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सोमवार, 3 नवंबर 2025

कुछ रिश्ते

कुछ रिश्ते सिर्फ बंधन नहीं , 
बल्कि 'घर' होते हैं ।
जीवन हमें बहुत कुछ सिखाता है , 
लेकिन सबसे ज़रुरी सबक यही है , 
कि असली दौलत पैसों में नहीं , बल्कि 
उन रिश्तों में है जो हर मुश्किल में 
हमारे साथ खड़े रहते हैं ।

अगर आज आपको किसी एक 
ऐसे व्यक्ति को शुक्रिया कहने का मौका 
मिले जो आपकी ज़िंदगी के हर मोड़ पर 
आप के साथ खड़े रहे हैं , 
और आज भी खड़े हैं ।
तो वह कौन होगा ?

उन्हें टैग करें या उनके लिए एक शब्द कहें ।
याद रखें , प्यार , आभार , शुक्रिया 
और धन्यवाद व्यक्त करने के लिए '
सही समय' का इंतज़ार न करें । 
वह समय आज और 'अभी' है ।
                                " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 2 नवंबर 2025

छोटे - छोटे प्रयास

आज का यह जो दिन है , इसे सार्थक बनाएं ! 
दोस्तों , ज़िंदगी एक बेहतरीन तोहफा है ,
और हर नया दिन एक नया अवसर 
लेकर आता है ।
हम अक्सर सोचते रहते हैं , कि कल क्या होगा या पिछली गलतियों पर पछताते हैं । लेकिन असली शक्ति आज में है ।

छोटे लक्ष्य निर्धारित करें :- 

आज आप एक छोटी सी अच्छी आदत 
शुरु कर सकते हैं , जैसे 10 मिनट 
व्यायाम करना , 20 मिनट टहलना , 
लोगों से अच्छा व्यवहार करना , 
उनकी भावनाओं को समझना या 
कोई नई चीज़ सीखना ।

सकारात्मक सोच रखें :- 

समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखें , 
न कि बाधाओं के रूप में ।

खुद पर भरोसा रखें :- 

उन सभी अच्छी चीज़ों को याद करें ,
जो आपके पास हैं ।
याद रखें , बड़े बदलाव हमेशा छोटे - 
छोटे प्रयासों से ही होते है । 
उन प्रयासों को आज से ही शुरु करें ।
कल कभी नहीं आता , इसलिए 
आज ही अपनी ज़िंदगी को 
बदलना शुरु करें ।
आइए , मिलकर इस दिन को 
सफल और शानदार बनाते हैं ! 
                     " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 1 नवंबर 2025

हम और सोशल मीडिया

आधुनिक समाज और हमारे रिश्ते : 
कनेक्टेड' होकर भी 'अकेले' क्यों हैं ? 

आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं ।
जहाँ टेक्नोलॉजी ने हमें विश्व स्तर पर जोड़ दिया है । फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ज़रिए हम हजारों लोगों से "कनेक्टेड" रहते हैं । लेकिन क्या आपने कभी महसूस किया है कि ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी के बावजूद भी , आज हम अकेलापन क्यों महसूस कर रहे हैं ?

आज कल ज्यादा तर क्या हो रहा है ?
स्क्रीन टाइम बनाम क्वालिटी टाइम :-
 
हम अपने फोन के स्क्रीन पर दूसरों की "परफेक्ट" लाइफ देखते रहते हैं , लेकिन अपने पास बैठे व्यक्ति को समय देना भूल जाते हैं । हमारी वर्चुअल लाईफ लाइक और कमेंट्स में वास्तविक मुस्कान और बातचीत की जगह लेते जा रहे हैं ।

दिखावा और दबाव : -
 
सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी सबसे अच्छी तस्वीर पेश करता है । इससे हम पर भी एक दिखावे का दबाव बनता जा रहा है , और हम भूल जाते हैं कि हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ।

ज़रूरी क्या है ?

हमें याद रखना होगा कि समाज का मतलब केवल बड़ी भीड़ नहीं है , बल्कि मज़बूत और गहरे आपसी रिश्ते की हैं ।

फोन को रखें दूर :- 
 
अपनों के साथ बात करते समय या खाना खाते समय, अपने फोन को दूर रखें । एक-दूसरे की ओर एक्टिव होकर बात करें।
 
वास्तविक बनो :-

सोशल मीडिया पर अपनी असफलताएं या सामान्य जीवन भी शेयर कर सकते हैं , यह दूसरों को प्रेरित करता है कि वे भी परफेक्ट न होने का दबाव छोड़ दें।
 
समाज में योगदान दें :-
  
केवल शिकायत न करें, बल्कि अपने आस-पड़ोस के छोटे कामों में हिस्सा लें ।
आइए , इस डिजिटल युग में , सच्ची कनेक्टिविटी को फिर से अपनाएँ और एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ लोग एक - दूसरे से दिल से जुड़े हों , सिर्फ स्क्रीन से ही नहीं ।
आपकी राय क्या है ? 
क्या आप भी यह अकेलापन महसूस करते हैं ? 
तो कमेंट में खुल कर बताएं ! 
                                  " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

सच और झूठ


मैंने मां से झूठ बोला ।
लेकिन उसने मुझे कभी ,
अपने आप से दूर नहीं किया ।

जब मैंने अपनों से सच बोल दिया ।
तो सभी चुप हो कर मुझे देखते रहे ।
मुझे एहसास हुआ कि जैसे मैंने ,
कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया है ।

मेरे सच ने मुझे अपनों से दूर कर दिया ।
                          " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

एहसास

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह तक को तुमसे ,
बांध रखा था ।

लेकिन अब ।

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह से तुम्हारे रुह को ,
हमेशा के लिए आजाद कर गयी है ।

पहले मेरे जिस्म से सिर्फ ,
तुम्हारा ही साया बनता था ।
आज तुम्हारा जिस्म तो दूर ‌।

तुम्हारे रुह की परछाई भी ।
मुझे परायी और अजनबी ,
सी लगने लगी है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 19 अक्टूबर 2025

रुह ( आत्म )

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह तक को तुमसे ,
बांध रखा था ।

लेकिन अब ।

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह से तुम्हारे रुह को ,
हमेशा के लिए आजाद कर गयी है ।

पहले मेरे जिस्म से सिर्फ ,
तुम्हारा ही साया बनता था ।
आज तुम्हारा जिस्म तो दूर ‌।

तुम्हारे रुह की परछाई भी ।
मुझे परायी और अजनबी ,
सी लगने लगी है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

रियल लाइफ और रील लाइफ

एक है जो वक्त और हालात की मंजबूरी में 
पेट पालने के लिए मजदूरी करता है ।
" और "
एक है जो उन्हीं वक्त और हालात के मारे हुए 
मजदूरों की सुनहले पर्दे पर एक्टिंग कर के ,
शोहरत और दौलत दोनों कमाता है ।

कलाकार दोनों हैं ।
एक रियल लाइफ का हीरो है ।
एक रील लाइफ का हीरो है ।

रियल लाइफ के हीरो अक्सर ,
गुमनाम हो जाते हैं ।
लेकिन रील लाइफ के हीरो ,
उन्हीं की एक्टिंग कर के 
मशहूर हो जाते हैं ।
                        " जावेद गोरखपुरी "
                      

सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

ज़िन्दगी की ख्वाहिशें

जिंदगी बहुत छोटी है ।
" और "
ख्वाहिशें बहुत बड़ी हैं ।

ख्वाहिशों को छोड़ दें ,
तो ज़िन्दगी बहुत बड़ी हो जाती है ।
ख्वाहिशों को पकड़ें तो ,
जिंदगी बहुत छोटी लगने लगती है ।

इसी छोड़ पकड़ में....। 
एक दिन दुनियां ही छूट जाती है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

इंसाफ़

इन + साफ = इंसाफ़ ।
इंसाफ़ से " इन " अगर 
निकाल दिया जाए ,
तो इंसाफ नहीं रह पजाएगा ।
बल्कि सिर्फ साफ़ ही रह जाएगा ।

अब इस दौर में यही हो रहा है ।
जब कोई मजबूरी में किसी खास मुद्दे पर ,
या पंचायत के रुप में लोगों को बुलाया जाता है ।
तब समस्या पर ध्यान कम और वर्चस्व पर ध्यान ज्यादा रहता है ।

इन + साफ = इंसाफ़ ।
यही कारण है , कि जिसकी समस्या है ।
उसको दबा कर विपक्ष को पाक और साफ ,
कर दिया जाता है । इसे ही कहते हैं ।
सही तरीके से इंसाफ़ का होना ।
                                  " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

अपने और पराये

कहीं - कहीं पराये अपने हो जाते हैं ।
कहीं - कहीं अपने पराये हो जाते हैं ।।
परायों का अपना होना स्वाभाविक है ।

लेकिन जब अपने ही पराये हो जाएं ।
तो कैसा लगेगा ? दुःख तो तब होता है ।
जब इतना ही समझने में कभी-कभी 
उम्र निकल जाती है ।                      
                           " जावेद गोरखपुरी "