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मंगलवार, 9 सितंबर 2025

भरोसा

जब भरोसा ही नहीं है ,
तो टूटेगा क्या ?

भरोसा तो उस समय टूटता है ।
जब पूरा भरोसा हो जाता है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 3 सितंबर 2025

आत्मा और शरीर

जो कभी मर नहीं सकती ,
वो तुम्हारे पास है ।
जिसको मरने से कोई रोक नहीं सकता ,
वो भी तुम्हारे पास है ।

अफसोस इस बात का है कि ,
मर जाने वाली चीजों कि चिंता में 
तुम खुद ही मरे जा रहे हो ।

और " वो "

जो कभी मरेगी ही नहीं ।
उसमें न तो तुम्हारी कोई दिलचस्बी है ।
और ना ही तुम्हारा कोई नाता है ।
                         " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

दिमाग पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों
 को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 24 अगस्त 2025

मैं खो गया हूं

मैंने तो एहसास कर लिया है ।
अब तुम भी एहसास कर लो .... ।
मैंने तुमको नहीं खोया है ।
तुमने ही खुद मुझे खोया है ।

मैं खो गया हूं ...... ।
अपनी दुनियां की भीड़ में ।
अब कभी भूल कर भी ,
जिंदगी के किसी मोड़ पर ,
मुझे तलाश मत करना ।

क्यों कि खोई हुई चीज़ ,
कभी वापस नहीं मिलती ।
जिसे मिलती है ।
वो किसी को बताता नहीं ।
                   " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

कल्पना

तुम्हारे माइंड की फ्रिक्वेंसी ,
जिस कल्पना को कैच करती है ।
वह दुनियां के किसी हिस्से में गुजर चुका है ।
अगर आज ये कल्पना आधुनिक लग रही है ।
तो इसे इस युग में पूरा किया जा सकता है ।
अगर आप को असंभव लगता है ।
तो आने वाली जनरेशन के माइंड की फ्रिक्वेंसी 
इसे कैच करेगी और पूरा भी करेगी ।
संसार का नियम है ।

ये पृथ्वी अपने प्रेरकृति द्वारा जनरेशन बाई जनरेशन कल्पनाओं को थोपती आ रही है ।
दुनियां को सजाने के लिए ।
उदाहरण के लिए -
2G से 5G का आज आप आनंद ले रहे हैं ।
आज आप ताजमहल से लेकर बुर्ज खलीफा 
तक घूम रहे हैं । सभी कल्पनाओं से ही बने हैं ।
आगे आने वाले समय में मिटावर्स की दुनिया भी 
स्टार्ट होने वाली है । तब आप अपने बेडरुम में लेटे हुए पेरिस में घूमने और शापिंग का आनंद लेंगे , जो लोग इस दुनियां से जा चुके हैं । उनकी आत्मा से भी बात मुलाक़ात कर सकेंगे ।
                           " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 19 अगस्त 2025

एहसास

किसी के मर जाने के बाद -
अक्सर यह सुनने को मिलता है ।
कि...… , 
अभी तो कल ही मेरी मुलाकात हुई थी ।
सब कुछ तो ठीक - ठाक था ।
मुझसे बात भी हुई थी ।

सांसों का रुक जाना ही ,
सिर्फ मरना नहीं होता है ।
बहुत सारे लोग हैं ।
जो अंदर से मर चुके हैं ।
सिर्फ सांसें चल रहीं हैं ।
और किसी तरह से वो भी चल रहे हैं ।
                       " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 28 जुलाई 2025

सोंचो अगर तुम कल मर गये तो क्या होगा

सोचो अगर तुम कल मर गये तो ?.......... । 
2 दिन तक कुछ दोस्तों की इंस्टाग्राम और फेसबुक स्टोरी में रहोगे , उसके बाद सभी अपने - अपने काम में व्यस्त हो जाएंगे । तुम्हारे पार्टनर भी दूसरा पार्टनर ढूंढ लेंगे । तुम्हारी फैमिली और परिवार भी कुछ दिन बाद नॉर्मल हो जाएंगे । कुछ पल का मातम रहेगा , फिर हंसने मुस्कुराने लगेंगे । 

किसी के बिना कोई मरता नहीं है । अगर तुम्हारा कहीं कुछ अकाया - बकाया है या बैंक एकाउंट या म्युचुअल फंड तो उसके क्लेम करने के लिए नॉमिनीस फॉर्म भरेंगे , डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए दौड़ेंगे । दुनिया चलती रहेगी जैसे चल रही है । धीरे-धीरे तुम्हारे परिवार को भी तुम्हारी नामौजूदगी की आदत पड़ जाएगी । जो कह रहे थे कि तुम्हारे बिना जी नहीं पाएंगे मर जाएंगे । उन्हें किसी और से मोहब्बत हो जाएगी । जहां तुम्हारा अंतिम संस्कार खतम हुआ वहां तुम्हारा नाम भी खत्म।

कुछ लोग जिनको तुम अजीज समझते हो वह तुम्हारे अंतिम दिन में भी नहीं आपाएंगे । कुछ लोग तुम्हारी तारीफ के पुल बांध रहे होंगे और कुछ लोग अभी भी तुम पर हंस के चले जाएंगे । तुम दरवाजे पर पड़े होंगे और बातें पॉलिटिक्स की चल रही होंगी । तुम्हारा चहारम किस दिन किया जाय इस बात पर बहस हो रही होगी । लोग खाना खाकर चले जाएंगे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा । तुम इतने जरुरी नहीं थे किसी के लिए तब सब पता चलेगा । इस लिए खुद के लिए भी जीया करो । किसी के चले जाने से दुनिया नहीं रुकती । लोग इस दुनियां में आते हैं और जाते हैं । सिर्फ तस्वीर रह जाती है । जिसे देखकर याद करते हैं । आज से अपनी खुशी के लिए काम करो , अपने लिए जियो । खुद में आत्मविश्वास पैदा करो , नहीं तो दूसरों के चक्कर में दिमाग घिसते - घिसते मर जाओगे ।
                                     " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 17 मई 2025

आत्ममंथन

आत्ममंथन -
तुम्हारी आत्मा जिस को खोज रही है 
तुम जो जानना चाहते हो..... । 
वह बहुत अचरज भरा नहीं है ।
इसे तो तुम्हारी आत्मा तबसे जानती है ।
जब तुम इस जिस्म में थे ही नहीं ।

जबसे तुम्हारी आत्मा को रहने के लिए ,
इस मिट्टी के जिस्म का खोल मिला है ।
तभी से तुम सब कुछ भूले हुए हो ।

जिस दिन तुम इस जिस्म के खोल को 
छोड़ोगे , उस दिन से तुम्हें सब कुछ 
याद आ जाएगा ।

उस दिन तुम्हें यह एहसास होगा कि ,
ईश्वर ने मुझे इस मिट्टी के जिस्म में 
डाल कर , व्यर्थ में मेरे जीवन और 
समय को नष्ट करवाया गया था ।
                       " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 1 मार्च 2025

भूत दो प्रकार के होते हैं ।

      भूत दो प्रकार के होते हैं ।
एक खुद पकड़ लेता है ।
दूसरा खुद लोग पाल लेते हैं ।

जो खुद पकड़ लेता है ।
उसे तो झाड़-फूंक करा कर ,
छुड़वाया जा सकता है ।

लेकिन जिसे लोग पाल लेते हैं ।
वो अपने आका से खुश और राजी है ।
आका भी उसे उसकी मर्जी के मुताबिक ,
उसकी पूजा देता रहता है ।

फिर भी खुद पाला हुआ भूत ।
अपने आका के साथ ही साथ ,
पूरे परिवार की जिंदगी , बर्बाद कर देता है ।
                                 " जावेद गोरखपुरी "


सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

सब्र किसे कहते हैं ?

जब किसी का कोई बस न चले ।
जब किसी को कोई रास्ता न मिले ।
जब मजबूरियां पस्त कर दे ।
तब जाकर इसको एक नाम दिया गया ,
और वो नाम है ।
" सब्र "
सब्र सिर्फ़ एक शब्द है , और कुछ भी नहीं ।
जो इंसान के तमाम कमजोर पहलुओं से 
गुजरते हुए , लोगों के जिंदगी में अपनी एक 
ख़ास जगह बना चुका है ।

इसी सब्र के पर्दे के पीछे , तुम अपने आप को ,
अपनी कमजोरियों को , अपनी बेबसी को और 
अपनी लाचारियों को छुपाते हो ।

और यह कह कर खुश होते हो कि -
मैंने सब्र कर लिया ।
यह सुन कर लोग भी शांत हो जाते हैं ।

लेकिन सच्चाई तो यह है कि , जब तक तुम ,
इस सब्र नाम के पर्दे को नोच कर फेंकोगे नहीं ।
इसमें छुपने की आदत को छोडोगो नहीं ।
तब-तक तुम्हारा कोई कल्याण नहीं हो सकता ।
अब तुम्हारे उपर निर्भर करता है कि -
तुम्हें क्या करना है ?
इस पर्दे से बाहर आकर जीत हासिल करना है ।
या कायरों की तरह सब्र के आड़ में लोगों को ,
और खुद को सारी जिंदगी धोखा देना है ।
                                   " जावेद गोरखपुरी "