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बुधवार, 27 मई 2020

रास्ता

आप को मैं करोड़ो अरबों रूपया तो नहीं दे सकता 
लेकिन करोड़ो अरबों हासिल करने का रास्ता जरूर 
दे सकता हूँ ।

जड़खड़ा

आज समस्या जड़ सिर्फ नहीं बनी है बल्कि जड़खडा 
बन चुकी है ।

फोन

आप फोन मत किया करो जब जरूरत होगी तो मैं खुद
फोन कर के हाल चाल पूछ लिया करूंगा ।
क्यों कि आप का फोन आते ही मेरा दिल धड़कने लगता
है कि कहीं कोई प्राब्लम की बात न हो ।

शनिवार, 23 मई 2020

भुमिका

भूमिका बाध कर वक़्त मत बर्बाद करो, 
जो भी कहना हो एक लाईन में कह ढालो ।

वक़्त

जिंदगी में दो चीज बहुत नाजुक होते हैं 
वक़्त और रिश्ते 
इन दोनों में कभी कभी झुकना भी पड़ता है
जो अकड़ गया वो उखड़ गया फिर तनहाई 
के सिवा कोई करीब नहीं होता ।

मंगलवार, 19 मई 2020

फलसफा

किसी की ज़िन्दगी स्वर्ग की तरह है
किसी की ज़िन्दगी नर्क की तरह है
ज़िन्दगी के फलसफों को समझना
सबके बस की बात नहीं ।

सोमवार, 18 मई 2020

घरेलु

पहले लोगों के पास घर था मगर घरेलु नहीं थे ।
सुबह बच्चों के उठने के पहले घर छोड़ देते थे और
अक्सर उस वक़्त लौटते थे जब बच्चे सो जाते थे ।
अपना ही घर,  घर नहीं रह गया था एक किराये पर
 बुक किया हुआ होटल का रुम जिसमें पहुंचने पर हर 
तरह की सुविधा उपलब्ध हो जाती है और फिर सुबह 
रुम छोड़ देना पड़ता है ।
लाकडाउन के बाद चार पांच दिन तक बच्चे से लेकर
बूढ़े तक हर लोग काफी परेशान थे बे वजह भागदौड़
करते रहे जिसका नतीजा पुलिस वालों ने अच्छी तरह से
पिटा भी मगर अब धीरे धीरे सभी लोगों को अपने उसी घर में जगह मिल गई है लोग घरों में सेट हो गये हैं और घर वाले भी उन्हें अपना लिए हैं। 
अब जाकर लोग पुरी तरह से घरेलु और जिम्मेदार हुए हैं 
घर क्या होता है कैसे चलता है जरूरतें क्या होती हैं अब 
अच्छी तरह से समझ में आया। 
बच्चों को भी स्कूल का टेन्शन नहीं ये भी फ्री हैं बच्चों को पिता के पास भरपूर मस्ती , खेलने और एक दूसरे को समझने का अवसर मिला है परिवार क्या होता है इसमें कितना आनन्द है इसे जीने का भरपूर वक़्त मिला है ।

रविवार, 17 मई 2020

सम्राट

भारत में विपक्ष के सांसद मतलब जीरो ।
भारत में विपक्ष के विधायक मतलब जीरो। 
कानून अपनी मरजी का। 
जांच एजेन्सी अपनी मरजी का। 
प्रशासन अपनी मरजी का। 
हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट अपनी मरजी का। 
न्याय जो हम चाहे। 
गवर्नर जैसा हम चाहें। 
पूरे भारत में अधिकारियों से लेकर मंत्री तक 
जिसे हम चाहें। 
राष्ट्रपति जैसा हम चाहें। 
मीडिया जैसा हम चाहें। 
संपूर्ण भारत की जनता के लिए आदेश 
गाइड लाईन जारी करना जैसा हम चाहे। 
जब चाहें जो चाहें बदल दे। 
जब चाहें लोगों को उन्हीं के घरों में कैद कर दें। 
यातायात में जब हम चाहेंगे जिसे चाहेंगे वही चलेगा ।
जब चाहेंगे बन्द कर देंगे ।
भले ही भारत की जनता तीन हजार किलोमीटर पैदल 
चलना शुरु कर दे। 
भले ही वो रास्ते में मर जायें ।
गरीब, मजदूर भारत देश के नागरिक नहीं हैं। 
अमीरों के हज़ारों करोड लोन मिल जाएगा और माफ भी
कर दिया जाएगा ।
सामान्य वर्ग और निचली स्रेणी के लोगों को चप्पल घिस
जाने के बाद लाख के अंदर लोनमिलेंगा और इसे वसूलने
के लिए सामाजिक प्रताड़ना के साथ घर जमीन कुर्क कर
के निल्लाम कर दी जाएगी ।
बे वजह बिना कारण के हम जब जिसे चाहें देश द्रोही
आतंकवादी , दहशतगर्द के इल्जाम में जो चाहे करें। 
किसी को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं ।
भारत की जनता वैसे ही रहेगी जैसा हम चाहेंगे ।
इसका मतलब अब ये देश लोकतंत्र नहीं है ।
अब यहां राज तंत्र कायम हो चुका है सब कुछ बिक चुका है । हम जो जाहेंगे वही होगा ।
और लोग आदेशों का इंतजार भी करते हैं इस आशा से कि शायद मेरे हित की कुछ बात आ जाये मगर कभी कभी कुछ लोगों को लालीपाप चूसने के लिए दे दिया जाता है बस इतना ही इनके लिए काफी है ।
भारत पहले गुलाम था और आज भी लोगों के ब्लड में गुलामी शामिल है। 
आज आप जो चाहें लोग कबूल करने के लिए तैयार हैं ।
आप जिससे जो कबूल करवाना चाहते हैं वो कबूल करता है।एक स्वयंभू सम्राट हैं आप। 
अब एहसास हो गया कि लोगों ने यह सही कहा था ।
आप हैं तो मुमकिन है 
कुशल शासक को लंबे दिनों तक राज करने का सिर्फ एक ही सुत्र है कि सभी को एक माले में पिरो कर रक्खा जाए वरना विद्रोह भडक जाएगा क्राती हो जाएगी फिर वो हो जाएगा जो आप नहीं चाहते ।
इन पांच सात सातों में जो आप ने हासिल किया है उसे लोग पांच सात महीनों में रिकवर कर लेंगे और आप के सारे फार्मूले सिर्फ उल्टे ही नहीं होंगे बल्कि इतने भयावह हो जाएंगे कि फिर पाच सात सौ सातों तक आप आप ही नहीं रह जाएंगे । इस लिए आज सब कुछ आप का है ।
आप जो चाहेंगे वही होगा और वही हो भी रहा है ।
आप एक तरफ और प्रजा एक तरफ। 
प्रजा माने जीरो। 

गुरुवार, 14 मई 2020

चाहत

जिस वक़्त आप की दोस्ती अल्लाह से हो जाएगी उस वक़्त से आप को दुनियां में किसी चीज की कोई ख्वाहिस नहीं रह जाएगी और न अल्लाह से कुछ मागने की चाहत ।

शिक्षा

गवर्नमेंट भी कहतती है कि प्राईमरी स्कूल में अपने बच्चों को पढाएं मगर जिसने पढा और जो लोग विद्यालय को छोड़ कर देश परदेश भागे उन्हें वापस अपने गांव भाग कर आना पड़ रहा है ऐसे मे उन्हें अपने गांव और घर में घुसने के पहले उसी प्राईमरी स्कूल में चौदह दिन तक रोका जा रहा है जिससे ये  एहसास होता है कि अगर शिछा लिए होते भागे न होते बाबा भीम राव की ही बात माने होते तो शायद आज ये दिन न देखने पड़ते आज एक अलग तरह की क्रांति होती । जिसे रोक पाना शासन प्रशासन के बस की बात नहीं थी ।