hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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रविवार, 31 जनवरी 2021
भागना या मुंह मोड़ लेना
भागना या मुंह मोड़ लेना किसी समस्या का समाधान या हल नहीं है । ठहर जाना , डट जाना , रुक जाना ही समस्या के समाधान का हल ढूंढने पर मजबूर हो जाना होता है , या समाधान कराने पर मजबूर कर देने के बराबर होता है ।
शनिवार, 30 जनवरी 2021
दुनियां में रहें या दुनियां से चले जाएं
मैं किसी को अपने वश में जादू , मंतर से नहीं करता ।
मैं किसी को अपने वश में टोटका , जंतर से नहीं करता ।
मैं किसी को अपने वश में गुंडा गर्दी से नहीं करता ।
मैं किसी को अपने वश में अपने प्रभाव या दबाव से नहीं करता । मैं किसी को अपने वश में रत्न या ताबीज पहन कर नहीं करता । मैं किसी को अपने वश में हिप्नोटिज्म के माध्यम से नहीं करता । क्यों की ये सारे माध्यम स्थाई नहीं होते , इनकी एक समय सीमा होती है । जब वो समय सीमा समाप्त होती है तो सब कुछ उल्टा हो जाता है । जो व्यक्ति वश में किया गया था , वही व्यक्ति दुश्मन भी बन जाता है । इस लिए उपरोक्त माध्यमों का सहारा कभी भी न लें ।
मैं उपरोक्त माध्यमों से सहारा लेकर किसी को वश में नहीं करता । मैं लोगों को अपने अच्छे व्यवहार और दिल की मुहब्बत से लोगों को वश में करता हूं । क्यों की यही स्थाई है । यही सत्य है । यही कायम रहेगा । आप दुनियां में रहें या दुनियां से चले जाएं । आप की मुहब्बत और अच्छे व्यवहार हमेशा क़ायम रहेंगे ।
शुक्रवार, 29 जनवरी 2021
आविष्कार पुरा हो जाने के बाद
क्या करुं मैं भी तो उसी को ढूंढ रहा हूं , जिसे आप भी ढूंढ रहे हैं । अचरज भरी और आस्चर्यजनक चीज़ों को , जिसे पढ़ने , सुनने और देखने के बाद सोचने पर मजबूर कर दे ।
अनसुनी , अनकही और अनदेखी चीजों की तलाश में तो आज भी मैं हूं । आप सोचते होंगे कि यह संभव नहीं है । मुझे पुर्ण विश्वास है , कि यह असंभव भी नहीं है । संभावनाएं तो वहां तक हैं , जहां तक आप सोंच सकते हैं । असंभव तो बस वही है , जिसे आप कभी सोंच नहीं सकते ।
जितने भी आविष्कार हैं , वो सब किसी की सोंच ही तो हैं ।
भले ही सुरुआत में लोगों को पागलपन लगा हो । आविष्कार पुरा हो जाने के बाद उपयोगकर्ता तो आज सभी लोग हैं ।
कोई अगर कुछ सोचता है और उसपर काम करता है , तो उसे व्यर्थ का पागलपन न समझें , अगर आप से उसके हक़ में कोई सहयोग नहीं हो सकता है , तो उसे निराश भी न करें कोई ऐसी बात न कहें जिससे वो निराश हो या आप खुद उसकी नज़रों में बेवकूफ नज़र आने लगें ।
उसका पागलपन उसके लक्ष्य तक एक दिन जरूर ले जाएगा । इतना जरूर कहूंगा कि किसी पर ग़लत कमेंट करने से बेहतर है कि उसको प्रोत्साहन दें ताकि उसके जेहन में आप की अच्छी तस्वीर बनी रहे ।
रविवार, 24 जनवरी 2021
अनमोल रतन को बचा के रक्खा है
ज़मीर बेच कर अगर अरबपति नहीं बन पाए तो सैकड़ों और हज़ारों रुपये में उलझने से क्या फ़ायदा , इससे बेहतर है कि अपने ज़मीर को बचाए रक्खो ।
जिसने अपने ज़मीर को बचाए रक्खा है , समझो उसने अनमोल रतन को बचा के रक्खा है ।
शनिवार, 23 जनवरी 2021
तुम जानते हो अपने अन्दर के झूठ और सच को
तुम जानते हो अपने अन्दर के झूठ और सच को । इस लिए कभी अपनी झूठी शान को "आंन " मत बनाना , क्यों कि झूठ का अपना कोई धरातल नहीं होता , इसे टूटने में ज्यादा वक़्त नहीं लगता , जब झूठी आंन , मान और शान टूटतीं हैं तो कलेजा मुंह को आ जाता है ।
शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
ऐसा रिश्क मत लेना कि जिससे तुम्हारा नुकसान हो जाय
मेरे लिए कभी ऐसा रिश्क मत लेना कि जिससे तुम्हारा नुकसान हो जाय , मैं तुम्हारे इस नुकसान वाले रिश्क में शामिल नहीं हो पाऊंगा । तुम्हारे रिश्क से अगर तुम्हारा भला या फायदा हो जाय , तो मैं तुम्हारे इस रिश्क में शामिल हो सकता हूं ।
गुरुवार, 21 जनवरी 2021
मरना कोई नहीं चाहता
पाना तो सभी चाहते हैं ।
खोना कोई नहीं चाहता ।
लेना तो सभी चाहते हैं ।
देना कोई नहीं चाहता ।
जीतना तो सभी चाहते हैं ।
हारना कोई नहीं चाहता ।
जीना तो सभी चाहते हैं ।
मरना कोई नहीं चाहता ।
हक़दार होना तो सभी चाहते हैं ।
हक़ को निभाना कोई नहीं चाहता ।
ये सब , लोगों की चालांकी भरी मान्सिकता सिर्फ है । जब कि किसी के बस में कुछ भी नहीं है । सब कुछ उसके बस में है , जिसने इस दुनियां को बनाया है । वो जिससे जो करवाना चाहता है , करवा लेता है ।
बुधवार, 20 जनवरी 2021
जब हालात नाजुक होते हैं
जब हालात नाजुक होते हैं तो सही और ग़लत का फर्क नज़र नहीं आता । ग़लत अल्फाज़ तो ग़लत होते ही हैं , मगर इस नाजुक हालात में सही अल्फाज़ भी दर्द देते हैं ।
शनिवार, 16 जनवरी 2021
मनगढ़ंत के अर्थों में सारी जिंदगी भटकते रहोगे
जिस कालेज के तुम स्टुडेंट हो , उस कालेज में , मैं प्रोफेसर हूं । एक वाक्य के बहुत सारे अर्थ निकलते हैं । निर्अर्थक एवं मनगढ़ंत के अर्थों में सारी जिंदगी भटकते रहोगे , सही अर्थ जानने के लिए मेरे क्लास में तो आना ही पड़ेगा ।
रविवार, 10 जनवरी 2021
अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे
मोबाइल पर न्यूज़ पढ़ते समय , यूट्यूब पर वीडियो या कोई न्यूज़ देखते समय बीच - बीच में एडवरटाइजिंग शुरु हो जाता है । इसी तरह टेलीविजन पर भी हर प्रोग्राम में एडवरटाइजिंग , फिल्म हो , सीरियल हो या न्युज चैनल बीच में एडवरटाइजिंग प्रस्तुत कर के बना बनाया मूड ख़राब कर देता है । क्या ऐसा नहीं हो सकता कि सारे एडवरटाइजिंग को पहले या बाद में दिखाया जाय ।
बीच - बीच में प्रचार को सैतनहट या भ्रमित करना कहा जा सकता है । इस तरह से भ्रमित करने के लिए लोग पैसा देते हैं । अखबार में प्रचार छापने पर अखबार वाले को पैसा मिलता है । टेलीविजन पर जीस चीज़ में प्रचार दिखाया जाता है उनको पैसा मिलता है । यूट्यूब पर जिसके चैनल पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है ।जिसके ब्लॉग पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है । क्या बिना प्रचार के उनकी इनकम नहीं हो सकती ? जब की कोर्ट में , मीटिंग्स में , और भी बहुत सारे प्रोफेशनल कामों में मोबाइल को भी स्वीच ऑफ करा दिया जाता है , कि किसी प्रकार का बाधा न पड़े तो फिर उपरोक्त लोगों को क्यों नहीं समझ में आता है कि हमारे दर्शक भी बाधित होते होंगे । क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि मोबाइल पर एडवरटाइजिंग का एक एप लांच हो जाए जिससे लोग उस पर एडवरटाइजमेंट दे सकें और जो एडवरटाइजमेंट को देखेगा उसे पैसा दिया जायेगा तो कैसा रहेगा ? । टेलीविजन पर एडवरटाइजिंग का चैनल बन जाय जो देखेगा उसे बैलेंस दिया जाएगा जिससे वे अपने टेलीविजन के मनपसंद चैनल्स को रिचार्ज कर सकें , तो कांटीन्यू किसी भी चीज़ को पढ़ा और देखा जा सकता है और लोगों को अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे ।
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