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सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

ज़िन्दगी की ख्वाहिशें

जिंदगी बहुत छोटी है ।
" और "
ख्वाहिशें बहुत बड़ी हैं ।

ख्वाहिशों को छोड़ दें ,
तो ज़िन्दगी बहुत बड़ी हो जाती है ।
ख्वाहिशों को पकड़ें तो ,
जिंदगी बहुत छोटी लगने लगती है ।

इसी छोड़ पकड़ में....। 
एक दिन दुनियां ही छूट जाती है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

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