Translate

गुरुवार, 18 सितंबर 2025

जन्मने और मरने

पेड़ जब सूखने लगता है ।
तब उसकी जड़ में ,
दुनियां के सारे ड्राई फ्रूट्स ,
पीस कर डालें जायं तब भी 
वो हरा - भरा नहीं हो सकता ।

इसी तरह इंसान जब बूढ़ा होने लगता है ।
तब दुनियां की कोई भी ताक़त ,
उसे फिर से जवान नहीं कर सकती है ।

दुनियां में हर चीज़ के जन्मने और मरने ।
बनने और बिगड़ने की एक प्रक्रिया है ।
जिसे कोई रोक नहीं सकता है ।
                          " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 15 सितंबर 2025

बेशर्म किसने बनाया

जब तक इंसान गाली देना नहीं जानता है ।
तब-तक वह शर्मीला और संकोची होता है ।

जब वह लोगों से गालियां सुन - सुन कर ,
जानकार हो जाता है और खुद जब गालियां 
देना शुरु करता है । तब वही गालियां सुनाने 
वाले लोग उसे बेशर्म कहते हैं ।
                               " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 13 सितंबर 2025

रईश और ज़मीदार

रईश और जमींदार -
खेती , बारी , दौलत और पुराने हवेली नुमा 
मकान से ही सिर्फ नहीं होते हैं ।

रईश और जमींदार का 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और जेहन भी 
रईश और जमींदार होता है ।

इनका अगर सब कुछ लुट जाए तो भी 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और ज़ेहन ,
मरते दम तक साथ रहता है ।

दौलत के घमंड में कभी 
रईश और जमींदार ,
बनने की कोशिश मत करना ।

रईश और जमींदार लोग ,
किसी के भी घर की ।
आधी रोटी खाकर या 
एक गिलास पानी पी कर या 
उठने , बैठने का तहज़ीब देख कर या 
मुंह से निकले हुए एक लाईन को सुन कर ,
यह अंदाजा लगा लेते हैं कि 
सामने वाले की औकात क्या है ।
                               " जावेद गोरखपुरी "


इस दौर में

इस दौर में ........ ।
अच्छाई करने में ।
" और "
भलाई करने में ।
दर्द और रुसवाईयां 
बहुत मिलती हैं ।

झूठ , फरेब में ।
" और "
मक्कारीयों में ...... ,
इज्जत और वाहवाही ,
बहुत मिलती है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 11 सितंबर 2025

सब्र और खामोशी

जरुरी नहीं है कि हर सब्र का ,
और हर खामोशी का जवाब ,
तुम्हें देखने को मिलेगा ही ।

लेकिन !

लोगों के दिये हुए दर्द से ।
जिस खामोशी में ।
जिस सब्र में ।
तुम्हें आना पड़ा है ।
उसका जवाब तुम्हें देखने को ,
एक न एक दिन जरुर मिलेगा ।
               " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 10 सितंबर 2025

वास्तविकता

दिमाग को ईश्वर संचालित करता है ।
इसमें तुम कुछ नहीं कर सकते हो ।

दिल को आत्मा संचालित करती है ।
इसमें आधा तुम्हारा बस चलता है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

दिमाग को पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

भरोसा

जब भरोसा ही नहीं है ,
तो टूटेगा क्या ?

भरोसा तो उस समय टूटता है ।
जब पूरा भरोसा हो जाता है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 3 सितंबर 2025

आत्मा और शरीर

जो कभी मर नहीं सकती ,
वो तुम्हारे पास है ।
जिसको मरने से कोई रोक नहीं सकता ,
वो भी तुम्हारे पास है ।

अफसोस इस बात का है कि ,
मर जाने वाली चीजों कि चिंता में 
तुम खुद ही मरे जा रहे हो ।

और " वो "

जो कभी मरेगी ही नहीं ।
उसमें न तो तुम्हारी कोई दिलचस्बी है ।
और ना ही तुम्हारा कोई नाता है ।
                         " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

दिमाग पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों
 को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "