hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शनिवार, 31 अक्टूबर 2020
सोंचने पर मजबूर
इस दुनियां में ऐसे लोग भी आते हैं । जो सोंचने पर मजबूर कर देने वाले सनकी, दिवाने और जुनूनी हैं । जो अपनी चाहतों को पुरा करने के लिए अपनी जान भी दे देते हैं । और जान ले भी लेते हैं ।
जीतने का सिस्टम
पैसे से चुनाव जीतने का सिस्टम अलग होता है ।
फटी पाकेट वाले के जीतने का सिस्टम अलग होता है ।
इससे ज्यादा विस्तार में कहना मैं उचित नहीं समझता क्यों कि आप से बड़ा राजनीत का खिलाड़ी और कौन हो सकता है । अब घर जा कर फुर्सत से बैठो और यह सोचो कि आप कौन से सिस्टम से जीतना चाहते हैं ।
बचपन की यादें
बचपन की यादें नौजवानी में हंसाती हैं और नौजवानी की यादें बुढ़ापे में रुलाती हैं ।
शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020
चेन सिस्टम
रोटी , सब्जी , दाल , चावल ये चार चीजें आप को तीनों टाईम चाहिए चाहे आप झोंपड़ी में हों या महल में ।
ये कैसे मिलेंगी ?
और कहाँ से आती हैं ?
इसको स्वदिस्ट तरीके से तैयार करने के लिए आप को
मसाले की जरूरत पड़ती है ।
मसाले कैसे और कहाँ से आएंगे ?
तीसरा मामला कपड़े का हे ।
चौथा मामला दवाई का है ।
पांचवां मामला शिक्षा का है ।
छठवाँ मामला रोजगार का है ।
सातवां मामला आलीशान बंगले का है।
आठवां मामला उस बंगले में अपने सहूलियतों के हर सामान को जुटाने का है ।
ये सभी पैसों पर आधारित हैं ।
अब उपरोक्त सभी चीजों को हासिल करने के लिए आप को मोटा पैसा चाहिए ।
इसका रास्ता अगर आप खुद बनाते हैं तो आप अपने अनुसार निर्धारित समय पर सब हासिल कर सकते हैं ।
अगर किसी चेन सिस्टम का हिस्सा बन कर हासिल करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसे सब हासिल होगा जिसने चेन सिस्टम को बनाया है । उसके बाद आप के सपने हासिल होंगे ।
पंचनबे परसेन्ट लोग चेन सिस्टम को बनाने वाले को उसके लछ्य से ज्यादा हासिल करवा देते हैं और जब अपना नम्बर आता है तो खुद टूट जाते हैं ।
या पुरा सिस्टम ही बंद हो जाता है ।
इससे बेहतर है कि आप जितनी मेहनत किसी और के लिए करने में अपने समय का नुकसान करते हैं उपर से इनकम के उम्मीद पर कर्जदार भी हो जाते हैं ।
उसी गुड सुत्र पर आप खुद के लिए लोगों को हासिल करें और प्राथमिक आवश्यकताओं से शुरू करें।
जिसकी इन चेन सिस्टमों में लगे तमाम लोगों को जरुरत है।
गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020
पैसे के लिए
पैसे के लिए जो तुमने कर ढाला काश तुम इसे समझ पाते ।
अगर जरा भी अपनों के बारे में सोचे होते तो तुम्हारे करनी पर आज मुझे शर्मिंदा नहीं होना पड़ता ।
तुम्हें मैं क्या समझु , मेरी समझ से बाहर होते जा रहे हो ।
बुधवार, 28 अक्टूबर 2020
हर पल से अंजान
हर आदमी अपने ज़िन्दगी के बीते हुए दिनों के एक एक पल को जानता है ।
लेकिन जिंदगी में आने वाले दिन के एक एक पल से हर कोई अंजान है ।
मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020
आर्थिक आज़ादी
इस देश में मुर्खों और पागलों की कमी नहीं है ।
महान शायर गालिब के कथनानुसार चार पंक्तियां -
चूतियों की कमी नहीं गालिब ।
एक ढूढो हजार मिलते हैं ।।
नगद ढूढो तो उधार मिलते हैं ।
उधार ढूंढो तो बेशुमार मिलते हैं ।।
नेता गिरी एक ऐसा धंधा है । जहां ऐसे ही लोग बेशुमार मिलते हैं । क्यों कि इन चूतियों को नौकरी , तनख्वाह या कैरियर की जरूरत नहीं होती बस पद चाहिए ।
क्यों कि ये धन्धा सीधे देश से होता है । पार्टी को सत्ता में आने से या खुद चुनाव जीत लेने से देश में हिस्सेदारी मिल जाती है । और ये बात सभी नहीं जानते , बस इतना जानते हैं कि किस पार्टी का माला जपना है । किस पार्टी को नीचा दिखाना है और उसका विरोध करना है । उसकी कमियों को दिखा कर माइंड़ डाईवर्ट कर देना है और वो भी उन लोगों का जो राजनीत में इनट्रेस्ट नहीं रखते अपने कमाने खाने में व्यस्त रहते हैं ।
ऐसे ही लोगों को कुछ लालच दे कर इकट्ठा करना और
धरना , प्रदर्शन और उपद्रव करना साथ में लाठी भी खाना और खिलवाना है । लेकिन पूरे प्रक्रिया में राष्ट्रिय लीडर नहीं होता सब यही बेशुमार वाले होते हैं ।
यकीन न हो तो कोई भी अनाप सनाप पार्टी बना लो सैकड़ों में तो तुरंत मिल जाएंगे फिर हजारों में और इसी तरह बढते हुए बेशुमार वाले कैटेगरी के लोग भर जाएंगे ।
यहां कोई क्वाईलिफिकेशन या डिगरी की जरूरत नहीं होती आत्म निर्भर बनने के लिए हर तरह की संपन्नता का होना जरुरी है । जो रोज कमाता है तब खाता है तो ऐसे लोग आत्म निर्भर कैसे बनेंगे ।
ऐसे लोगों की महामंडी आज भी गरम है । जिसे राजनीति के नाम से जाना जाता है । इसी मंडी में तुम्हें तुम्हारा सही अधिकार मिलेगा और बोलबाला भी ।
जो पार्टीयां बनी हैं उसे सब जानते हैं इससे हटकर अलग से एक पार्टी बनाओ और देश के साथ देश वासियों को भी एक अलग दिशा दो जिसमें सभी के पास समय की आजादी और आर्थिक आजादी दोनों हो ।
सोमवार, 26 अक्टूबर 2020
मुहब्बत के नाम पर
किसी के पास मुहब्बत है ।
किसी के पास दौलत है ।
दोनों एक साथ हर किसी को नहीं मिल्ती ।
80% ऐसे लोग हैं जिनके पास दोनों मेसे कुछ भी नहीं है ।
दौलत के नाम पर खुद परस्ती में जीना और मुहब्बत के नाम पर मुहब्बत का एक खूबसूरत नाटक है । जिसके अंधे पन में जिंदगी गुजरती जा रही है ।
रविवार, 25 अक्टूबर 2020
अटूट विश्वास
आप जिसे अपना मानते हैं ।
आप जिस पे भरोसा करते हैं ।
आप जिसकी हर बात मान लेते हैं ।
आप जिसकी बातों में सबूत की जरूरत नहीं समझते।
सबसे पहले आप के जजबात से खिलवाड़ वही करता है ।
सबसे पहले आप को वही छलता है ।
सबसे पहले आप को नीचा दिखाना वही चाहता है ।
सबसे पहले विश्वास घात वही करता है ।
यह सब तो एक ऐसी परंपरा बन चुकी है जैसे कोई रिवाज़ ।
घबराओ मत जो जिस काबिल हो उस हिसाब से आज़माइश सबकी करते रहा करो। किसी के दिल और दिमाग को बदलते ज्यादा वक़्त नहीं लगता ।
कौन किसके कितने करीब है यह वह भी जानना चाहता है जो खुले तौर पर या पीठ पीछे आप का विरोधी है ।
और ऊपर कही गयी सारी समस्याएं ज्यादा तर यही लोग क्रियेट करते हैं सिर्फ एक दूसरे के अटूट विश्वास को देख कर ।
गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020
अदभुत कला
कुछ गीतकार कुछ गायक कुछ संगीतकार कुछ कलाकार हमारे देश में ऐसे हैं कि वो भारत के एक रत्न के समान हैं। जिन्हें सुन कर कोई आंसू बहाता है तो कोई मन के दर्द को हल्का करता है । तो कोई उमंग और मस्ती में डूब जाता है ।
आप के अंदर अगर किसी भी प्रकार का टैलेंट है चाहे वो किसी भी प्रकार का हो कला एक बहुत ही अदभुत चीज होती है तो उसे न दबाएं और न रोकें आप अपनी कला को अपने देश के सामने लाएं इससे बहुतों को प्रेरणा और आगे आने का हौसला मिलेगा कुछ को सीखने का अवसर भी बनेगा। आज आप हैं कल नहीं होंगे मगर आप की यादें हमेशा लोगों के दिलों में बनी रहेंगी ।
अगर आप को अपनी कला को समाज के बीच लाने का कोई रास्ता न मिल पा रहा हो और मजबूर हों तो मुझसे संपर्क करें। मुझे ऐसे लोगों की तलाश है और मैं उन्हें उनके योग्यता के मुताबिक पुरा प्रयास और सहयोग भी करुंगा।
आप मुझसे काल या वाट्सेप के द्वारा भी जुड़ सकते हैं ।
मेरा नम्बर - 7388939329
9936351220
VOICE OF HEART = दिल की आवाज़
के ब्लागर - डा. जावेद अहमद खान
स्पेशलिस्ट - C.N.T. सेलुलर नेरेशमेंट थेरेपी
कोशिकीय पोशण चिकित्सा
बुधवार, 21 अक्टूबर 2020
परिवर्तन
सच्चाई जान कर आप कुछ नहीं कर पाओगे ।
अन्जाने में आप बहुत कुछ कर जाओगे ।
बेहतर यही होगा कि जिस चीज से अंजान हो उससे अंजान ही रहो अगर हकिकत जानने के पीछे भागोगे तो दर्द और नफ़रत के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा ।
ये अलग बात है कि कुछ चीजों की सच्चाई जानने की जरूरत पड़ती है मगर उसे भी जान कर आप उसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते । अगर परिवर्तन की कोशिश करोगे तो सबसे पहले विरोधी आप ही बनोगे इस लिए जो जैसे है वैसे ही रहने दो हां बेहतर यही है कि आप को अगर परिवर्तन करतना है तो खुद में ही करें ।
यकीन मानो अगर आप को आप के जिंदगी के बारे में पैदा होने से लेकर मरने तक के एक एक पल की सच्चाई बता दी जाए तो आप का जीना मुश्किल हो जाएगा ।
जो बीत रहा है उसे अप जी रहे हैं और देख भी रहे हैं मगर आने वाले कल के बारे में आप को क्या पता बस एक आस है एक उम्मीदें हैं और एक खूबसूरत प्लान के साथ सपने जिसके सहारे कल आज में बदल जाता है और आप जीते जा रहे हैं ।
मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020
फैस्टिवल
भारत में विभिन्न प्रकार के फैस्टिवल हैं जो सभी के पाकेट खाली कर देने वाले हैं लेकिन एक फैस्टिवल ऐसा है जिसे चुनाव के नाम से जाना जाता है जिस में 80% जनता के पाकेट में कुछ न कुछ तो आ ही जाता है ।
सोमवार, 19 अक्टूबर 2020
इस दुनियां में
इस दुनियां में कोई भी चीज बेकार नहीं है। सब का काम कहीं न कहीं कभी न कभी तो पड़ता ही है । बेकार तो उस वक्त लगती है । जब आप को उसकी जरुरत नहीं होती ।
रविवार, 18 अक्टूबर 2020
लाल मिर्च
अगर लाल मिर्चा पिसा हुआ आप के मुंह में डाल दिया जाय तो उसके तीखे पन से आप सनक जाएंगे । तीखापन बर्दाश्त नहीं होगा , आप की ज़ुबान सुन्न पड़ने लगेगी खोंपडी जरुरत से ज्यादा गरम हो जाएगी।
ठीक इसी तरह जब आप के मुंह से आप की ज़ुबान जब कोई कड़वाहट भरे शब्द निकालती है तो सुनने वाला भी सनक जाता है । और उससे भी ज्यादा सनक जाता है जितना लाल मिर्च के पाउडर से आप सनकेंगे और खोंपड़ी तो इतनी गरम हो जाती है कि हत्या भी हो जाती है ।
अतः आप वैसा ही खाना पसंद करते हैं जो आप के मुंह को आराम दे और जुबान को स्वादिष्ट और मस्त लगे।
ठीक इसी तरह आप अपने व्यवहार और बोल चाल में शब्दों का इस्तेमाल भी करें ताकी आप से मिलने वाले लोग आप का साथ न छोड़ना चाहें और बातों से आप के दिवाने हों जाएं।
शनिवार, 17 अक्टूबर 2020
एक ही भूल
आज तुम्हारा वक़्त है ........
हर आरजू पुरी करना .........
कुछ छोड़ना मत ..........
न तो कुछ भूलना ..........
क्यों कि एक ही भूल .........
तुम्हारे मौत का कारण बन जाएगी ..........
और दुनियां का कोई भी इंसान ...........
तुम्हें बचा नहीं सकता ।
शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020
जरुरी नहीं
जरुरी नहीं कि हर बात का जवाब खुल्लम खुल्ला दिया जाए थोड़े से इशारे बहुत कुछ समझने के लिए काफी होते हैं ।
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
शब्द
अगर शब्दों की गहराई में उतरना जानते हो तो दो चार शब्द ही जिंदगी के मायने को समझा जाते हैं ।
बुधवार, 14 अक्टूबर 2020
नफ़रत
मैं जिसे मानता हूं तो ऐसे मानता हूं कि जैसे मेरी जान उसके अन्दर बसती है लेकिन जब नफ़रत हो जाती है तो ऐसी नफ़रत करता हूँ कि जैसे लोग नर्क से नफरत करते हैं ।
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020
एक अकेला
एक अकेला आदमी अगर अपनी जिद पर उतर जाए तो करोडो आदमी की जिंदगी बर्बाद और खत्म कर सकता है ।
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
संगठित परिवार
एक संगठित परिवार में जो औलाद पैसा कमाता है उसकी मान्यता ज्यादा होती है । हर लोग उसी के इर्द गिर्द मंडराते हैं । हर कोई उसी को खोजते हुए और उसी से मिलने के लिएआते हैं । लेकिन अगर घर रह रहे व्यक्ति से कोई मिलने आ जाये तो पीठ पीछे यह जरूर सुनाया जाता है कि " अरे चूतिये हैं साले..... लोफरों का साथ है अब क्या करियेंगा " जब की बिना सच्चाई जाने वो कमाने वाला भी पूछता है कौन था ? सवाल कर के बिना जवाब सुने यह बड़े आसानी से कह देता है कि "चुपचाप घर रहो लोफरों का साथ छोड़ दो आज के बाद मैं किसी के साथ देखना नहीं चहता और न दरवाजे पर इन चूतियों और लाखैरों को मैं देखुं यही है तुम्हारे नाजायज़ पैसा फूकने का अंजाम मैं मर मर कर पैसा भेजु और तुम उसका गलत इस्तेमाल करो " जब की उस कमाने वाले को नहीं पता कि एमरजेंसी में यही लोग काम आते हैं । आप का पैसा बाद में आता है लेकिन उससे पहले यही लोग आते हैं खैर वो सही कहे या गलत सब ठीक है सभी बे हिचक स्वीकार भी कर लेते हैं । लेकिन जो औलाद पैसा नहीं कमाता उसकी कोई औकात नहीं होती अगर वो गलत को गलत और सही को सही कहे तो भी उसकी बात को कोई अहमियत नहीं दी जाती और न तो कोई सुनने को तैयार होता है इसकी हर बात बकवास और फाल्तु लगती है मगर जिस्मानी और भागदौड़ के सारे काम घर रह कर इसी को करना पड़ता है । घर को देखते हुए सभी सामाजिक, पारिवारिक , हित , मीत और रिश्तेदारी सभी को समय समय पर देखना है । अगर खेत बारी है तो उसमें भी लग कर पसीना बहाना पड़ता है अगर गाय गोरु है तो उसे भी संभालना पड़ता है । यानी नीव का ईट जो घर है वही बनता है ।
जहां जो खर्च आता है वो मिलता तो जरूर है मगर हर चीज़ का हिसाब भी देना पड़ता है ।
"जब मैं कमा रहा हूँ और पैसा दे रहा हूँ तो तुम्हें कहीं कमाने जाने की क्या जरूरत है घर पर रहो घर देखो, घर पर भी तो किसी का रहना जरुरी है" इन बातों से और सभी के दबाव से उसे अपने जीवन को अपने आजादी से जीने का अवसर नहीं मिलता यूं कहीए कि उसकी सारी इच्छाएं मार कर आजादी भी छीन ली जाती है ।
एक समय ऐसा भी आता है जब घर रहने वाले को नाकारा साबित कर दिया जाता है और उसी घर में उसे अलग भी कर दिया जाता है ।
अलग करने पर उसके हिस्से में गाय, गोबर और खेती आती है मगर जो काम रहा था उसके हिस्से में लम्बी फोर व्हीलर शान्दार बंगला और बैंक बैलेंस आता है जो पहले ही वो सब अंडर ग्रांउड बनाता रहा ऐश करने के लिए उस नीव के ईट को अलग तो करना ही पड़ेगा वरना सब में बराबर की हिस्सेदारी भी देनी होगी किसी कि जिंदगी बर्बाद कर के अपना काम निकालना कहां का न्याय है ।
खुद को अकेले छल से राजा बन जाना किस काम का जिसके सुख को भोगने में जब अपने ही न हों।
शनिवार, 10 अक्टूबर 2020
संभावनाएं
जहाँ बुद्धिमान लोग ज्यादा रहते हैं वहां काम बिगड़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं ।
जहां मुर्ख लोग ज्यादा होते हैं वहां भी काम बिगड़ने की
संभावनाएं ज्यादा होती हैं ।
जहां मुर्ख और बुद्धिमान दोनों तरह के लोग होते हैं वहां
काम बनने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं चाहे मुर्ख काम बना ले या बुद्धिमान ।
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020
बच्चा बच्चा
कुछ लोगों को देश का बच्चा बच्चा जानता है लेकिन वे
देश के बच्चे बच्चे को नहीं बल्कि अपने और अपने कुछ लोगों के परिवार और उनके बच्चों को जानते हैं ।
सोमवार, 5 अक्टूबर 2020
सहन शक्ति
जहां पर किसी को किसी पर भरोसा न रह जाए ।
जहां बारह घंटे में नब्बे परसेन्ट झूठ बोलाजाता हो।
जहां हर किसी की पीठ पीछे खिल्ली उड़ाई जाती हो
उसकी बुराई की जाती हो ।
जिस देश में प्रधान मंत्री को भी गाली दी जाती हो ।
जहाँ हर कोई हर किसी को शक के नजरिये से देखता हो। जहाँ पर मामले को समझने का इंटरेस्ट कम लोग रखते हों और आंकड़ेबाजी करने वाले ज्यादा हों।
जहां आफवाहों का ह्यूमर ज्यादा उड़ाया जाता हो।
जहां कानून व्यवस्था आधा अधीन और आधा मनमरजी हो। जहां गरीब, मजदूर,और महिलाओं की कोई औकात न समझी जाती हो । जहां जनता का कोई अधिका न हो और न कोई सुनवाई हो ।
जहां पर कई हुकुमतें चलती हों जैसे -
1- क्रिमनल
2-भु माफिया
3-माफिया
4- नेतागिरी
5- दादा गिरी
6- स्मगलर तथा अन्य
जहां इमानदारी कम और बेईमानी ज्यादा होती जा रही हो । जहां पैसे तो पूरे लिए जाते हैं मगर तौल में सामान कम दिये जाते हैं । जहां शुद्धता घट गयी हो और मिलावट बढ गयी हो। जहां हर संबन्ध में स्वार्थ भर गया हो । जहां लोग सहयोगी कम और मतलबी ज्यादा हों।
जहां फाईल खसकाने का पैसा लिया जाता हो।
जहां एक साइन करने का पैसा लिया जाता हो।
जहां झूठ बोलने का पैसा लिया जाता हो।
जहां रौब दिखा कर, धमकाकर पैसा लिया जाता हो।
जहां बात करने का पैसा लिया जाता हो।
जहां सलाह देने का पैसा लिया जाता हो।
कुछ जगहों पर प्रवेश करने का पेसा लिया जाता है ।
जहां पेशाब करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां शौच करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां वेश्यालयों से और वेश्यावृत्ति करने वाली से भी पैसा लाया जाता है ।
जहां पुल क्रास करने का पैसा लिया जाता हो।
जहाँ रोड़ पर चलने का पैसा लिया जाता हो।
जहां मर्डर करने का पैसा लिया जाता हो ।
जहाँ किडनैपिंग का पैसा लिया जाता है।
जहां वोट डालने का पैसा लिया जाता हो ।
बचा क्या है देश और देशवासियों के भ्रष्ट होने में ।
इसी बीच अपने और अपने परिवार के जिंदगी के सफर को पुरा करना है । एक नयी एनरजेटिक उर्जा के साथ नयी सोच पैदा करनी होगी ताकी नित नये बढते प्रदूषण से निपटा जा सके और सहन शक्ति मजबूत हो सके।
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
कुछ भूल गये
कुछ भूल गये तो क्या हुआ ।
कुछ छोड़ गये तो क्या हुआ ।।
कुछ शर्तों पे साथ निभाते हैं ।
कुछ मक़सद से हाथ मिलाते हैं ।।
सबके जखमों को सहना है ।
कुछ भी न किसी से कहना है ।।
धीरे धीरे सब कट जाएगा ।
जीवन का दर्द सिमट जाएगा ।।
तुम अपना धंधा चटकाये रहो ।
लोगों को खुद में भटकाये रहो ।।
वो चलता है चलता जाएगा ।
एक दिन मंजिल भी पाएगा ।।
तुम बोझ बनो या रोग बनो ।
सबको परवाह नहीं होती ।।
पराश्रित हो कर जीने में ।
आसानी से मौत नहीं होती ।।
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020
सुरक्षा
अगर किसी के लिए दवा नहीं बन सकते तो उसके लिए रोग भी मत बनो । अगर किसी के काम नहीं आ सकते तो उसके लिए बोझ भी मत बनो ।
लेकिन जहाँ सारी संवेदनाएं मरती जा रही हों लोगों को खुद का एहसास न रह गया हो वहां कोई किसी के सुरक्षा के बारे में क्यों सोंचेगा बल्कि अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी ।
आत्म निरभरता पैदा करने के लिए दिल को इतना मजबूत तो करना ही पड़ेगा ।
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