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शनिवार, 13 सितंबर 2025

रईश और ज़मीदार

रईश और जमींदार -
खेती , बारी , दौलत और पुराने हवेली नुमा 
मकान से ही सिर्फ नहीं होते हैं ।

रईश और जमींदार का 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और जेहन भी 
रईश और जमींदार होता है ।

इनका अगर सब कुछ लुट जाए तो भी 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और ज़ेहन ,
मरते दम तक साथ रहता है ।

दौलत के घमंड में कभी 
रईश और जमींदार ,
बनने की कोशिश मत करना ।

रईश और जमींदार लोग ,
किसी के भी घर की ।
आधी रोटी खाकर या 
एक गिलास पानी पी कर या 
उठने , बैठने का तहज़ीब देख कर या 
मुंह से निकले हुए एक लाईन को सुन कर ,
यह अंदाजा लगा लेते हैं कि 
सामने वाले की औकात क्या है ।
                               " जावेद गोरखपुरी "


इस दौर में

इस दौर में ........ ।
अच्छाई करने में ।
" और "
भलाई करने में ।
दर्द और रुसवाईयां 
बहुत मिलती हैं ।

झूठ , फरेब में ।
" और "
मक्कारीयों में ...... ,
इज्जत और वाहवाही ,
बहुत मिलती है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 11 सितंबर 2025

सब्र और खामोशी

जरुरी नहीं है कि हर सब्र का ,
और हर खामोशी का जवाब ,
तुम्हें देखने को मिलेगा ही ।

लेकिन !

लोगों के दिये हुए दर्द से ।
जिस खामोशी में ।
जिस सब्र में ।
तुम्हें आना पड़ा है ।
उसका जवाब तुम्हें देखने को ,
एक न एक दिन जरुर मिलेगा ।
               " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 10 सितंबर 2025

वास्तविकता

दिमाग को ईश्वर संचालित करता है ।
इसमें तुम कुछ नहीं कर सकते हो ।

दिल को आत्मा संचालित करती है ।
इसमें आधा तुम्हारा बस चलता है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

दिमाग को पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

भरोसा

जब भरोसा ही नहीं है ,
तो टूटेगा क्या ?

भरोसा तो उस समय टूटता है ।
जब पूरा भरोसा हो जाता है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 3 सितंबर 2025

आत्मा और शरीर

जो कभी मर नहीं सकती ,
वो तुम्हारे पास है ।
जिसको मरने से कोई रोक नहीं सकता ,
वो भी तुम्हारे पास है ।

अफसोस इस बात का है कि ,
मर जाने वाली चीजों कि चिंता में 
तुम खुद ही मरे जा रहे हो ।

और " वो "

जो कभी मरेगी ही नहीं ।
उसमें न तो तुम्हारी कोई दिलचस्बी है ।
और ना ही तुम्हारा कोई नाता है ।
                         " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

दिमाग पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों
 को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 24 अगस्त 2025

मैं खो गया हूं

मैंने तो एहसास कर लिया है ।
अब तुम भी एहसास कर लो .... ।
मैंने तुमको नहीं खोया है ।
तुमने ही खुद मुझे खोया है ।

मैं खो गया हूं ...... ।
अपनी दुनियां की भीड़ में ।
अब कभी भूल कर भी ,
जिंदगी के किसी मोड़ पर ,
मुझे तलाश मत करना ।

क्यों कि खोई हुई चीज़ ,
कभी वापस नहीं मिलती ।
जिसे मिलती है ।
वो किसी को बताता नहीं ।
                   " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

कल्पना

तुम्हारे माइंड की फ्रिक्वेंसी ,
जिस कल्पना को कैच करती है ।
वह दुनियां के किसी हिस्से में गुजर चुका है ।
अगर आज ये कल्पना आधुनिक लग रही है ।
तो इसे इस युग में पूरा किया जा सकता है ।
अगर आप को असंभव लगता है ।
तो आने वाली जनरेशन के माइंड की फ्रिक्वेंसी 
इसे कैच करेगी और पूरा भी करेगी ।
संसार का नियम है ।

ये पृथ्वी अपने प्रेरकृति द्वारा जनरेशन बाई जनरेशन कल्पनाओं को थोपती आ रही है ।
दुनियां को सजाने के लिए ।
उदाहरण के लिए -
2G से 5G का आज आप आनंद ले रहे हैं ।
आज आप ताजमहल से लेकर बुर्ज खलीफा 
तक घूम रहे हैं । सभी कल्पनाओं से ही बने हैं ।
आगे आने वाले समय में मिटावर्स की दुनिया भी 
स्टार्ट होने वाली है । तब आप अपने बेडरुम में लेटे हुए पेरिस में घूमने और शापिंग का आनंद लेंगे , जो लोग इस दुनियां से जा चुके हैं । उनकी आत्मा से भी बात मुलाक़ात कर सकेंगे ।
                           " जावेद गोरखपुरी "