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रविवार, 7 दिसंबर 2025

मन को शांत रखने के पांच आसान तरीके

🧘‍♀️ मन को शांत रखने के पाँच आसान तरीके 🌿

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, मन को शांत रखना किसी कला से कम नहीं है । यदि आपका 
मन शांत है , तो आप हर चुनौती का सामना 
आसानी से कर सकते हैं । यहाँ पाँच सरल तरीके 
दिए गए हैं जो आपके मन को शांति और स्थिरता प्रदान करेंगे : -

1. गहरी श्वास लें (Deep Breathing)
जब भी आप तनाव महसूस करें, तो बस 
रुक जाएँ । धीरे - धीरे नाक से गहरी साँस 
अंदर लें , और पेट तक महसूस करें । फिर , 
धीरे - धीरे मुँह से साँस बाहर निकालें । 
यह प्रक्रिया 5 बार दोहराएँ । गहरी श्वास आप
के तंत्रिका तंत्र को तुरंत शांत करती है और 
मस्तिष्क को ऑक्सीजन पहुँचाती है ।

2. प्रकृति के साथ समय बिताएँ 🌳
प्रकृति में एक अद्भुत उपचार शक्ति होती है । 
रोज़ाना 15 - 20 मिनट किसी पार्क में , 
बगीचे में , या यहाँ तक कि अपने घर के पौधों 
के पास बिताएँ । हरियाली देखना , चिड़ियों की आवाज़ सुनना , और ताज़ी हवा महसूस करना मानसिक बोझ को हल्का करता है ।

3. डिजिटल डिटॉक्स करें 📱
सोशल मीडिया और लगातार नोटिफ़िकेशन 
हमारे मन को बेचैन करते हैं । सोने से एक 
घंटा पहले और जागने के एक घंटा बाद अपने 
फ़ोन को दूर रखें । इसकी जगह कोई किताब 
पढ़ें या संगीत सुनें । यह एक छोटा सा 
"डिजिटल ब्रेक" 
आपके मन को आराम देता है ।

4. माइंडफुलनेस का अभ्यास 🍽️
माइंडफुलनेस का मतलब है , वर्तमान के 
क्षणों में जीना । यह अभ्यास किसी भी काम 
को करते हुए किया जा सकता है । उदाहरण 
के लिए , जब आप खाना खा रहे हों , तो सिर्फ 
खाने पर ध्यान दें—उसका स्वाद , खुशबू और 
बनावट को महसूस करें । जब आप टहल रहे 
हों , तो अपने पैरों के ज़मीन पर पड़ने की अनुभूति पर ध्यान दें । यह आपके मन को 
अतीत की चिंता या भविष्य की फिक्र से 
बचाता है ।

5. आभार व्यक्त करें 🙏
रोज़ाना रात को सोने से पहले , तीन ऐसी चीज़ों 
को याद करें जिनके लिए आप आभारी हैं । यह 
कुछ भी हो सकता है—आप का अच्छा स्वस्थ 
शरीर , एक अच्छा दोस्त , या ईश्वर की महान 
क्रिपा जिससे आज आप जिवित है । आभार 
व्यक्त करने से सकारात्मक भावनाएँ बढ़ती हैं ,
और मन में शांति का भाव आता है ।
ये छोटे - छोटे बदलाव आपके जीवन में गहरा 
और शांत प्रभाव डाल सकते हैं ।
                                 " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 6 दिसंबर 2025

हर दिन एक कैनवास होता है

🌟 इंद्रधनुषी सुबह का जादू 🌈

हर दिन एक नया कैनवास होता है , लेकिन कुछ सुबहें ऐसी होती हैं , जो मन को छू लेती हैं । 
क्या आपने कभी उस पल पर ध्यान दिया है 
जब सूरज की पहली किरणें ओस की बूँदों को 
छूती हैं ? 
वह दृश्य किसी हीरे के हार से कम नहीं लगता । 
शांत वातावरण में चिड़ियों का चहचहाना , एक 
मधुर संगीत की तरह लगता है । 
यह शोर नहीं , बल्कि प्रकृति का मीठा गायन है ,
जो हमें याद दिलाता है कि जीवन कितना सुंदर 
और सरल हो सकता है ।

अपने भागदौड़ भरे जीवन में , बस एक पल के 
लिए रुकिए । अपनी खिड़की से बाहर देखिए , 
या बालकनी में खड़े हो जाइए । उस ताज़ी हवा 
को महसूस कीजिए , और आस - पास के रंगों 
को देखिए । यही वह जादुई पल है—जहां समय 
थम सा जाता है , और मन पूरी तरह से शांत हो 
जाता है । यह पल हमें सिखाता है कि खुशियाँ 
किसी बड़ी चीज़ में नहीं , बल्कि इन छोटे , और मनमोहक क्षणों में छुपी हुई हैं ।
तो, अगली बार जब आप सुबह उठें , तब इस इंद्रधनुषी जादू को महसूस करना न भूलें । 
इसे अपनी आत्मा में भर लें और अपने दिन को 
उसी उत्साह से जिएँ ।
                                  " जावेद गोरखपुरी "


शनिवार, 29 नवंबर 2025

जीवन का सबसे बड़ा रहस्य

🧘‍♀️ जीवन का सबसे बड़ा रहस्य : -
वर्तमान क्षण ⏳
हमारा मन अक्सर दो जगहों पर भटकता 
रहता है : या तो अतीत की यादों में खोया 
रहता है , या फिर भविष्य की चिंताओं में 
उलझा रहता है । इस भागदौड़ में , हम 
सबसे कीमती चीज़ को नज़रअंदाज़ कर 
देते हैं , जो हमारे पास है : 
वर्तमान क्षण ( Present Moment ) ।
यही सभी के जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है ।

🔑 वर्तमान ही सबसे बड़ी शक्ति है ।

न तो आप बीते हुए पल को बदल सकते हैं , 
और न ही आने वाले पल को पूरी तरह खुद 
से नियंत्रित कर सकते हैं । आपके पास 
केवल यही पल है — जिसमें आप साँस 
ले रहे हैं , और अपने आप को महसूस 
कर रहे हैं , इसी पल में अपना सभी काम 
भी कर रहे हैं ।
जब आप पूरी तरह से ' अभी ' में जीना शुरु 
कर देते हैं , तो तीन अद्भुत चीज़ें होती हैं :

1 - चिंताएँ खत्म होने लगतीं हैं : -

भविष्य की चिंताएँ वर्तमान की हकीकत से 
बड़ी हो जाती हैं । जब आप 'अभी' पर ध्यान 
केंद्रित करते हैं , तो चिंता के लिए जगह ही 
नहीं बचती है ।

2 - खुशी और कृतज्ञता : -

छोटी - छोटी चीज़ों की सुंदरता तभी दिखाई 
देती है जब आप का मन शांत होता है । 
एक कप चाय का स्वाद , या बच्चों की हँसी—
ये सब तभी मन मोहते हैं जब आप 
पूरी तरह से जागरुक होते हैं ।

3 - बेहतर काम : -

आपका ध्यान (Focus) और ऊर्जा (Energy) 
पूरी तरह से आपके सामने मौजूद कार्य पर जब 
लगी रहती है , इस से कार्य की गुणवत्ता बहुत 
अधिक बढ़ जाती है ।

🛠️ इसे कैसे जिएँ ?

यह कोई बहुत बड़ा दार्शनिक विचार नहीं है , 
बल्कि यह सिर्फ एक अभ्यास है ।

* सचेत होकर साँस लें : -
दिन में कई बार , 10 सेकंड के लिए 
अपनी साँस पर ध्यान दें । यह आपको 
तुरंत ' अभी ' में ले आएगा ।

* एक समय में सिर्फ एक ही काम करें : -
 जब आप कोई काम कर रहे हों, तो 
केवल वही करें । मल्टीटास्किंग से बचें ।

* सवाल पूछें : -
जब भी मन भटकने लगे , तो खुद से पूछें , 
" इस पल में क्या हो रहा है ? "
याद रखें, जीवन भविष्य की तैयारी नहीं है , 
बल्कि वर्तमान क्षणों का अनुभव है । 
इसे पूरी जागरुकता और खुशी से जिएँ ।
                                " जावेद गोरखपुरी "


शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

क्या हम सचमुच में जी रहे हैं ?

🤔 क्या हम सचमुच में जी रहे हैं ?
हम सब ज़िंदगी में भाग रहे हैं , बेहतर नौकरी , 
ज़्यादा पैसा , बड़ी चीज़ें और अपने सपनों को 
हासिल करने के चक्कर में , लेकिन 
इस भाग - दौड़ में , हम रुकना कब भूल गए 
यह सोचने का समय ही नहीं मिला ?

ज़रा सोचिए : -

हम कल की चिंता में इतने डूबे रहते हैं ,
कि आज को पूरी तरह जी नहीं पाते हैं ।
हम दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश में 
अपनी असली खुशी को अनदेखा कर देते हैं ।
हम मोबाइल स्क्रीन पर इतनी ज़िंदगियाँ देखते हैं 
कि अपनी ख़ुद की ज़िंदगी जीना भूल जाते हैं ।
क्या हमने अपनी ज़िंदगी का रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथों में सौंप दिया है ?

अभी , एक पल के लिए रुकिए । 
फ़ोन नीचे रखिए । बाहर देखिए । 
अपनी साँसों को महसूस कीजिए ।
जीना सिर्फ़ साँस लेना ही नहीं है , 
बल्कि उस पल को महसूस करना है ,
जो अभी ' आप के ' पास है ।
क्या आप सिर्फ़ मौजूद हैं , या जी रहे हैं ?

सवाल : -

आप अपनी ज़िंदगी के सबसे छोटे , लेकिन 
सबसे ख़ुशी भरे पल को कैसे परिभाषित करेंगे ?
#सोचविचार #जीवन #प्रेरणा #आज का पल #ज़िंदगी
                                   " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 26 नवंबर 2025

अपने भीतर के अदृश्य शक्ति को पहचानें

✍️ अपने भीतर के अदृश्य 
      शक्ति को पहचानें : -

आप जितना ख़ुद के बारे में सोचते हैं , 
उससे बहुत अधिक आप मजबूत हैं ।
जीवन हमें अक्सर ऐसी चुनौतियों के 
सामने ला कर खड़ा कर देता है जहाँ 
हम खुद को कमज़ोर महसूस करने लगते हैं । 
चाहे वह कोई बड़ा लक्ष्य हो , व्यक्तिगत निराशा 
हो , या रोज़मर्रा का तनाव , हम तुरंत अपनी 
सीमाओं का आकलन कर लेते हैं । 
हम यह सोचने लगते हैं , कि 
" यह मेरे बस का नहीं है । "
लेकिन यही वह क्षण होता है जब हमें अपनी 
अदृश्य शक्ति का एहसास करना चाहिए ।

🌟 शक्ति जो दिखाई नहीं देती : -

आपकी असली शक्ति आपका जिस्म, आप की मांसपेशियों या आपके बैंक बैलेंस में नहीं है । 
यह वहाँ है जहाँ कोई नहीं देख सकता :

लचीलापन ( Resilience ) : -

आप कितनी बार गिरे और 
कितनी बार वापस उठे ? 
हर बार उठना आपकी एक अदृश्य जीत है । 
यह लचीलापन आपको आगे बढ़ने की 
अनुमति देता है।

सीखने की क्षमता (Capacity to Learn ) : -

हर गलती आपको एक 
अनमोल सबक सिखाती है । 
हर नई जानकारी आपके भविष्य 
के फैसलों को बेहतर बनाती है । 
यह आपकी आंतरिक वृद्धि है ।

दृढ़ संकल्प ( Inner Drive ) : -

वह छोटी सी आवाज़ जो आपको 
हार मानने के बाद भी 
' एक बार और कोशिश करने ' 
के लिए प्रेरित करती है —
यही आपका सबसे बड़ा हथियार है ।
जब भी आप किसी मुश्किल में फँसें , 
तो अपने अतीत को याद करें । 
आप पहले भी मुश्किलों से गुज़रे हैं 
और उन्हें पार किया है । आप आज 
भी यहाँ पर मजबूती से टिके हुए हैं । 
इसका मतलब है कि आप उन 
बाधाओं से ज़्यादा मज़बूत थे ।

💡 निष्कर्ष : -

अपनी क्षमताओं पर संदेह करना 
हर किसी के लिए स्वाभाविक है , 
लेकिन उन्हें कभी भी अपनी सीमा 
मत बनने दें । 
अपने भीतर के उस योद्धा पर भरोसा रखें 
जिसने आपको आज तक यहाँ पहुँचाया है ।
आप जितना सोचते हैं , उससे कहीं ज़्यादा ज्ञान , साहस और ताकत आपके अंदर भरी हुई है । 
बस उसे पहचानिए , उस पर भरोसा कीजिए , 
और अपने काम के लक्ष्य पर लग जाइए !
                                   " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 21 नवंबर 2025

दोस्ती..... friendship.

दोस्ती.... friendship.
दोस्ती.यह सिर्फ़ दिल का रिश्ता ही नहीं है , 
बल्कि यह एक दूसरा परिवार भी होता है ।
सच्चा दोस्त वो होता है जो आपकी 
खामोशी को भी समझ लेता है , 
जो आपकी कमज़ोरी में आपकी 
ताकत बन जाता है , और जो आपकी 
जीत में आपसे ज़्यादा खुश होता है ।

वो लम्हे जो हमने हँसते - रोते , 
गिरते - संभलते साथ गुज़ारे हैं , 
वो किसी खज़ाने से कम नहीं हैं । 
ज़िंदगी का सफ़र इन बेहतरीन 
इंसानों के बिना अधूरा है ।

अगर आपके पास ऐसे दोस्त हैं ,
जो आपके लिए खड़े रहते हैं , 
तो आप दुनिया के सबसे अमीर इंसान हैं ।
अपने दोस्तों को टैग करें और बताएं कि वे 
आपके लिए कितने मायने रखते हैं ! ❤️

निष्कर्ष : -

दोस्ती एक ऐसी छांव है , जो हर मौसम में 
साथ - साथ रहती है । 
                             " जावेद गोरखपुरी "


गुरुवार, 20 नवंबर 2025

लोगों की सोंच

🤔 लोगों की सोच: एक आईना
लोगों की सोच एक ऐसी चीज़ है ,
जो आपको या तो ऊपर उठा सकती है , 
या फिर नीचे गिरा सकती है । 
लेकिन सबसे ज़रूरी बात यह है कि , 
लोगों की सोच उनका अपना नज़रिया है , 
यह आपकी सच्चाई नहीं है ।
* जब आप अच्छा करते हैं : तब लोग कहेंगे , 
" अरे ! ये तो किस्मत की बात है । "
* जब आप कुछ नया करते हैं : तब लोग कहेंगे , 
" ये सब बेकार है , इससे कुछ नहीं होगा ।"
* जब आप रुक जाते हैं : तब लोग कहेंगे , 
" हमें पता था , ये इसके बस की बात नहीं ।"

याद रखिए : -

आप की खुद भी एक अपनी सोच है : 
आज आप जो कुछ भी हैं , 
वह आपके अपने विचारों का परिणाम है । 
दूसरों के विचारों को अपने ऊपर कभी भी 
हावी न होने दें ।
खुशियाँ आप के अंदर ही मौजूद हैं : 
अगर आप दुनिया को खुश करने की 
कोशिश करेंगे , तो आप खुद कभी खुश 
नहीं रह पाएंगे । शांति और खुशी बाहर नहीं , आपके अंदर में ही है ।

खुद के अंदर बदलाव लाइए : 
दुनिया को बदलने से पहले , 
अपनी खुद की सोच बदलिए । जब 
आपकी सोच बदलेगी , तब आपके लिए 
दुनिया का नज़रिया खुद-ब-खुद बदल जाएगा।
किसी की नकारात्मक सोच को 
अपना रास्ता बना कर तय न करें । 
अपने दिल की सुनिए ! ❤️

निष्कर्ष : -

लोगों का काम है कहना । आप क्या सोचते हैं , 
वही मायने रखता है ।
                               " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 19 नवंबर 2025

ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत चीज क्या है ?

ज़िंदगी में सबसे ख़ूबसूरत चीज़ क्या है ?
आप का बड़ा बैंक बैलेंस , 
आप की महंगी गाड़ियां और 
आप का शानदार घर । 
ये चीज़ें आपको खुशी दे सकती हैं , 
लेकिन यह खुशी अस्थायी होती है ।
इस दुनियां में अगर सबसे ख़ूबसूरत 
कोई चीज़ है , तो वह सिर्फ और सिर्फ 
इंसानियत का रिश्ता है ।

वो एक छोटा सा पल जब आप अपने 
या किसी अजनबी की मदद करते हैं ।
वो गहरी साँस जो आप अपने परिवार के साथ 
एक शांत शाम में सबके बीच लेते हैं ।
वो प्यारा सा अहसास जब आपका दोस्त 
सिर्फ़ इस लिए कॉल करता है क्यों कि उसे 
आप की याद आ रही थी ।

जो खुशी , देने में मिलतीं है , 
वो पाने में नहीं है ।
रिश्ते , दिखाने और गिनवाने 
के लिए नहीं होते हैं , 
रिश्ते , हर परिस्थितियों में 
निभाने के लिए होते हैं ।
अपनी ज़िंदगी को सरल बनाओ , 
मानवता को फैलाओ, और 
उन चीज़ों के लिए शुक्रगुज़ार रहो 
जो आपके पास ईश्वर ने दिया हैं । 

याद रखो , अमीर वो है 
जिसके रिश्ते गहरे हैं , 
न कि वो जिसके बटुए भरे हैं ।
आप के द्वारा दी गई एक छोटी सी मुस्कान 
किसी का दिन खूबसूरत बना सकती है । 😊
आपका दिल क्या कहता है ?
कमेंट में मुझे भी बताएं । 
अच्छा लगे तो शेयर भी करें , 
अगर आप का दिल करे तो फालो करें ।
                             " जावेद गोरखपुरी "


सोमवार, 17 नवंबर 2025

मौसमों का क्या है ?

चिलचिलाती धूप..….... ‌‌….. । 
और उमस भरी गर्मी ,
बहुत तकलीफ़ वाली होती है ।

सर्द हवाएं और हांड़ कपा देने वाली ठंडक ।
जब घरों से निकलना मुश्किल कर देतीं हैं ।
तो वही गर्मी याद आती है ।

हर मौसम का अपना एक अलग रंग होता है ।
जो इंसान और प्रकृति पर अपने होने और 
जाने का असर छोड़ते हैं ।

मौसमों का क्या है ?
ये अपने चक्र में आते जाते रहते हैं ।
लेकिन इंसान मौसम के गुजर जाने के बाद 
फिर उसी मौसम को याद करता है ।
भले ही वो तकलीफदेह गुज़रा हो या खुशगवार ।
                                      " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 15 नवंबर 2025

साफ्टवेयर अपडेट

1 - " बीता हुआ कल एक ' ड्राफ्ट ' था , और 
        आने वाला कल एक ' कल्पना ' है । 
        आज का दिन आप के लिए एक 
       ' एडिट ' बटन की तरह है । " 
       अब आप को" कहां " " कब " और क्या 
       " एडिट " करना है , यह आप के ऊपर 
       निर्भर करता है ।


2 - " हम आधुनिक जानकारी 
        के युग में जी रहे हैं , 
       लेकिन समझदारी अभी भी दुर्लभ है । "
 
3 - " आप का भविष्य किसी बड़े 
         सॉफ्टवेयर अपडेट जैसा नहीं है ; 
         यह हर दिन के छोटे-छोटे ' पैच ' 
         से बनता है । "
                         " जावेद गोरखपुरी "


बुधवार, 12 नवंबर 2025

सबसे खूबसूरत यात्रा

1 - जिंदगी की सबसे खूबसूरत यात्रा वह है , 
     जो आपको खुद से , खुद को मिलाती है ।

2 - कुछ रिश्ते वक्त के मोहताज नहीं होते हैं । 
      बल्कि वो दिल में हमेशा क़ायम रहते हैं ।

3 - स्वार्थ में बनाए गए रिश्ते से ,
      सिर्फ धोखे में स्वार्थ पूरा कर सकते हैं ।
      जिंदगी भर साथ नहीं निभा सकते हैं ।
                               " जावेद गोरखपुरी "



अनकही बातें

1 - " सबसे ज़्यादा शोर अक्सर 
      उन सवालों का होता है , जो 
      हम कभी पूछते ही नहीं । "

2 - " जिस रिश्ते में आपको अपनी 
         सच्चाई छुपानी पड़े , समझो 
         उस रिश्ते ने आपकी आत्मा से 
         बात करना बंद कर दिया है । "

3 - " कुछ बातें इसलिए अनकही 
       रह जातीं हैं , क्यों कि कहने से 
       पहले ही हमें जवाब पता होता है । "
                         " जावेद गोरखपुरी "


मंगलवार, 11 नवंबर 2025

सबसे बड़ी विडंबना

1 - " हमेशा ध्यान रखें , कि जो बातें ,
        हमेशा दिल में रखी जाती हैं , वे 
        दिमाग में रखे गए तर्कों से 
       कहीं ज़्यादा वज़नदार होतीं हैं । "
 
2 - सबसे बड़ी विडंबना तो यह है , कि 
      हम जिनसे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं , 
      सबसे ज्यादा मानते हैं और सबसे ज्यादा 
      भरोसा भी करते हैं । उनसे ही अपनी 
      सबसे ज़रूरी बातें नहीं कह पाते हैं । "
                                " जावेद गोरखपुरी "


असली वायरल मोमेंट

1 - "असली 'वायरल मोमेंट' तब आता है , 
     जब आप दुनिया को भूलकर, खुद पर 
     ध्यान केंद्रित करते हैं । "

2 - " नेटवर्क ' कनेक्शन ' से पहले 
      आत्म - कनेक्शन मज़बूत होना चाहिए । "
 
3 - " हमारा सबसे बड़ा निवेश सोना या 
     क्रिप्टोकरेंसी नहीं है , बल्कि वह ध्यान है 
     जो हम अपनी मानसिक शांति को देते हैं । "
                                 " जावेद गोरखपुरी "


रविवार, 9 नवंबर 2025

जीवन की अनकही विडंबना

🎭 जीवन की अनकही विडंबना :-

1 - " हम पूरी ज़िन्दगी 'आगे' बढ़ने की 
       कोशिश में लगे रहते हैं , लेकिन 
       सबसे ज़्यादा सुकून तब मिलता है , 
       जब हम ' पीछे मुड़कर ' अपने   
       बचपन की ओर देखत हैं । "                       
 
2 -" जिस 'आज़ादी' के लिए 
       हम इतना लड़ते हैं ,                     
       अक्सर वही हमें सबसे ज़्यादा ' 
       अकेला ' महसूस कराती है । "

3 -" दुनिया में सबसे महंगी चीज़ 
       समय नहीं है , 
       बल्कि वह मौका है , 
      जब आपको अपनी सही बात 
      कहने की हिम्मत नहीं हो पाती । "
                       " जावेद गोरखपुरी "


सफलता और अतीत

💼 सफलता का बोझ ।
(The Burden of Success)
सफलता की सबसे अनकही बात 
यह है , कि यह आपको ज़िम्मेदारी 
देती है , आराम नहीं।"
 
🕰️ अतीत को अपनाना ।
(Embracing the Past)
अतीत एक 'स्कूल' की तरह से है ।
' जेल ' नहीं है । आप को वहाँ की 
फीस (दर्द) में चुकानी पड़ी है । 
इस लिए अब समय है , 
सबक लेकर आगे बढ़ो ।
                   " जावेद गोरखपुरी "


डिजिटल डिटाक्स

📵 क्या आप भी 'स्क्रीन' से थक चुके हैं ? 
थोड़ा ब्रेक तो बनता है ! (Digital Detox)
आजकल हमारी ज़िंदगी स्क्रीन (Screen) 
के इर्द - गिर्द घूमती रहती है—
सुबह उठते ही फ़ोन , दिन भर लैपटॉप , 
और रात में फिर सोशल मीडिया ।
क्या आप ने कभी सोचा है , कि 
लगातार डिजिटल दुनिया में रहने से 
हम अपने वास्तविक जीवन (Real Life) 
की छोटी - छोटी खुशियों को 
मिस करते जा रहे हैं ?

डिजिटल डिटॉक्स का मतलब यह नहीं है , कि आपको टेक्नोलॉजी को पूरी तरह छोड़ देना है , बल्कि इसका मतलब है , कि सचेत रुप से 
ब्रेक लेना ताकि आप :-
😌 मानसिक शांति पा सकें ।
😴 नींद की गुणवत्ता (Quality of Sleep) 
      को सुधार सकें ।
👨‍👩‍👧‍👦 अपने परिवार और दोस्तों को पूरा समय दे सकें ।
💖 उन शौकों (Hobbies) पर ध्यान दे सकें जिन्हें आप ने छोड़ दिया है (जैसे - पढ़ना , बागवानी , 
दोस्तों के साथ घूमना या कुछ लिखना इत्यादि )।

आज ही 30 मिनट का डिजिटल ब्रेक लें :-
फ़ोन को दूर रखें ।
गहरी साँस लें ।
आस - पास की दुनिया को महसूस करें ।
यह छोटा सा ब्रेक आपको तरोताज़ा महसूस कराएगा !
❓ सवाल :- आपका पसंदीदा ' ऑफलाइन ' 
शौक क्या है ? कमेंट में ज़रूर बताएं !
#DigitalDetox #ब्रेकलेनाजरुरीहै #मानसिकस्वास्थ्य #स्क्रीनटाइम #खुशियाँ
                               " जावेद गोरखपुरी "


गुरुवार, 6 नवंबर 2025

डिजिटल डिटाक्स

📵 क्या आप भी 'स्क्रीन' से थक चुके हैं ? 
थोड़ा ब्रेक तो बनता है ! (Digital Detox)
आजकल हमारी ज़िंदगी स्क्रीन (Screen) 
के इर्द - गिर्द घूमती रहती है—
सुबह उठते ही फ़ोन , दिन भर लैपटॉप , 
और रात में फिर सोशल मीडिया ।
क्या आप ने कभी सोचा है , कि 
लगातार डिजिटल दुनिया में रहने से 
हम अपने वास्तविक जीवन (Real Life) 
की छोटी - छोटी खुशियों को 
मिस करते जा रहे हैं ?

डिजिटल डिटॉक्स का मतलब यह नहीं है , कि आपको टेक्नोलॉजी को पूरी तरह छोड़ देना है , बल्कि इसका मतलब है , कि सचेत रुप से 
ब्रेक लेना ताकि आप :-
😌 मानसिक शांति पा सकें ।
😴 नींद की गुणवत्ता (Quality of Sleep) 
      को सुधार सकें ।
👨‍👩‍👧‍👦 अपने परिवार और दोस्तों को पूरा समय दे सकें ।
💖 उन शौकों (Hobbies) पर ध्यान दे सकें जिन्हें आप ने छोड़ दिया है (जैसे - पढ़ना , बागवानी , 
दोस्तों के साथ घूमना या कुछ लिखना इत्यादि )।

आज ही 30 मिनट का डिजिटल ब्रेक लें :-
फ़ोन को दूर रखें ।
गहरी साँस लें ।
आस - पास की दुनिया को महसूस करें ।
यह छोटा सा ब्रेक आपको तरोताज़ा महसूस कराएगा !
❓ सवाल :- आपका पसंदीदा ' ऑफलाइन ' 
शौक क्या है ? कमेंट में ज़रूर बताएं !
#DigitalDetox #ब्रेकलेनाजरुरीहै #मानसिकस्वास्थ्य #स्क्रीनटाइम #खुशियाँ
                               " जावेद गोरखपुरी "


बुधवार, 5 नवंबर 2025

सफलता की ओर

भीड़ का हिस्सा बनना है ?
या मिसाल बनना है ?

हम अक्सर सोचते हैं , कि 
सही समय' कब आएगा ? 
एक परफेक्ट समय , 
एक परफेक्ट शुरुआत । 
लेकिन सच तो यह है , कि 
सही समय कभी आता ही नहीं है ।
शुरुआत करने के लिए लाना पड़ता है !

हर दिन एक नया मौका है । 
आज का यह जो दिन है ।
यह कल की हार या जीत से 
परिभाषित नहीं होगा , 
बल्कि इस बात से होगा , कि 
आज आपने कितनी कोशिश की ।

अगर आप गिर गए हैं , 
तो उठने में देर मत लगाइए ।
अगर थक गए हैं , तो थोड़ा आराम कीजिए , 
लेकिन लक्ष्य को कभी मत भूलिए ।
अगर लोग आलोचना कर रहे हैं , 
तो याद रखिए , 

इतिहास हमेशा उन लोगों का लिखा जाता है , 
जो भीड़ से अलग चलते हैं ।
खुद पर भरोसा रखिए । 
आपके मेहनत का पसीना ही ,
आपके सपनों को सींचेगा । 
आइए , आज ही कुछ ऐसा करें , 
जिससे आने वाला कल हमें धन्यवाद कहे !
#Motivation #प्रेरणा #सफलता की ओर 
#आगे बढ़ो ।
                                   " जावेद गोरखपुरी "


सोमवार, 3 नवंबर 2025

कुछ रिश्ते

कुछ रिश्ते सिर्फ बंधन नहीं , 
बल्कि 'घर' होते हैं ।
जीवन हमें बहुत कुछ सिखाता है , 
लेकिन सबसे ज़रुरी सबक यही है , 
कि असली दौलत पैसों में नहीं , बल्कि 
उन रिश्तों में है जो हर मुश्किल में 
हमारे साथ खड़े रहते हैं ।

अगर आज आपको किसी एक 
ऐसे व्यक्ति को शुक्रिया कहने का मौका 
मिले जो आपकी ज़िंदगी के हर मोड़ पर 
आप के साथ खड़े रहे हैं , 
और आज भी खड़े हैं ।
तो वह कौन होगा ?

उन्हें टैग करें या उनके लिए एक शब्द कहें ।
याद रखें , प्यार , आभार , शुक्रिया 
और धन्यवाद व्यक्त करने के लिए '
सही समय' का इंतज़ार न करें । 
वह समय आज और 'अभी' है ।
                                " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 2 नवंबर 2025

छोटे - छोटे प्रयास

आज का यह जो दिन है , इसे सार्थक बनाएं ! 
दोस्तों , ज़िंदगी एक बेहतरीन तोहफा है ,
और हर नया दिन एक नया अवसर 
लेकर आता है ।
हम अक्सर सोचते रहते हैं , कि कल क्या होगा या पिछली गलतियों पर पछताते हैं । लेकिन असली शक्ति आज में है ।

छोटे लक्ष्य निर्धारित करें :- 

आज आप एक छोटी सी अच्छी आदत 
शुरु कर सकते हैं , जैसे 10 मिनट 
व्यायाम करना , 20 मिनट टहलना , 
लोगों से अच्छा व्यवहार करना , 
उनकी भावनाओं को समझना या 
कोई नई चीज़ सीखना ।

सकारात्मक सोच रखें :- 

समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखें , 
न कि बाधाओं के रूप में ।

खुद पर भरोसा रखें :- 

उन सभी अच्छी चीज़ों को याद करें ,
जो आपके पास हैं ।
याद रखें , बड़े बदलाव हमेशा छोटे - 
छोटे प्रयासों से ही होते है । 
उन प्रयासों को आज से ही शुरु करें ।
कल कभी नहीं आता , इसलिए 
आज ही अपनी ज़िंदगी को 
बदलना शुरु करें ।
आइए , मिलकर इस दिन को 
सफल और शानदार बनाते हैं ! 
                     " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 1 नवंबर 2025

हम और सोशल मीडिया

आधुनिक समाज और हमारे रिश्ते : 
कनेक्टेड' होकर भी 'अकेले' क्यों हैं ? 

आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं ।
जहाँ टेक्नोलॉजी ने हमें विश्व स्तर पर जोड़ दिया है । फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ज़रिए हम हजारों लोगों से "कनेक्टेड" रहते हैं । लेकिन क्या आपने कभी महसूस किया है कि ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी के बावजूद भी , आज हम अकेलापन क्यों महसूस कर रहे हैं ?

आज कल ज्यादा तर क्या हो रहा है ?
स्क्रीन टाइम बनाम क्वालिटी टाइम :-
 
हम अपने फोन के स्क्रीन पर दूसरों की "परफेक्ट" लाइफ देखते रहते हैं , लेकिन अपने पास बैठे व्यक्ति को समय देना भूल जाते हैं । हमारी वर्चुअल लाईफ लाइक और कमेंट्स में वास्तविक मुस्कान और बातचीत की जगह लेते जा रहे हैं ।

दिखावा और दबाव : -
 
सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी सबसे अच्छी तस्वीर पेश करता है । इससे हम पर भी एक दिखावे का दबाव बनता जा रहा है , और हम भूल जाते हैं कि हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ।

ज़रूरी क्या है ?

हमें याद रखना होगा कि समाज का मतलब केवल बड़ी भीड़ नहीं है , बल्कि मज़बूत और गहरे आपसी रिश्ते की हैं ।

फोन को रखें दूर :- 
 
अपनों के साथ बात करते समय या खाना खाते समय, अपने फोन को दूर रखें । एक-दूसरे की ओर एक्टिव होकर बात करें।
 
वास्तविक बनो :-

सोशल मीडिया पर अपनी असफलताएं या सामान्य जीवन भी शेयर कर सकते हैं , यह दूसरों को प्रेरित करता है कि वे भी परफेक्ट न होने का दबाव छोड़ दें।
 
समाज में योगदान दें :-
  
केवल शिकायत न करें, बल्कि अपने आस-पड़ोस के छोटे कामों में हिस्सा लें ।
आइए , इस डिजिटल युग में , सच्ची कनेक्टिविटी को फिर से अपनाएँ और एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ लोग एक - दूसरे से दिल से जुड़े हों , सिर्फ स्क्रीन से ही नहीं ।
आपकी राय क्या है ? 
क्या आप भी यह अकेलापन महसूस करते हैं ? 
तो कमेंट में खुल कर बताएं ! 
                                  " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

सच और झूठ


मैंने मां से झूठ बोला ।
लेकिन उसने मुझे कभी ,
अपने आप से दूर नहीं किया ।

जब मैंने अपनों से सच बोल दिया ।
तो सभी चुप हो कर मुझे देखते रहे ।
मुझे एहसास हुआ कि जैसे मैंने ,
कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया है ।

मेरे सच ने मुझे अपनों से दूर कर दिया ।
                          " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

एहसास

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह तक को तुमसे ,
बांध रखा था ।

लेकिन अब ।

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह से तुम्हारे रुह को ,
हमेशा के लिए आजाद कर गयी है ।

पहले मेरे जिस्म से सिर्फ ,
तुम्हारा ही साया बनता था ।
आज तुम्हारा जिस्म तो दूर ‌।

तुम्हारे रुह की परछाई भी ।
मुझे परायी और अजनबी ,
सी लगने लगी है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 19 अक्टूबर 2025

रुह ( आत्म )

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह तक को तुमसे ,
बांध रखा था ।

लेकिन अब ।

तुम्हारे एक ही अल्फाज़ ने ।
हमारी रुह से तुम्हारे रुह को ,
हमेशा के लिए आजाद कर गयी है ।

पहले मेरे जिस्म से सिर्फ ,
तुम्हारा ही साया बनता था ।
आज तुम्हारा जिस्म तो दूर ‌।

तुम्हारे रुह की परछाई भी ।
मुझे परायी और अजनबी ,
सी लगने लगी है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

रियल लाइफ और रील लाइफ

एक है जो वक्त और हालात की मंजबूरी में 
पेट पालने के लिए मजदूरी करता है ।
" और "
एक है जो उन्हीं वक्त और हालात के मारे हुए 
मजदूरों की सुनहले पर्दे पर एक्टिंग कर के ,
शोहरत और दौलत दोनों कमाता है ।

कलाकार दोनों हैं ।
एक रियल लाइफ का हीरो है ।
एक रील लाइफ का हीरो है ।

रियल लाइफ के हीरो अक्सर ,
गुमनाम हो जाते हैं ।
लेकिन रील लाइफ के हीरो ,
उन्हीं की एक्टिंग कर के 
मशहूर हो जाते हैं ।
                        " जावेद गोरखपुरी "
                      

सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

ज़िन्दगी की ख्वाहिशें

जिंदगी बहुत छोटी है ।
" और "
ख्वाहिशें बहुत बड़ी हैं ।

ख्वाहिशों को छोड़ दें ,
तो ज़िन्दगी बहुत बड़ी हो जाती है ।
ख्वाहिशों को पकड़ें तो ,
जिंदगी बहुत छोटी लगने लगती है ।

इसी छोड़ पकड़ में....। 
एक दिन दुनियां ही छूट जाती है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

इंसाफ़

इन + साफ = इंसाफ़ ।
इंसाफ़ से " इन " अगर 
निकाल दिया जाए ,
तो इंसाफ नहीं रह पजाएगा ।
बल्कि सिर्फ साफ़ ही रह जाएगा ।

अब इस दौर में यही हो रहा है ।
जब कोई मजबूरी में किसी खास मुद्दे पर ,
या पंचायत के रुप में लोगों को बुलाया जाता है ।
तब समस्या पर ध्यान कम और वर्चस्व पर ध्यान ज्यादा रहता है ।

इन + साफ = इंसाफ़ ।
यही कारण है , कि जिसकी समस्या है ।
उसको दबा कर विपक्ष को पाक और साफ ,
कर दिया जाता है । इसे ही कहते हैं ।
सही तरीके से इंसाफ़ का होना ।
                                  " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

अपने और पराये

कहीं - कहीं पराये अपने हो जाते हैं ।
कहीं - कहीं अपने पराये हो जाते हैं ।।
परायों का अपना होना स्वाभाविक है ।

लेकिन जब अपने ही पराये हो जाएं ।
तो कैसा लगेगा ? दुःख तो तब होता है ।
जब इतना ही समझने में कभी-कभी 
उम्र निकल जाती है ।                      
                           " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 5 अक्टूबर 2025

रिश्ते तोड़ दिए जाते हैं ।

रिश्ते खुद नहीं टूटते... । 
रिश्ते तोड़ दिए जाते हैं । 
वक्त और हालात के मुताबिक ।

रिश्ते खुद नहीं बनते... । 
रिश्ते बना लिए जाते हैं ।
वक्त और हालात के मुताबिक ।

वक्त किसी के बाप की ,
एकलौती जागीर नहीं है ।
वक्त चंद मिन्टों में..... , 
सब कुछ बदल कर 
रख देता है ।

तुम अपनी जिंदगी भर में ।
अपने बाथरूम के झरने में ।
जितना नहा कर भीगे होगे.. । 
तुम अपनी जिंदगी भर में ,
जितना बारिशों में भीगे होगे ।

उससे ज्यादा मैं..... , 
अपने कर्मों और अपने 
अनुभवों के पसीने से 
भीग चुका हूं ।
                 " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 4 अक्टूबर 2025

फ़सल कोई और काटेगा

भारत देश में जो धार्मिक युद्ध चल रहा है ।
यह भय , भूख , बीमारी , ग़रीबी और 
बेरोज़गारी में ,
दिन प्रतिदिन स्प्रीट का काम करती जा रही है ।
गृह युद्ध पचास प्रतिशत क्रास कर चुका है ।
मरता क्या नहीं करता , वह दिन दूर नहीं जब 
गृह युद्ध अपने पूरे चरम सीमा पर पहुंच जाएगा ।

ऐसी परिस्थितियों में दो ही कार्य हो सकते हैं ।
या तो सार्वजनिक रुप से भारत में तख्तापलट ।
या तो संपूर्ण भारत पर दो से तीन धार्मिक ,
समुदायों का एक छत्र राज स्थापित हो जाएगा ।
परिस्थितियां और हालात तुम पैदा कर चुके हो ,
लेकिन फ़सल कोई और काटेगा ।
                                    " जावेद गोरखपुरी "
                                    

शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

हम , तुम

किसी छोटे या बड़े लेख में , जब -
हम , तुम , मैं , आप , वो , उसने ।
जैसे शब्दों का प्रयोग होता है ।
तब यह शब्द कैरेक्टर के रुप में ,
किसी चीज़ को दर्शाने के लिए उपयोग होता है ।

जब इन्हीं शब्दों का उपयोग ,
व्यक्तिगत तौर पर किया जाता है ।
जैसे - 
पत्र लिखने में ।
मैसेज लिखने में ।
आपस में बात करने पर ।
तब यह शब्द कैरेक्टर से बदल कर ,
व्यक्तिगत हो जाता है ।
जो खुद पर लागू होने लगता है ।

इस बात को बहुत सारे लोग जानते हैं ।
लेकिन मुझे लिख कर इस लिए समझाना पड़ा ।
कि , कुछ लोग समाज में ऐसे भी हैं । 
जो किसी के लिखे हुए आर्टिकल को , 
उसी के ऊपर समझने लगते हैं ।
                                      " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

किताब की गणित

किताब की गणित में ।
" और "
मोहब्बत की गणित में ।
बहुत फासला होता है ।

किताब के गणित में ।
दो मेसे एक जाएगा ,
तो , एक बचेगा ।

मोहब्बत के गणित में ।
दो मेसे एक जाएगा ,
तो , कुछ नहीं बचेगा ।
सब कुछ ज़ीरो हो जाता है ।
          " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

वक्त के तूफान

मुझे उस पेड़ से बहुत मोहब्बत थी ।
क्यों कि उस पेड़ को मैंने लगाया था ।
उसकी हर डालें मेरे हाथ पैर जैसे लगते थे ।
लेकिन वक्त के तूफान ने कइ डाल तोड़ दीं ।
मुझ पर बेबसी और खामोशी सी छा गई ।
वक्त के आए हुए तूफान का असर ,
सभी को झेलना पड़ता है ।

लेकिन कुछ लोग तो पेड़ को जड़ से काट देते हैं ।
जब कोई पेड़ कटता है , तो ऐसा लगता है कि ,
पेड़ को नहीं मेरे , जिस्म को काटा जा रहा है ।
इस लिए मैं सिर्फ इतना ही कहुंगा , कि -
पेड़ को काटने से पहले ,
कहीं कुछ पेड़ लगा दिया करो ।
यह तुमसे ज्यादा कुछ लेता नहीं है ।
ज़रुरत से ज्यादा , बहुत कुछ देता है ।
                                    " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 21 सितंबर 2025

पायेदार

अब न पाया है और 
अब न पायेदार है ।

देश का बच्चा, बच्चा 
सिर्फ , बकायेदार है ।।
    " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 20 सितंबर 2025

जानवर

जानवरों ने आदमी को ,
जानवर नहीं बनाया है ।

आदमी ने आदमी को ,
जानवर बना दिया है ।।
    " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

लम्हें

इस दुनियां को क़ायम हुए ,
अनगिनत सदियां बीत गई हैं ।
इन अनगिनत सदियों में ,
अनगिनत खूबसूरत लम्हें बीते हैं ।

उन खूबसूरत लम्हों को 
जीने वाले आज नहीं हैं ।
वो खूबसूरत लम्हे इस दुनियां में 
आज भी कायम है ।
जो लोग अब इस दुनियां में नहीं है ।
वो अपने हिसाब से जी कर गए हैं ।
जो लोग आज हैं ।
वे लोग अपने हिसाब से जीते हैं ।

सबसे बड़ा सच तो यह है कि -
लम्हें अच्छे रहे या बुरे , 
जिन लम्हों में जिसको जितना जीना था ,
उतना ही जी पाया , आज तक इस दुनियां में 
जिंदा नहीं है । सिर्फ लम्हें जिंदा हैं ।
जो लोग आज हैं । उन्हें भी अच्छे बुरे लम्हों से 
गुजरते हुए इस दुनियां को छोड़कर जाना है ।
                                      " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 18 सितंबर 2025

जन्मने और मरने

पेड़ जब सूखने लगता है ।
तब उसकी जड़ में ,
दुनियां के सारे ड्राई फ्रूट्स ,
पीस कर डालें जायं तब भी 
वो हरा - भरा नहीं हो सकता ।

इसी तरह इंसान जब बूढ़ा होने लगता है ।
तब दुनियां की कोई भी ताक़त ,
उसे फिर से जवान नहीं कर सकती है ।

दुनियां में हर चीज़ के जन्मने और मरने ।
बनने और बिगड़ने की एक प्रक्रिया है ।
जिसे कोई रोक नहीं सकता है ।
                          " जावेद गोरखपुरी "

सोमवार, 15 सितंबर 2025

बेशर्म किसने बनाया

जब तक इंसान गाली देना नहीं जानता है ।
तब-तक वह शर्मीला और संकोची होता है ।

जब वह लोगों से गालियां सुन - सुन कर ,
जानकार हो जाता है और खुद जब गालियां 
देना शुरु करता है । तब वही गालियां सुनाने 
वाले लोग उसे बेशर्म कहते हैं ।
                               " जावेद गोरखपुरी "

शनिवार, 13 सितंबर 2025

रईश और ज़मीदार

रईश और जमींदार -
खेती , बारी , दौलत और पुराने हवेली नुमा 
मकान से ही सिर्फ नहीं होते हैं ।

रईश और जमींदार का 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और जेहन भी 
रईश और जमींदार होता है ।

इनका अगर सब कुछ लुट जाए तो भी 
दिल , दिमाग़ , विचार , बातें और ज़ेहन ,
मरते दम तक साथ रहता है ।

दौलत के घमंड में कभी 
रईश और जमींदार ,
बनने की कोशिश मत करना ।

रईश और जमींदार लोग ,
किसी के भी घर की ।
आधी रोटी खाकर या 
एक गिलास पानी पी कर या 
उठने , बैठने का तहज़ीब देख कर या 
मुंह से निकले हुए एक लाईन को सुन कर ,
यह अंदाजा लगा लेते हैं कि 
सामने वाले की औकात क्या है ।
                               " जावेद गोरखपुरी "


इस दौर में

इस दौर में ........ ।
अच्छाई करने में ।
" और "
भलाई करने में ।
दर्द और रुसवाईयां 
बहुत मिलती हैं ।

झूठ , फरेब में ।
" और "
मक्कारीयों में ...... ,
इज्जत और वाहवाही ,
बहुत मिलती है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

गुरुवार, 11 सितंबर 2025

सब्र और खामोशी

जरुरी नहीं है कि हर सब्र का ,
और हर खामोशी का जवाब ,
तुम्हें देखने को मिलेगा ही ।

लेकिन !

लोगों के दिये हुए दर्द से ।
जिस खामोशी में ।
जिस सब्र में ।
तुम्हें आना पड़ा है ।
उसका जवाब तुम्हें देखने को ,
एक न एक दिन जरुर मिलेगा ।
               " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 10 सितंबर 2025

वास्तविकता

दिमाग को ईश्वर संचालित करता है ।
इसमें तुम कुछ नहीं कर सकते हो ।

दिल को आत्मा संचालित करती है ।
इसमें आधा तुम्हारा बस चलता है ।
                     " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

दिमाग को पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

भरोसा

जब भरोसा ही नहीं है ,
तो टूटेगा क्या ?

भरोसा तो उस समय टूटता है ।
जब पूरा भरोसा हो जाता है ।
              " जावेद गोरखपुरी "

बुधवार, 3 सितंबर 2025

आत्मा और शरीर

जो कभी मर नहीं सकती ,
वो तुम्हारे पास है ।
जिसको मरने से कोई रोक नहीं सकता ,
वो भी तुम्हारे पास है ।

अफसोस इस बात का है कि ,
मर जाने वाली चीजों कि चिंता में 
तुम खुद ही मरे जा रहे हो ।

और " वो "

जो कभी मरेगी ही नहीं ।
उसमें न तो तुम्हारी कोई दिलचस्बी है ।
और ना ही तुम्हारा कोई नाता है ।
                         " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

दिमाग पीसना

होश संभालने के बाद से ,
आगे सौ साल की उम्र तक ,
अपने दिमाग को पीस - पीस कर ।
जितने अनुभवों में पहुंच कर ,
लोगों ने अपनी अंतिम सांसें ली हैं ।
वहीं तक सभी दिमाग पीसने वालों
 को पहुंचना है ।

कोई ऐसा दिमाग़ पीसने वाला नहीं है ।
कि , जो दुनियां के बीच अचरज भरी ,
नयी क्रांति पैदा कर दे ।
हां , ऐसा हो सकता है ।
लेकिन उस दौर में होगा ,
जिस दौर में न तुम रहोगे ,
और न मैं रहुंगा ।
                    " जावेद गोरखपुरी "

रविवार, 24 अगस्त 2025

मैं खो गया हूं

मैंने तो एहसास कर लिया है ।
अब तुम भी एहसास कर लो .... ।
मैंने तुमको नहीं खोया है ।
तुमने ही खुद मुझे खोया है ।

मैं खो गया हूं ...... ।
अपनी दुनियां की भीड़ में ।
अब कभी भूल कर भी ,
जिंदगी के किसी मोड़ पर ,
मुझे तलाश मत करना ।

क्यों कि खोई हुई चीज़ ,
कभी वापस नहीं मिलती ।
जिसे मिलती है ।
वो किसी को बताता नहीं ।
                   " जावेद गोरखपुरी "

शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

कल्पना

तुम्हारे माइंड की फ्रिक्वेंसी ,
जिस कल्पना को कैच करती है ।
वह दुनियां के किसी हिस्से में गुजर चुका है ।
अगर आज ये कल्पना आधुनिक लग रही है ।
तो इसे इस युग में पूरा किया जा सकता है ।
अगर आप को असंभव लगता है ।
तो आने वाली जनरेशन के माइंड की फ्रिक्वेंसी 
इसे कैच करेगी और पूरा भी करेगी ।
संसार का नियम है ।

ये पृथ्वी अपने प्रेरकृति द्वारा जनरेशन बाई जनरेशन कल्पनाओं को थोपती आ रही है ।
दुनियां को सजाने के लिए ।
उदाहरण के लिए -
2G से 5G का आज आप आनंद ले रहे हैं ।
आज आप ताजमहल से लेकर बुर्ज खलीफा 
तक घूम रहे हैं । सभी कल्पनाओं से ही बने हैं ।
आगे आने वाले समय में मिटावर्स की दुनिया भी 
स्टार्ट होने वाली है । तब आप अपने बेडरुम में लेटे हुए पेरिस में घूमने और शापिंग का आनंद लेंगे , जो लोग इस दुनियां से जा चुके हैं । उनकी आत्मा से भी बात मुलाक़ात कर सकेंगे ।
                           " जावेद गोरखपुरी "

मंगलवार, 19 अगस्त 2025

एहसास

किसी के मर जाने के बाद -
अक्सर यह सुनने को मिलता है ।
कि...… , 
अभी तो कल ही मेरी मुलाकात हुई थी ।
सब कुछ तो ठीक - ठाक था ।
मुझसे बात भी हुई थी ।

सांसों का रुक जाना ही ,
सिर्फ मरना नहीं होता है ।
बहुत सारे लोग हैं ।
जो अंदर से मर चुके हैं ।
सिर्फ सांसें चल रहीं हैं ।
और किसी तरह से वो भी चल रहे हैं ।
                       " जावेद गोरखपुरी "