इन्सान के उपर जैसा वक्त आता है, उसी हिसाब से रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं ।
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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मंगलवार, 23 अप्रैल 2019
सोमवार, 22 अप्रैल 2019
पांच दुश्मन
बर्बाद करने वाले सिर्फ पांच दुश्मन हैं ।
1- काम ( कामदेव )
2- क्रोध ( गुस्सा )
3- लोभ ( लालच )
4- मोह ( ममता )
5- अहंकार ( घमंड )
जिस दिन आप ने इन पांचों दुश्मनों को हरा दिया उसी
दिन से यह दुनियां आप के लिए ( जन्नत ) स्वर्ग बन जाएगी ।
मैं आ रहा हूँ
अमीरी-गरीबी ।
अच्छे-बुरे दिन ।
दुख और सुख ।
बीमारी और मौत ।
ये सब बता कर नहीं आते कि
मैं आ रहा हूँ ।
इन्हें जब ईश्वर का आदेश ( अल्लाह का हुक्म )
मिलता है तो आने में जरा भी देर नहीं लगती ।
इसमें अपने कर्मों और विचारों का भी हाथ होता है ।
इस लिए हर इंसान को इन सारी परिस्थितियों के लिए
हमेशा तैयार रहना चाहिए ।
कृपया अपनी परिस्थितियों का जिम्मेदार किसी और को मत बनाये ।
शनिवार, 20 अप्रैल 2019
बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें
कातिलों के खौफ से क्या हम जमाना छोड़ दें ।।
क्या करें हम मस्जिदों में आना जाना छोड़ दें ।।
बुझदिली से आप सब भी आंसू बहाना छोड़ दें ।।
आवो हम सरकार गैरों की बनाना छोड़ दें ।।
जी में आता है यही कि खाना दाना छोड़ दें ।।
आंधियों से कह दो हमको आजमाना छोड़ दें ।।
जुर्म के आगे अगर ये सर झुकाना छोड़ दें ।।
जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ
जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ ।
बम धमाके भी हो रहे हैं हर तरफ ।।
आने वाली मुश्किलों से बे खबर ।
कुछ लोग देखो सो रहे हैं हर तरफ ।।
बे गुनाहों के लहू से देखिये ।
लोग धब्बे धो रहे हैं हर तरफ ।।
कुछ लोग मजहब का लेबादा ओढ कर ।
अपनी अज़मत खो रहे हैं हर तरफ ।।
इन्सानियत जख्मों से जावेद चूर है ।
बच्चे बूढे रो रहे हैं हर तरफ ।।
जब देखो तक़दीर का रोना रोता है
जब देखो तक़दीर का रोना रोता है ।
अपनी राह में कांटे खुद ही बोता है ।।
बेकारी में वक्त जो अपना खोता है ।
पछताता है खूंन के आंसू रोता है ।।
ये मत सोचो वक्त पे कोई काम आएगा ।
इस दुनियां में कौन किसी का होता है ।।
खुद मेहनत कर के आगे बढना सिखो ।
क्या भीख मांग कर राजा कोई होता है ।।
रोज़ी आकर दरवाजे से लौटेगी जावेद ।
सूरज चढने तक बिस्तर में जो सोता है ।।
देख कर
आंखों में अश्क आ गये कश्मीर देख कर ।
जन्नत में रहने वालों की तक़दीर देख कर ।।
बच्चे हमारे शहर के दहशत में आ गये ।
कुछ बुझदिलों के हाथ में शमशीर देख कर ।।
जो है तेरे नसीब में तुझको मिलेगा वो ।
आहें न भर गैरों की जागीर देख कर ।।
शायर हूं मै जरूर मगर शायरी है तू ।
लिखता हूँ गज़ल तेरी तस्वीर देख कर ।।
जावेद अभी कायम है मजनूँ का सिलसिला ।
हैरान क्यों है रेत पर तहरीर देख कर ।।
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
कौन देता है
जरा सोचो कि जहरीली फिजाएं कौन देता है ।
यहाँ पे बे गुनाहों को सजाएं कौन देता है ।।
लगी है आग पुरे देश में फिरका परस्ती की ।
भडकती है जो चिंगारी हवाएं कौन देता है ।।
गुजरता हूं उधर से जब कभी सुनसान रातों में ।
मुझे शहरे खमुशा से सदाएं कौन देता है ।।
सभी डूबे हुए हैं जुर्म की मदहोश खुशबू में ।
किसी बीमार मां को अब दवाएं कौन देता है ।।
यह दुनिया है यहाँ पे होता है हर चीज का शौदा ।
बिना उजरत लिए जावेद दुवाएं कौन देता है ।।
किया उसने
जिंदगी भर तो सितम किया उसने ।
जुर्म कब अपन कम किया उसने ।।
चार दिन की मिली हुकूमत क्या ।
नाक में सबके दम किया उसने ।।
कुछ न कुछ हादसे हुए अक्सर ।
जब भी मुझपे करम किया उसने ।।
पेट अब तक भरा नहीं उसका ।
सबका हिस्सा हजम किया उसने ।।
ऊंची दहलीज जिस जगह देखी ।
सिर वहीं अपना खम किया उसने ।।
रो पड़े दर्द से फरिश्ते भी ।
मां की आंखों को नम किया उसने ।।
फिक्र अपनी लगी रही हर दम ।
कब जमाने का गम किया उसने ।।
रह गये सब उलझ के आपस में ।
जावेद ऐसा पैदा करम किया उसने ।।
मर रहे हैं
करोडों लोग इस दुनियां में भूखे मर रहे हैं ।
सियासत बाज लाशों पर सियासत कर रहे हैं ।।
दलाली और घोटाले हैं देखो हर तरफ ।
यहाँ कानून के माहिर खिलाड़ी डर रहे हैं ।।
तआज्जुब होता है यह पढ के अखबार में ।
कि चारा जानवर का आदमी भी चर रहे हैं ।।
मुख से गरीबों का निवाला छीन कर ।
कुछ लोग हैं जो पेट अपना भर रहे हैं ।।
बड़े माहिर खिलाड़ी हैं हमारे देश में जावेद ।
जो गरीबों का धन विदेशों में जमा कर रहे हैं ।।