hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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मंगलवार, 7 अप्रैल 2020
जिद
मामला यह नहीं है कि तुमने मुझे चाहा या नहीं।
मामला ये है कि मैने तुम्हें चाहा है।
इस लिए दुनियां से तुम्हें छीन लेने कि जिद और
जुनून है मेरे अंदर।
निशाना
बीमारी कहीं और है ।
निशाना कहीं और है ।
अगर निशाना कहीं और न होता तो बिमारी
हिन्दू , मुस्लिम का रूप न लेता।
कनिका को चौथे स्टेज में भी पाजेटिव पाया
गया था। इसपर भी कनिका ठीक हो गई।
जिस दवा से ये ठीक हुई हैं उस दवा को पुरी दुनियां
में फैलाया जाय ताकी जो अभी दवा का रिसर्च कर
रहे हैं उनका टाईम वेस्ट न हो।
एक सौ पैंतीस करोड़ जनसंख्या वाले भारत देश में
अबतक 4500 साढे चार हजार लोग कोरोना पाजेटिव
पाए गये हैं। अब आप जरा परसेंटेज निकाल कर देखें
कि भारत में कितना परसेंट कोरोना अपना पैर फैला
पाया है। इस हिसाब से कोई परसेंट ही नहीं निकलता
कनिका का ठीक होना यह साबित करता है कि कोई
इस बिमारी से भारत में नहीं मर सकता।
जब कि ये विदेश से होकर आई थी।
अगर कोई पेसेन्ट मिलता है तो उसे अलग कर के सेफ
कर दिया जाए और कनिका वाला इलाज किया जाए।
बाकी जो एरिया या जिला सेफ है उन्हें अपने जिले में
अपने एरिये में आजाद कर दिया जाय साथ ही इस बात
का सख्ती से इन्तजाम किया जाय कि इन एरियों और
जिलों में दूसरे जिले या एरियों के लोग प्रवेश न कर सकें।
रविवार, 5 अप्रैल 2020
समाज
जो सुबह घर छोड़ते थे और रात में नौ दस बजे
घर वापस आते थे ।
आज उनका एक एक दिन एक एक साल जैसा
गुजर रहा है ।
बारहवीं में पढा था मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
आज समझ में आया कि समाज से दूर होकर जीना
कितना मुश्किल होता है ।
शनिवार, 4 अप्रैल 2020
आटा
बहुत सारे लोग डेली आटा खरीद कर घर चलाते हैं।
बहुत सारे लोग डेली दोस्तों के हाटस्पाट से अपने
मोबाइल का डाटा कनेक्ट कर के अपना काम चलाते हैं।
ये दोनों तो अब लगभग समाप्ती के कगार पर होंगे।
बहुत सारे लोग एक महीने का राशन घर में रखते हैं।
और इससे ज्यादा लोग 28 दिन का डाटा मोबाइल में
रखते हैं।
ये लोग भी अब अपने आटा और डाटा के समाप्ति के
के कगार पर हैं काफी लोगों के आटा और डाटा समाप्त
भी हो चुके होंगे ।
कम से कम आधी आबादी का न्यूनतम खर्च दो सौ से
पांच सौ तक की डेली है जिन्हें ये फार्मूला ज़िंदा रखता है ।
डेली काम डेली पैसा।
काम बन्द पैसा बन्द ।
ये लोग किस मुकाम पर पहुंच गये होंगे ?
सुना है लोग कहते हैं कि भारत में जन्म लेने वाला बच्चा
भी कर्जदार होता है।
अब ये बात समझ में नहीं आती की भारत बिदेश से कर्जा ले और कर्जदार देश का एक एक बच्चा होता है तो यहां
हिन्दू मुस्लिम तो रहे नहीं
अमीर गरीब तो रहे नहीं
ए पी एल, बी पी एल तो रहे नहीं
सबका हिसाब बराबर है न
कर्जा तो हर बच्चे पर है न
तो फिर कैटेग्रियां क्यों ?
खैर कोई बात नहीं करे कोई और , भरे कोई और।
जिनके पास है वो आपातकालीन स्थिति में देश की
सेवा करें जिनके पास नहीं है देश उनके एक एक बच्चे
की सेवा करे चाहे वो किसी भी क्लास का हो
कैटेग्री सिस्टम को हटाया जाए , जब लोग बचेंगे तो
उन्हें जैसे चाहना बांट देना। अभी वे सभी लोग जो
संपन्न हैं चुनाव प्रचार की तरह खुद और अपने आदमियों द्वारा हर एक घर तक आटा डाटा के साथ हर एक आवश्यक चीजों के साथ पहुंचे इसी की जरूरत है और
इसी में भलाई है , यही मानव सेवा है, यही देश भक्ति है।
आप लोग खुद विचरक हैं मुनि भी हैं जो मुझसे छूट गया उस पर विचार करें और मनन भी करें।
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020
पेसेन्ट
कुछ हर्ट के पेसेन्ट हैं ।
कुछ ब्लडप्रेशर के पेसेन्ट हैं ।
कुछ टीबी के पेसेन्ट हैं।
कुछ दमा के पेसेन्ट हैं।
कुछ न्यूरो के पेसेन्ट हैं।
कुछ बदलते हुए मौसम और वातावरण की वजह से
सर्दी जुखाम बुखार के पेसेन्ट हैं।
और मालिक करे कि किसी को कोई रोग न हो।
ऐसे में बिना कारण पूछे कृप्या किसी की भी पिटाई न करें।
मैं देख रहा हूँ न्यूज के माध्यम से कि एक आदमी पर
चार पाच पुलिस वाले अपने नामर्दी का सबूत दे रहे हैं।
जनता वर्दी की इज्जत करती है लेकिन तुम्हारी गुण्डागर्दी ने वर्दी की इज्जत को धूल में मिला कर रख दिया है।
यही वजह है कि आज सिवाए गाली के कोई इज्जत की
नजर से नहीं देखता सब गिरी हुई नजर से देखते हैं।
आज के महामारी में कृप्या आप भी इंसानियत से पेश
आएं । दुनियां के हर काम प्रेम से भी अंजाम दिये जा
सकते हैं। मनबढई कर के लोगों की हाय और बददुआ
न बटोरें क्यों कि ये पाप आप से होते हुए आप के बच्चों
परिवार और खान्दान तक मडराता रहता है।
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
ओबा
ऐसा क्या किया मानव जात ने कि उसे इतना नाराज
होना पड़ा कि आज पुरी दुनियां ओबा के मंह पर आ
खड़ी हुई है।
मुझे लगता है कि हर लोगों को हर लोगों ने बहुत दुख
पहुंचाया है।
तुम्ही शुरुआत भी हो और तुम्ही अन्त भी हो।
मंगलवार, 31 मार्च 2020
बादशाहियत
जिन्हों ने अल्लाह को राजी करने के लिए
अपने बादशाहियत की गद्दी छोड़ दी।
आज उन्हीं के कदमों में दुनियां झुकी है।
उन्हें पता था कि दुनियां एक दिन फना
होने वाली है तो चन्द दिनों की हुकूमत का क्या
उन्हें दुनियां के ताजो तख्त की न लालच थी और
न परवाह उन्हें सिर्फ दीन की चाहत और लालच थी
ताकी मरने के बाद भी अमर हो सकें।
मगर आज लोगों को दुनियां और दुनियां के ऐशो इसरत
की चहत है चाहे जितने भी अपराध, पाप और अन्याय
क्यों न हो जाएं ।
गुरु
हमारा देश अध्यात्म गुरू रहा है और रहेगा भी।
इसमें हिन्दू , मुस्लिम , सिख, ईसाई, जैन, पारसी
इत्यादि सभी वर्गो से सन्त महात्मा हुए हैं।
आज भी हैं और आगे भी होते रहेंगे।
आज हम पुर्वजों की प्रथा छोड़ कर ज्यादा तर
वैग्यानिक विधियों पर आधारित होते जा रहे हैं।
हमें अपनी सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा को
कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
इसमें लींन रहते हुए वैग्यानिक आविश्कारों का भी
उपयोग करें।
पहले जब कोई सुविधा नहीं थी तब भी महामारियां
आती थी और ऐसी विकराल रुप में कि गांव का गांव
खाली हो जाता था। उस वक़्त लोग हैजा ताऊन से
लेकर ओबा माई तक को तंत्र मंत्र कुछ टोटके और
दुवा ताबीज से छुटकारा दिलाते थे।
बचपन में सुने हुए ये वाक्य -
जा तुहके ओबा माई ले जाएं।
ओबा के मुंहे में चल जइते त संतोष मिल जात।
बहुत ही बैकवर्ड गांवों में आज भी ऐसे वाक्य सुनने को
मिल ही जाते हैं।
अन्त में मैं सभी धर्मों के गुरूओं संतों महात्माओं ओझा
सोखा से यही कहूंगा कि अपने अपने ग्यान और रिति
रिवाज के मुताबिक इस महामारी रूपी ओबा माई को
मानकर भगाने की कोशिश करें ।
सोमवार, 30 मार्च 2020
यूजर
जन्म लेने से लेकर मरने तक सभी लोग उपभोक्ता हैं।
पहले गवर्नमेन्ट की व्यवस्थाओं के।
दूसरे बिजनेस मैन के।
उसके बाद सामाजिक, धार्मिक तथा अन्य के।
बिजनेस में आज सबसे बड़ा नेटवर्क मोबाइल सिम
और उसके रिचार्ज का है।
मैं समझता हूँ कि आज भारत में 95% लोग इसके युजर हैं जिस भी नियम को बनाया गया लोगों को भले ही दुखी होना पड़ा मगर कबूल किया चाहे कर्ज ले कर ही रिचार्ज कराना पड़े लोग कराते हैं।
अब चाहे लोगों के मजबूरियों का फायदा लिया जा रहा हो या कंपनियों की मजबूरी हो लेकिन जिसके जितने यूजर बन चुके हैं वो अब खतम नहीं होंगे।
आज जो महामारी हमारे देश में आई है ये बहुत ही
भयावह है ऐसे में घर से निकलना बहुत बड़े खतरे को
मोल लेने के बराबर होगा और ये खतरा लेकर भी क्या
करेंगे जब हर तरफ हर चीज़ की दुकानें बन्द हैं ।
ऐसी परिस्थिति में मैं यही कहुंगा कि जितनी भी रिचार्ज
कंपनियां हैं वे अपने यूजरों को एक महीने की आउटगोइंग इनकमिंग और डाटा सहानुभूति में दें ताकी जो लोग जहाँ भी फंसे हैं वे अपनों के साथ ही साथ सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता केन्द्रों से जुड़ सकें ।
यह सहयोग इस दुख की घड़ी में जनता के लिए बहुत ही
लाभकारी सिद्ध होगा। जो हमेशा याद रहेगा।
रविवार, 29 मार्च 2020
महामारी
आज इस महामारी में जहां बार बार लोगों से
अपने अपने घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है
पुलिसकर्मी हिदायतों के बाद पीट कर भी समझा
रहे हैं ऐसे में अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति घर से बहार
निकलता है तो बात समझ में आती है कि कोई खास
जरूरत होगी मगर वे लोग क्या ढूँढ रहे हैं जिनके उपर
कोई जिम्मेदारी ही नहीं है ।
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