hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020
जरुरी नहीं
जरुरी नहीं कि हर बात का जवाब खुल्लम खुल्ला दिया जाए थोड़े से इशारे बहुत कुछ समझने के लिए काफी होते हैं ।
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
शब्द
अगर शब्दों की गहराई में उतरना जानते हो तो दो चार शब्द ही जिंदगी के मायने को समझा जाते हैं ।
बुधवार, 14 अक्टूबर 2020
नफ़रत
मैं जिसे मानता हूं तो ऐसे मानता हूं कि जैसे मेरी जान उसके अन्दर बसती है लेकिन जब नफ़रत हो जाती है तो ऐसी नफ़रत करता हूँ कि जैसे लोग नर्क से नफरत करते हैं ।
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020
एक अकेला
एक अकेला आदमी अगर अपनी जिद पर उतर जाए तो करोडो आदमी की जिंदगी बर्बाद और खत्म कर सकता है ।
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
संगठित परिवार
एक संगठित परिवार में जो औलाद पैसा कमाता है उसकी मान्यता ज्यादा होती है । हर लोग उसी के इर्द गिर्द मंडराते हैं । हर कोई उसी को खोजते हुए और उसी से मिलने के लिएआते हैं । लेकिन अगर घर रह रहे व्यक्ति से कोई मिलने आ जाये तो पीठ पीछे यह जरूर सुनाया जाता है कि " अरे चूतिये हैं साले..... लोफरों का साथ है अब क्या करियेंगा " जब की बिना सच्चाई जाने वो कमाने वाला भी पूछता है कौन था ? सवाल कर के बिना जवाब सुने यह बड़े आसानी से कह देता है कि "चुपचाप घर रहो लोफरों का साथ छोड़ दो आज के बाद मैं किसी के साथ देखना नहीं चहता और न दरवाजे पर इन चूतियों और लाखैरों को मैं देखुं यही है तुम्हारे नाजायज़ पैसा फूकने का अंजाम मैं मर मर कर पैसा भेजु और तुम उसका गलत इस्तेमाल करो " जब की उस कमाने वाले को नहीं पता कि एमरजेंसी में यही लोग काम आते हैं । आप का पैसा बाद में आता है लेकिन उससे पहले यही लोग आते हैं खैर वो सही कहे या गलत सब ठीक है सभी बे हिचक स्वीकार भी कर लेते हैं । लेकिन जो औलाद पैसा नहीं कमाता उसकी कोई औकात नहीं होती अगर वो गलत को गलत और सही को सही कहे तो भी उसकी बात को कोई अहमियत नहीं दी जाती और न तो कोई सुनने को तैयार होता है इसकी हर बात बकवास और फाल्तु लगती है मगर जिस्मानी और भागदौड़ के सारे काम घर रह कर इसी को करना पड़ता है । घर को देखते हुए सभी सामाजिक, पारिवारिक , हित , मीत और रिश्तेदारी सभी को समय समय पर देखना है । अगर खेत बारी है तो उसमें भी लग कर पसीना बहाना पड़ता है अगर गाय गोरु है तो उसे भी संभालना पड़ता है । यानी नीव का ईट जो घर है वही बनता है ।
जहां जो खर्च आता है वो मिलता तो जरूर है मगर हर चीज़ का हिसाब भी देना पड़ता है ।
"जब मैं कमा रहा हूँ और पैसा दे रहा हूँ तो तुम्हें कहीं कमाने जाने की क्या जरूरत है घर पर रहो घर देखो, घर पर भी तो किसी का रहना जरुरी है" इन बातों से और सभी के दबाव से उसे अपने जीवन को अपने आजादी से जीने का अवसर नहीं मिलता यूं कहीए कि उसकी सारी इच्छाएं मार कर आजादी भी छीन ली जाती है ।
एक समय ऐसा भी आता है जब घर रहने वाले को नाकारा साबित कर दिया जाता है और उसी घर में उसे अलग भी कर दिया जाता है ।
अलग करने पर उसके हिस्से में गाय, गोबर और खेती आती है मगर जो काम रहा था उसके हिस्से में लम्बी फोर व्हीलर शान्दार बंगला और बैंक बैलेंस आता है जो पहले ही वो सब अंडर ग्रांउड बनाता रहा ऐश करने के लिए उस नीव के ईट को अलग तो करना ही पड़ेगा वरना सब में बराबर की हिस्सेदारी भी देनी होगी किसी कि जिंदगी बर्बाद कर के अपना काम निकालना कहां का न्याय है ।
खुद को अकेले छल से राजा बन जाना किस काम का जिसके सुख को भोगने में जब अपने ही न हों।
शनिवार, 10 अक्टूबर 2020
संभावनाएं
जहाँ बुद्धिमान लोग ज्यादा रहते हैं वहां काम बिगड़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं ।
जहां मुर्ख लोग ज्यादा होते हैं वहां भी काम बिगड़ने की
संभावनाएं ज्यादा होती हैं ।
जहां मुर्ख और बुद्धिमान दोनों तरह के लोग होते हैं वहां
काम बनने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं चाहे मुर्ख काम बना ले या बुद्धिमान ।
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020
बच्चा बच्चा
कुछ लोगों को देश का बच्चा बच्चा जानता है लेकिन वे
देश के बच्चे बच्चे को नहीं बल्कि अपने और अपने कुछ लोगों के परिवार और उनके बच्चों को जानते हैं ।
सोमवार, 5 अक्टूबर 2020
सहन शक्ति
जहां पर किसी को किसी पर भरोसा न रह जाए ।
जहां बारह घंटे में नब्बे परसेन्ट झूठ बोलाजाता हो।
जहां हर किसी की पीठ पीछे खिल्ली उड़ाई जाती हो
उसकी बुराई की जाती हो ।
जिस देश में प्रधान मंत्री को भी गाली दी जाती हो ।
जहाँ हर कोई हर किसी को शक के नजरिये से देखता हो। जहाँ पर मामले को समझने का इंटरेस्ट कम लोग रखते हों और आंकड़ेबाजी करने वाले ज्यादा हों।
जहां आफवाहों का ह्यूमर ज्यादा उड़ाया जाता हो।
जहां कानून व्यवस्था आधा अधीन और आधा मनमरजी हो। जहां गरीब, मजदूर,और महिलाओं की कोई औकात न समझी जाती हो । जहां जनता का कोई अधिका न हो और न कोई सुनवाई हो ।
जहां पर कई हुकुमतें चलती हों जैसे -
1- क्रिमनल
2-भु माफिया
3-माफिया
4- नेतागिरी
5- दादा गिरी
6- स्मगलर तथा अन्य
जहां इमानदारी कम और बेईमानी ज्यादा होती जा रही हो । जहां पैसे तो पूरे लिए जाते हैं मगर तौल में सामान कम दिये जाते हैं । जहां शुद्धता घट गयी हो और मिलावट बढ गयी हो। जहां हर संबन्ध में स्वार्थ भर गया हो । जहां लोग सहयोगी कम और मतलबी ज्यादा हों।
जहां फाईल खसकाने का पैसा लिया जाता हो।
जहां एक साइन करने का पैसा लिया जाता हो।
जहां झूठ बोलने का पैसा लिया जाता हो।
जहां रौब दिखा कर, धमकाकर पैसा लिया जाता हो।
जहां बात करने का पैसा लिया जाता हो।
जहां सलाह देने का पैसा लिया जाता हो।
कुछ जगहों पर प्रवेश करने का पेसा लिया जाता है ।
जहां पेशाब करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां शौच करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां वेश्यालयों से और वेश्यावृत्ति करने वाली से भी पैसा लाया जाता है ।
जहां पुल क्रास करने का पैसा लिया जाता हो।
जहाँ रोड़ पर चलने का पैसा लिया जाता हो।
जहां मर्डर करने का पैसा लिया जाता हो ।
जहाँ किडनैपिंग का पैसा लिया जाता है।
जहां वोट डालने का पैसा लिया जाता हो ।
बचा क्या है देश और देशवासियों के भ्रष्ट होने में ।
इसी बीच अपने और अपने परिवार के जिंदगी के सफर को पुरा करना है । एक नयी एनरजेटिक उर्जा के साथ नयी सोच पैदा करनी होगी ताकी नित नये बढते प्रदूषण से निपटा जा सके और सहन शक्ति मजबूत हो सके।
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
कुछ भूल गये
कुछ भूल गये तो क्या हुआ ।
कुछ छोड़ गये तो क्या हुआ ।।
कुछ शर्तों पे साथ निभाते हैं ।
कुछ मक़सद से हाथ मिलाते हैं ।।
सबके जखमों को सहना है ।
कुछ भी न किसी से कहना है ।।
धीरे धीरे सब कट जाएगा ।
जीवन का दर्द सिमट जाएगा ।।
तुम अपना धंधा चटकाये रहो ।
लोगों को खुद में भटकाये रहो ।।
वो चलता है चलता जाएगा ।
एक दिन मंजिल भी पाएगा ।।
तुम बोझ बनो या रोग बनो ।
सबको परवाह नहीं होती ।।
पराश्रित हो कर जीने में ।
आसानी से मौत नहीं होती ।।
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020
सुरक्षा
अगर किसी के लिए दवा नहीं बन सकते तो उसके लिए रोग भी मत बनो । अगर किसी के काम नहीं आ सकते तो उसके लिए बोझ भी मत बनो ।
लेकिन जहाँ सारी संवेदनाएं मरती जा रही हों लोगों को खुद का एहसास न रह गया हो वहां कोई किसी के सुरक्षा के बारे में क्यों सोंचेगा बल्कि अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी ।
आत्म निरभरता पैदा करने के लिए दिल को इतना मजबूत तो करना ही पड़ेगा ।
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