खाना बनाना सिर्फ लड़कियों और महिलाओं का ही काम नहीं है इसे पुरुष वर्ग के लोग भी सीख सकते हैं क्यों कि ये भी एक कला है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आती है ।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

फुर्सत

इतने भी खाली मत रहो कि कोई भी , कभी भी , कहीं भी मिल ले । बिना किसी काम के अपने साथ साथ आप का भी पुरा दिन बे मक़सद नष्ट कर दे ऐसे में न आप कुछ कर सकें न कही जा सके और न कुछ सोच सके इस से बेहतर है कि खुद को इतना व्यस्त कर दो कि अगर कोई मिलना भी चाहे तो आप अपने आप से पूछे कि मैं फुर्सत में कब हो पाऊंगा ।

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

रिवाज

कभी भी मिलिये किसी से मिलिये या आप फोन पर ही बात कर रहे हों तो लोग इस बात को पुछना नहीं भुलते कि क्या हाल है सब कुछ ठीक है न  ।
अगले व्यक्ति को ये जवाब देना पड़ता है कि हां सब ठीक है बल्कि सच्चाई तो ये है कि कुछ भी ठीक नहीं है हर इंसान अपने आप में ही उलझा हुआ है और वह इस कोरोना जैसी महामारी के बाद अपनी नये तरीके से ज़िन्दगी को चलाने और जीने के लिए संभावनाओं को तलाशने में लगा हुआ है । सब कुछ ठीक है कह देना तो लोगों का एक तकिया कलाम यानी की फारमेल्टी, रिवाज, या परंपरा कह सकते हैं कि बन चुका है ।

बुधवार, 9 सितंबर 2020

दिल और दिमाग

दिल और दिमाग दोनों गतिशील होते हैं ।
वक़्त और हालात के मुताबिक आहिस्ता आहिस्ता ठहराव आता है । समझदार और एहसासमंद लोगों को कुछ ज्यादा ही भटकना पडता है । कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो बुढ़ापे की ओर कदम बढा चुके होते हैं मगर आदत और हरकतें बचपने की ही होती हैं ।

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

खूंन

अच्छाई के लिए बहाया गया या बुराई के लिए बहाया गया अपने लिए बहाया गया या अपनों के लिए बहाया गया ।
देश के लिए बहाया गया या देश के नेताओं के लिए बहाया गया । पैसे के लिए बहाया गया या रुतबे के लिए बहाया गया । रिश्तों के लिए बहाया गया या औलाद के लिए बहाया गया। खूंन और पसीना जिसके लिए बहाया जाता है उसको इसकी कीमत का एहसास नहीं होता लेकिन जो बहाता है वो जानता है कि खूंन और पसीना बहा कर क्या खोया है और क्या पाया है ।

रविवार, 6 सितंबर 2020

सफर

कभी कभी मंजिल के बहुत करीब हो कर भी मिनट भर में सब कुछ बिखर जाता है हम वहीं पहुँच जाते हैं जहाँ से हमने सफर को शुरु किया था ।

शनिवार, 5 सितंबर 2020

अन्त

किसी भी चीज के सुरुआत का रास्ता तो सभी ढूँढ लेते हैं
मगर उसके अंत के बारे में कोई नहीं जानता ।