खेती , बारी , दौलत और पुराने हवेली नुमा
मकान से ही सिर्फ नहीं होते हैं ।
रईश और जमींदार का
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और जेहन भी
रईश और जमींदार होता है ।
इनका अगर सब कुछ लुट जाए तो भी
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और ज़ेहन ,
मरते दम तक साथ रहता है ।
दौलत के घमंड में कभी
रईश और जमींदार ,
बनने की कोशिश मत करना ।
रईश और जमींदार लोग ,
किसी के भी घर की ।
आधी रोटी खाकर या
एक गिलास पानी पी कर या
उठने , बैठने का तहज़ीब देख कर या
मुंह से निकले हुए एक लाईन को सुन कर ,
यह अंदाजा लगा लेते हैं कि
सामने वाले की औकात क्या है ।