उतना उसका हिस्सा आया ।।
किसी को ज़रुरत से कम आया ।
किसी को जरुरत से ज्यादा आया ।।
किसी को गुर्बते रुसवाई आया ।
किसी को दौलतें जागीर आया ।।
किसी की आंखों में नीर आया ।
किसी के हाथों में खीर आया ।।
मुझे सब्र था तो राहे सूलूक में ।
मेरे हिस्से में मेरा पीर आया ।।
जावेद उन सब को अब भूल जा ।
तू नज़र में जिसके हक़ीर आया ।।
शब्दार्थ -
हक़ीर = छोटा , तुच्छ , नीच , गिरा हुआ इत्यादि ।
राहे सूलूक = ग़रीब , दुखियारों की मदद करना ,
ईश्वर की तलाश , आत्मा को परमात्मा
में लीन करना आदि इत्यादि ।
पीर = कामिल मुर्शीद , संत , पहुंचे हुए फ़कीर ,
औलिया अल्लाह , सच्चे गुरु आदि इत्यादि
नीर = पानी , आंखों से संबंध होने पर आंसू ।
खीर = विषेश प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन ।
गु़र्बत = ग़रीबी , गुर्बते = जरुरत से ज्यादा ग़रीब ।
रुसवाई = हंसी का पात्र बनना , लोगों के द्वारा
मजाक उड़ाया जाना आदि इत्यादि ।
दौलतें जागीर = बे शुमार दौलत , इलाके का
मालिक , जरुरत से ज्यादा धन
का होना अति सम्मानित सम्मान
में लोगों का सर झुक जाना ।