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शनिवार, 17 मई 2025

आत्ममंथन

आत्ममंथन -
तुम्हारी आत्मा जिस को खोज रही है 
तुम जो जानना चाहते हो..... । 
वह बहुत अचरज भरा नहीं है ।
इसे तो तुम्हारी आत्मा तबसे जानती है ।
जब तुम इस जिस्म में थे ही नहीं ।

जबसे तुम्हारी आत्मा को रहने के लिए ,
इस मिट्टी के जिस्म का खोल मिला है ।
तभी से तुम सब कुछ भूले हुए हो ।

जिस दिन तुम इस जिस्म के खोल को 
छोड़ोगे , उस दिन से तुम्हें सब कुछ 
याद आ जाएगा ।

उस दिन तुम्हें यह एहसास होगा कि ,
ईश्वर ने मुझे इस मिट्टी के जिस्म में 
डाल कर , व्यर्थ में मेरे जीवन और 
समय को नष्ट करवाया गया था ।
                       " जावेद गोरखपुरी "

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