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सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

अपने और पराये

कहीं - कहीं पराये अपने हो जाते हैं ।
कहीं - कहीं अपने पराये हो जाते हैं ।।
परायों का अपना होना स्वाभाविक है ।

लेकिन जब अपने ही पराये हो जाएं ।
तो कैसा लगेगा ? दुःख तो तब होता है ।
जब इतना ही समझने में कभी-कभी 
उम्र निकल जाती है ।                      
                           " जावेद गोरखपुरी "

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