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शनिवार, 17 अप्रैल 2021

बंजर और ग्रामसभा में दर्ज हो जाती है

दुनियां में एक भी इंच जमीन ऐसी नहीं है , कि जो किसी के नाम पर न हो । कुछ लोग जानते हैं । कुछ लोग नहीं जानते हैं । जो लोग अपनी जमीनों को नहीं जानते हैं , उनकी जमीन बंजर और ग्रामसभा में दर्ज हो जाती है । जब कि ये जमीन पहले भी किसी की थी । आज भी है , और कल भी किसी न किसी की रहेगी । फ़िर इसके लिए मरना, झगड़ना और खुद को तपाना क्यु ?

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

कोमा में लोग ज़िंदा रहते हैं

कानून के सामने अपने और अपने जुर्म का समर्पण करने पर , जुर्म और जुल्मीं दोनों में , सहुलियतें प्रदान की जातीं हैं ।
मैंने तो सिर्फ तुमसे मुहब्बत करने का जुर्म किया , और इस जुर्म में , अपना सब कुछ तुम्हारे आगे समर्पित भी किया । लेकिन तुम्हारे धोखा और नफ़रत ने , मुझे एनकाउंटर की सज़ा जैसा महसूस कराया ।
आज़ मैं जिंदा तो जरुर हूं , लेकिन वैसे ही जिंदा हूं , जैसे कोमा में लोग ज़िंदा रहते हैं ।

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

किसे पकडूं और किसे छोड़ूं

मेरे अंदर मरऊवत भी है और मुझे जरुर भी है ।
दोनों से लगाव बेपनाह है । इन दोनों को छोड़ कर मैं जी ही नहीं सकता । समझ में नहीं आता कि किसे पकडूं और किसे छोड़ूं । जरूरत के लिए मरऊवत को छोड़ना पड़ेगा और अगर मरऊवत को पकडूं तो जरुरत हल नहीं होगी ।
क्या करुं ?
एक साथ दोनों का समावेश कभी कभी ज़हर बन जाता है ।
शब्दार्थ - मरऊवत - अपनापन , स्नेह , दया , दयावान ।

मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

नेटवर्क का नाम आते ही

नेटवर्क का नाम आते ही , कंपनी , एमडी , सीएमडी , सीनियर लीडर , टीम लीडर या अचीवर्स का नाम आता है , और इन्हीं चीजों पर लोगों को मोटिवेट भी किया जाता है । लेकिन क्या आप ने कभी ऐसा सोंचा , कि आप का भी नाम आये ?
मैं चाहता हूं कि , आप जहां के भी रहने वाले हों , जिस भी शहर के , जिस भी गांव के , जिस भी कस्बे के , अगर वहां का नाम कोई  नेटवर्किंग से जुड़ा हुआ लेता है , तो सिर्फ आप का नाम लोगों के सामने आना चाहिए । नेटवर्किंग में वहां की पहचान , आप से शुरू होनी चाहिए । तब जाकर नेटवर्क की दुनिया में आप कुछ कर पाएंगे , और एक इतिहास रच पाएंगे ।

सोमवार, 12 अप्रैल 2021

जिंदगी भर प्यार भरी बातें नहीं हो सकती

जिंदगी भर प्यार भरी बातें नहीं हो सकती । कभी कड़वाहट कभी झुंझलाहट भरी बातें भी निकल ही जाती हैं । प्यार भरी बातों में , जितना अपनापन होता है , उससे ज्यादा अपनापन , उस कड़वाहट और झुंझलाहट भरी बातों के अंदर भी छुपी होती है ।

रविवार, 11 अप्रैल 2021

सम्मान देना उतना बुरा नहीं है

किसी को मान और सम्मान , देना उतना बुरा नहीं है , जितना बुरा , बिना सोंचे समझे , बिना जाने , परखे , किसी पर जान दे देना होता है ।

शनिवार, 10 अप्रैल 2021

चुनाव जीतने का फंडा

 चुनावी त्यौहार में जिसने शाराब पिलाने की प्रथा शुरू की ।
जिसने चिकन और मटन खिलाने की प्रथा शुरू की । जिसने पैसे बांटने की प्रथा शुरू की , और वो बहुत सारे काम जिसे प्रत्याशी और मतदाता दोनों जानते हैं ।
हर बात कहना जरूरी नहीं है । ये सारे काम जिसने शुरू किया , उसके पटिदार , उसके खानदान , उसके हीत- मीत , उसके सपोर्टर , उसका भाई या उसका लड़का , जो भी हो जब प्रत्याशी के रुप में आएगा तो उसे भी इस प्रथा से हो कर ही गुजरना पड़ेगा । इससे कुछ और एक्स्ट्रा कर सकें तो और बेहतर होगा । अन्यथा मैदान छोड़ दें ।
जो शराब का सेवन नहीं करता । जो चिकन- मटन नहीं खाता । मेरे सर्वे में पता चला कि उन्हें कोई पुछने वाला नहीं है ।
क्या शाराबी लोग ही लोगों को चुनाव जिताते हैं ?
शुद्ध शाकाहारी और बिना मदिरापान करने वाले लोगों के सामने सिर्फ हाथ जोड़ लेने से काम नहीं चलेगा ।
मदिरापान का सेवन करने वाला हो या शाकाहारी सभी के सामने हाथ तो जोड़ना ही है , लेकिन हाथ जोड़ने से पहले अपने हाथ में एक लंबी नोंट लेकर मतदाता से हाथ मिलाएं । हाथ मिलाने पर अपने मुट्ठी में लिए नोट को उसके हाय मैं सटा कर उसकी मुट्ठी को बंद कर दें , इस क्रिया को सिर्फ आप और आप का मतदाता जाने ।
फिर इस बात को जरुर कहें कि अपना और अपने लोगों पर अपने स्तर से ध्यान दें ।
चुनाव जीतने के फंडे में सफल फंडा एक यह भी हो सकता है कि इस क्रिया को महिलाओं के साथ भी किया जाय जिससे महिलाएं अपनी कुछ जरूरी आवश्यकताएं पूरी कर सकें ।
यह रोटेशन एक दिन या एक रात ही सिर्फ न हो बल्कि यह रोटेशन डेली चलता रहे मतदान के दिन भी ।
अन्यथा चुनाव मत लड़े या फिर पांच वर्षों तक लोगों को अपना बनाएं । अपने आप को लोगों का विश्वासपात्र साबित करें यदि लोगों के विश्वासपात्र आप हो गये , तो चिकन मटन शराब पैसा इसकी कोई जरुरत नहीं । क्यों कि ये सब उनके लिए है जो अचानक कूद पड़ते हैं , और अपने धन के बल पर ही कूदते हैं । ऐसे लोगों को लूटने के लिए 90% लोगों को इंतजार रहता है ।
चुनावी बिगुल बजते ही प्रत्याशियों के एनलाईसिस शुरू हो जाते हैं । कौन किस लायक है और किस बेस पर उतरा है ।

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

लोग क्या कहेंगे ?

लोग क्या कहेंगे ? लोग क्या सोचेंगे ? इसे तुम्हें सोंचने की जरूरत नहीं है । लोगों ने तो संतों और महापुरूषों को नहीं छोड़ा , तो तुम क्या हो ?
लोग हैं कौन ?
ये वही लोग हैं , जो तुम्हें जानते हैं , और तुम उन्हें जानते हो इसके सिवा किसी को न फुर्सत है , और न जरूरत है , कि वो आप को सोचे और कुछ कहे , क्यों कि वो तुम्हें जानता ही नहीं ।

गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

स्वार्थ के हज़ारों रुप रंग होते हैं

स्वार्थी व्यक्ति के अंदर स्वार्थ के हज़ारों रुप रंग होते हैं ।
स्वार्थी का स्वार्थ जब प्रबल हो जाता है , तो अपने शिकार को किसी न किसी रूप रंग में रंग ही लेता है ।

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

प्यार तो एक ही होता है

प्यार तो एक ही होता है , जो पवित्र और निस्वार्थ से भरा हुआ होता है । लेकिन प्यार के नाम के पीछे छुपे मकसद अनेक होते हैं ।