जहर कि दो चार बूँद जिन्दगी को मौत के घाट उतार देती है और तुम्हारी पांच किलो कि खोपड़ी काम नहीं करती ।
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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गुरुवार, 11 अप्रैल 2019
रविवार, 2 दिसंबर 2018
जलाया है मैने
बुझे हुए चिरागों को भी जलाया है मैने ।
कौन अपना कौन पराया आजमाया है मैने ।।
मक्कारों की दुनियां मिटाकर रहुंगा ।
आज दिल से कसम ये खाया है मैने ।।
उन्हें भी बताओ जो करते हैं झूठे वादे ।
उनके सात पुस्तों की हकीकत को पाया है मैने ।।
भटकता रहा दर बदर एक सदी से ।
मुकम्मल जहां अब बनाया है मैने ।।
मुझे अब किसी का कोई डर नहीं है ।
उसे दिल में जबसे बसाया है मैने ।।
जावेद को अब कभी मत सताना ।
यही बस बताने बुलाया है मैने ।।
अंदर से वो कांप रहा था
अंदर से वो कांप रहा था ।
राम नाम को जाप रहा था ।।
पड जाए ना गांड पे डंडा ।
हालत ऐसी भांप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था
बहरुपियों का दादा था ।
सौ परसेंट नखादा था ।।
चिकनी बातों में उल्झा कर ।
रस्ता अपना नाप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था
समाज को उसने मारा लात ।
रिश्तों में करता था घात ।।
मित्र का मतलब वो क्या जाने ।
कुत्तों जैसे हांफ रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था
जिसमें थी सारी मक्कारी ।
उसी से करता था वो यारी ।।
रुप बदलना बात बदलना ।
इसमें सबसे टाप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था
जावेद गोरखपुरी
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सोमवार, 26 नवंबर 2018
असली धुन
आज लोगों के अंदर सुनने की चाह बहुत बढ गयी है । जहाँ देखिये और सुनाओ यार , और कुछ कहिये । शायद यह लोगों का तकिया कलाम (टाईटल ) हो गया है जो बक देते हैं ।
यह सिलसिला ऐसा नहीं है कि एक बार मिले सुने सुनाए और बात खतम । अगर एक दिन मे हजार बार मिलो तब भी यह सवाल नाचने लगता है, सारा दिन बैठे रहिए तब भी चलता रहता है ।
आखिर क्यों ?
सभी कुछ न कुछ बकते रहते हैं । मैं भी कुछ सुना सकता हूँ मगर मैं मौन व्रत ज्यादा रहना चाहता हूँ और रहता भी हूँ , सिर्फ इस लिये कि मैने देखा है।
सुनने वाला भी और सुनाने वाला भी दोनो जीवन भर यही कर्म करते हैं , और कुछ नहीं कर पाते , जहाँ से चले वहीं आ गये ।
मैं अपना मौन ( खामोशी ) इस लिए नहीं तोड़ता कि मुझे प्रेक्टिकल में यकीन और विश्वास है ।
हां अगर कोई प्रैक्टिकल करने वाला हो तो उसे बताया जाये , कुछ सुना जाये कुछ सुनाया जाय तब मजा आता है ।
जब कि करने वाला आदमी जो प्रैक्टिकल मे रहता है और प्रैक्टिकल मे ही विस्वाश भी करता है , तब तो वह न ज्यादा सुनेगा और न ही ज्यादा सुनायेगा वह ज्यादा से ज्यादा करता जाएगा ।
उसके काम ही सुनाते हैं कर्म की सफलता से आती हुई धुन को सुनिये और यह महसूस करिये कि उसके कर्मो से क्या सुनाने की आवाज (धुन ) पैदा हो रही है ।
शनिवार, 24 नवंबर 2018
जो दिल ने कहा
मैं कुछ कहना नहीं चाहता
मैं सिर्फ सुनना चाहता हूं
मैं अब सुनना भी नहीं चाहता
मैं तो सिर्फ देखना चाहता हूँ
अब मैं देखना भी नहीं चाहता
अब तो मैं हो जाना चाहता हूँ
और अब तो होना भी नहीं चाहता
अब तो लीन हो जाना चाहता हूँ
परंतु अब लीन भी नहीं होना चाहता
मैं तो बस वही हो जाना चाहता हूँ
अखिर वह है क्या ?
जो मैं हो जाना चाहता हूँ
सदा सदा के लिये
युगों युगों के लिये
नित निरंतर के लिये
अपने लिये नहीं सिर्फ तुम्हारे लिये
और तुम्हारे लिये भी नहीं
सिर्फ तुम्हारी आत्मा के लिये
बस यही तो है तुम्हारे पास
एक अनमोल रतन
जिसे तुम समझ नहीं पाते
जिसे आनंदित करने का
तुम्हारे पास कोई ज्ञान नहीं
उस ज्ञान को देने के लिये
इस आत्मा को आनंदित करने के लिये
संपूर्णआनंद होना चाहता हूँ
जिससे असुद्ध अत्माओं को आनंदित कर सकूँ
वह भी संपुर्ण सदानंदित ...........।
विचारक- जावेद गोरखपुरी
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रविवार, 18 नवंबर 2018
JAVED GORAKHPURI.
Javed Gorakhpuri . Blogger , Novelist,Scriptwriters.Gazal&Songswriter.
My youtube chainnel.
JAVED GORAKHPUR.
My Blog.
VOICE OF HEART 1blogspot.com
गुरुवार, 15 नवंबर 2018
मौत
मौत एक गहरी नीद के सिवा कुछ भी नही ।
जब ये आजाती है तो फिर कभी नही खुल्ती ।
यही एक ऐसी नींंद है जिसमे जिस्म का सब कुछ सो जाता है स्वास भी ।
शनिवार, 10 नवंबर 2018
आदमी गरीब था
संकोची था शर्मीला था ।
किसी से कुछ नहीं कहता था ।।
भूखे पेट ही मजदूरी ।
सारा दिन वो करता था ।।
क्यों की आदमी गरीब था
राम राम और साहब सलाम ।
सुबह से हो जाती थी शाम ।।
भूख से जब वह गिर जाता था ।
बेवडा कहकर कर देते बदनाम ।।
क्यों की आदमी गरीब था
बच्चो से बूढ़े तक को ।
सबको देता है सम्मान ।।
जीवन के हर मोड़ पर ।
सिर्फ मिला उसको अपमान ।।
क्यों की आदमी गरीब था
बड़े आदमी लगते थे ।
लंबी चौड़ी फेंकते थे ।।
इसकी सच्चाइ को सुनकर ।
झूठा कहकर हंसते थे ।।
क्यों की आदमी गरीब था
हाथ कटे तो गोबर बाधो ।
पेट के लिए गोबर्धन छानो ।।
टेटनस की सुई कौन लगवाता ।
होटल मे खाना कौन खिलाता ।।
क्यों की आदमी गरीब था
बुधवार, 7 नवंबर 2018
गिरा इस कदर है
दर्जा दर्जा गिरा इस कदर है ।
झूठ दिल मे सच दर बदर है ।।
कब कहा वो मिले लूट ले हम ।
कतिलाना याहा हर नजर है ।
जो जाहा है वहीं सोचता है ।।
वक़्त का चाहे कोई पहर है ।
मुझको मालूम है सबकी मक्करिया ।
हंस के मिलता हूँ ये मेरा हुनर है ।।
झूठ से तुम कहाँ तक बचोगे l
झूठ वालों का सारा नगर है ।।
इस जहाँ मे तुम्हे खुद है जीना ।
बस अकेले ही चलना सफ़र है ।।
खुद को कैसे बचावोगे जावेद ।
उसके जादू मे इतना असर है ।।
बुधवार, 31 अक्टूबर 2018
शायरी
फूल शबनम से प्यार करते हैं ।
जख्म मर्हम से प्यार करते हैं ।।
तेरी भीगी हुई पल्को की कसम ।
हम तेरे ग़म से प्यार करते हैं ।।