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रविवार, 22 दिसंबर 2019

अक्सर याद आते हैं

कुछ  बीते  हुए  पल
कुछ  बीती  हुई  बातें
कुछ  बीते  हुए  कल
कुछ  बीती  हुई  रातें
अक्सर याद आते  हैं।

एक दिन ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि कभी शाम न हो।
एक रात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी सुबह न हो।
एक पीरियड ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि कभी घंटी न लगे।
एक साथ ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि इसी तरह सिर्फ
चलते रहें और रास्ता कभी खतम न हो  ।
एक बात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी खतम न हो।
एक खत ऐसा भी था
जब दिल चाहता था कि सिर्फ पढते ही रहें
और कभी खतम ही न हो।
एक मुलाकात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी जुदा न हों।
एक बारिश ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि भीगते रहें कभी बंद न हो।
एक चांदनी रात ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि चाँद पर बादल
छा जाए और अंधेरा हो जाए।
एक ठंड ऐसी भी थी
जब दिल चाहता था कि कभी गर्म
बिस्तर से न निकलना हो।
सब कुछ, हर चीज़, हर बात आज भी।
अक्सर याद आते हैं।

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

मिले

बे वजह ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बे माकसद ,,,,,,,,,,,,,,,
अक्सर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो ,,,,,,,,,,,,,,
हर मोड़ पर ,,,,,,,,,,,,,,,
मिले। ,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ बातें थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ वादे थे। ,,,,,,,,,,,,,,,,,
जब ढूँढने लगे ,,,,,,,,,,,,,,,
तो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ला पता ,,,,,,,,,,,,
मिले। ,,,,,,,,,,,,,,,,

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

अपने तो अपने होते हैं

अपने तो अपने होते हैं । उनसे कभी कोई कम्पटीशन नहीं होता उनकी हार भी अपनी हार है और उनकी जीत भी अपनी जीत है , अगर कुछ बदलाव पैदा होता है तो वो सिर्फ अपनी अपनी सोंच का नजरिया होता है।

रविवार, 15 दिसंबर 2019

मृत्यु लोक

इस दुनियां को लोग मृत्यु लोक भी कहते हैं।
6 से 10 घंटे तक जब हम सोये हुए होते हैं,
तो वो मृत्यु के समान ही होता है।
नीद को अर्ध मृत्यु भी कहा जाता है।
कभी कभी यही नीद जि़दगी की आखरी नीद
में भी बदल जाती है।
खैर बाकी के जो 14 से 16 घंटे बचते हैं उनमें
हम क्या करते हैं।
माया की जाल में उल्झे हुए रहते हैं।
लोग कहते हैं कि यहां से कोई कुछ लेकर नहीं जाता।
मगर ऐसा नहीं है।
बहुत कुछ लेकर जाते भी हैं और बहुत कुछ दे कर भी
जाते हैं।
अब क्या दे कर जाना है ?
और क्या ले कर जाना है  ?
इसको सोंचो,समझो ,
और पता करो।
14 से 16 घंटे जो बचते हैं सोंचो कितना समय यहां से  कुछ ले जाने के लिए दिया और कितना समय यहां पर कुछ दे जाने के लिए दिया।

हार और जीत

कभी कभी अपनों को जिताने के लिए खुद को  हारना पड़ता है, और इस हार में , जीत से भी ज्यादा आनन्द होता है

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

बुधवार, 11 दिसंबर 2019

नफरत

आप अपने स्वार्थ के तहत किसी को अपनी जरूरत न बनाएं। बेहतर तो तब होगा की जब आप लोगों की जरूरत बने। क्यों कि जिस दिन उसे यह पता चल जाएगा कि आप उसे या लोगों को स्वार्थ के तहत काम आते या अपने करीब लाते हैं तो उसे आप से  हमेशा के लिए घिर्णा पैदा हो जाएगी जो उसके और लोगों के दिलों से कभी नहीं मिटेगी ।
जब आप निस्वार्थ भाव से लोगों के काम आएंगे , जब लोगों को लगेगा कि मैं उनकी जरूरत नहीं हूं बल्कि वो खुद मेरी जरूरत हैं तो फिर वो लोग भी आप के करीब होना शुरू हो जाएंगे जो आप से घृणा ( नफरत ) करते हैं।

मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

ईश्वर

आप को ईश्वर ने जिस काम के लिए इस दुनिया में भेजा है उसे आप नहीं जानते। मगर वो सही वक़्त पर सही समय पर आप से करवा लेगा।
आप सोंचते कुछ और हैं, मगर होता कुछ और है।
इसका क्या मतलब है। कभी सोचा आप ने  ?
आप जो सोचते हैं वो आप के स्वार्थ के मुताबिक सही है लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वो ईश्वर की नजर में सही न हो आप के लिए नुकसान दायक हो, आज हो या आप के जीवन में कभी भी।
आप ये भी  सोंचते होंगे की मै इस बुरी हल में क्यों हूं  ?
मेरे लिए ईश्वर ने कुछ नहीं किया ।
लेकिन मैं ये पुछना चाहता हूँ कि आप ने ईश्वर के लिए
क्या किया है  ?
भलाई इसी में है कि शांति पुर्वक ईश्वर की महिमा को
समझने की कोशिश करें।
सब्र करें ईश्वर जो करता है और जो करेगा आप के हित में आप की भलाई के लिए अच्छा ही होगा।
जब कुछ समझ में न आये तो ईश्वर के उपर छोड़ कर
इन्तजार करें सन्तुष्टि और शांति जरूर मिलेगी।

रविवार, 8 दिसंबर 2019

अचम्भव

अचंभव
मगर कडवा सच है कि इस दुनियां में रहने वाले 75% लोग यह नहीं जानते की रोटी, दाल, चावल, मटर, सब्जी, घी, तेल, वगैरह वगैरह चीजें कहां से आती हैं।
75% लोग पेड़ों की कल्पना करते हैं।
कुछ लोग तो यह भी सोंचते हैं कि यह सब किसी मशीन से तैयार होती होगी। मशीनरी की सोच वाले काफी हद तक सही भी हैं क्यों कि चाईना एक देश है जो पूरी दुनिया में मशीनरी से बनाई हुई चीज़ों की सप्लाई करती है। मगर भारत में पसीने की जगह खूंन बहाने वाले किसानों को उनके उपजाये गये वस्तुओं का कोई मोल नहीं मिलता।
आज होटलों में चार रोटी की कीमत डेड से दो किलो आटे के बराबर है। चावल, शब्जी, दाल, अंडा, मीट, मछली, इत्यादि सब चीजों का यही हाल है।
हमारे देश भारत में होटलों में एक टाईम का खाना एक व्यक्ति को 150 रुपये से 1000 के ऊपर तक मिलता है। होती सब वही चीजें हैं जो एक आम इंसान भी खाता है। इस एक टाईम के भोजन पर हुये खर्च 150 रुपये में एक परिवार पांच से सात लोगों का आराम से शादा भोजन पेट भर के खा लेता है।
1000 या इसके ऊपर एक टाईम के भोजन पर खर्च
करने वाले ये कभी नहीं सोंच पाते की इसी देश में कितने भूखे भी सोते हैं। जिसमें अधिकान्स मजदूर और किसान ही होते हैं। आगे की समस्याओं पर आप लोग खुद सोंचे और समझें।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

तुम्हारा क्या है ?

तुम्हारा क्या है ?
जो तुमने खा लिया
जो तुमने पहन लिया
जो तुमने इस्तेमाल किया
जो तुमने जिया
जो तुमने झेला
जो तुमने दुख उठाया
जो तुमने सुख उठाया
जो तुमने सांसें ली
जो तुमने बेच दिया
जो तुमने किसी को दे दिया
जो किसी के काम आए
जो किसी का सहारा बने
जब किसी को हंसाया
जब किसी की कद्र की
यही सब तुम्हारा है  ।
जो बना रहे हो वह तुम्हारा नहीं है।
आने वाले लोगों का है।
जो खरीद रहे हो वो भी तुम्हारा नहीं है।
जो तुम इस्तेमाल कर रहे हो और जो
पहने हुये हो ये तभी तक तुम्हारा है जबतक
तुम्हारी सांसें चल रही हैं फिर ये सब भी किसी
और का हो जाएगा।
अब यह सोंचो की तुम कौन हो ?
तुम्हें क्या करना है  ?
और क्या कर रहे हो।
ये दुनिया जो विकास के लिए भाग रही है।
जो ये सोंचते हैं कि मैने बहुत कुछ किया।
तो इस बात को भूल जाओ क्यों कि ये सब तुम्हारे बाद
किसी और का हो जाएगा।
पूरी दुनिया जो भी विकास कर रही है वो सब इस
दुनिया में आने वाले लोगों के लिए हो रहा है।