आधुनिक समाज और हमारे रिश्ते :
कनेक्टेड' होकर भी 'अकेले' क्यों हैं ?
आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं ।
जहाँ टेक्नोलॉजी ने हमें विश्व स्तर पर जोड़ दिया है । फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ज़रिए हम हजारों लोगों से "कनेक्टेड" रहते हैं । लेकिन क्या आपने कभी महसूस किया है कि ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी के बावजूद भी , आज हम अकेलापन क्यों महसूस कर रहे हैं ?
आज कल ज्यादा तर क्या हो रहा है ?
स्क्रीन टाइम बनाम क्वालिटी टाइम :-
हम अपने फोन के स्क्रीन पर दूसरों की "परफेक्ट" लाइफ देखते रहते हैं , लेकिन अपने पास बैठे व्यक्ति को समय देना भूल जाते हैं । हमारी वर्चुअल लाईफ लाइक और कमेंट्स में वास्तविक मुस्कान और बातचीत की जगह लेते जा रहे हैं ।
दिखावा और दबाव : -
सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी सबसे अच्छी तस्वीर पेश करता है । इससे हम पर भी एक दिखावे का दबाव बनता जा रहा है , और हम भूल जाते हैं कि हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ।
ज़रूरी क्या है ?
हमें याद रखना होगा कि समाज का मतलब केवल बड़ी भीड़ नहीं है , बल्कि मज़बूत और गहरे आपसी रिश्ते की हैं ।
फोन को रखें दूर :-
अपनों के साथ बात करते समय या खाना खाते समय, अपने फोन को दूर रखें । एक-दूसरे की ओर एक्टिव होकर बात करें।
वास्तविक बनो :-
सोशल मीडिया पर अपनी असफलताएं या सामान्य जीवन भी शेयर कर सकते हैं , यह दूसरों को प्रेरित करता है कि वे भी परफेक्ट न होने का दबाव छोड़ दें।
समाज में योगदान दें :-
केवल शिकायत न करें, बल्कि अपने आस-पड़ोस के छोटे कामों में हिस्सा लें ।
आइए , इस डिजिटल युग में , सच्ची कनेक्टिविटी को फिर से अपनाएँ और एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ लोग एक - दूसरे से दिल से जुड़े हों , सिर्फ स्क्रीन से ही नहीं ।
आपकी राय क्या है ?
क्या आप भी यह अकेलापन महसूस करते हैं ?
तो कमेंट में खुल कर बताएं !